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H-1B Visa हो गया रिजेक्ट, फिर भी मिलेगा US में नौकरी का मौका! इन वीजा कैटेगरी में करें अप्लाई

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US Work Visa: अमेरिका में काम करने के लिए विदेशी नागरिकों के बीच H-1B वीजा प्रोग्राम काफी ज्यादा पॉपुलर है। इस वीजा कैटेगरी की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। H-1B वीजा के जरिए अमेरिकी कंपनियां विदेशी स्किल वर्कर्स को नौकरी पर रखती हैं। इसके जरिए साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) फील्ड में सबसे ज्यादा विदेशी लोगों की नियुक्तियां होती हैं। भारतीय स्किल वर्कर्स भी इस वीजा कैटेगरी से अमेरिका जाने में सबसे आगे रहते हैं। हालांकि, यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेश सर्विस (USCIS) ने H-1B वीजा जारी करने की लिमिट तय की हुई है। हर साल सिर्फ 65 हजार H-1B वीजा जारी होते हैं, जबकि 20 हजार वीजा उन विदेशी नागरिकों के लिए रिजर्व होते हैं, जिन्होंने अमेरिका से मास्टर डिग्री या हायर एजुकेशन हासिल किया है। इस वीजा के लिए काफी ज्यादा कॉम्पिटिशन होता है, इस वजह से कई लोगों को ये नहीं मिल पाता है। मगर वीजा की अन्य कैटेगरी भी हैं, जिसके जरिए भारतीय वर्कर्स अमेरिका में नौकरी पा सकते हैं। अमेरिका की इन वीजा कैटेगरी के जरिए भी मिलेगी नौकरी L1 Visa: L1 वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा होता है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशों में मौजूद अपने दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों को अमेरिका बुलाने की इजाजत देता है। L1 वीजा की दो कैटेगरी होती हैं, जिसमें L1A मैनेजर्स और एग्जिक्यूटिव्स के लिए है, जबकि दूसरी कैटेगरी L1B है, जिसके तहत स्पेशल नॉलेज वाले कर्मचारियों को अमेरिका बुलाया जा सकता है। इस वीजा कैटेगरी के जरिए अमेरिकी एमएनसी में काम करने वाले भारतीय अमेरिका में जाकर नौकरी कर सकते हैं। O1 Visa: अमेरिकी वीजा की ये कैटेगरी भी अमेरिकी कंपनियों को विदेशी नागरिकों को हायर करने की इजाजत देती है। इस कैटेगरी के तहत उन विदेशी नागरिकों की भर्ती की जाती है, जिनके पास साइंस, एजुकेशन, बिजनेस, एथलेटिक्स, आर्ट्स या मोशन पिक्चर में असाधारण योग्यता या उपलब्धि है। O1 वीजा पर किसी तरह की कोई लिमिट नहीं है। इसके लिए किसी भी तरह के लेबर सर्टिफिकेट की भी जरूरत नहीं पड़ती है। E2 Visa: E2 वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जो विदेशी नागरिकों को अमेरिका में निवेश करने और व्यवसाय संचालित करने की इजाजत देता है। E2 वीजा केवल उन देशों के नागरिकों के लिए उपलब्ध है, जिनकी अमेरिका के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि है। भारत उन देशों में से एक नहीं है, लेकिन ऐसी संभावना है कि भारत और अमेरिका भविष्य में ऐसी संधि पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, क्योंकि वे कई वर्षों से बातचीत कर रहे हैं।
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