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10 साल बाद आई खुशखबरी, रतन टाटा के नाम पर नामकरण! क्यों खास है महज 8 दिन का ये गैंडा

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नई दिल्ली: असम के गुवाहाटी चिड़ियाघर से 10 साल बाद बड़ी खुशखबरी आई है। यहां एक गैंडे के बच्चे ने जन्म लिया है। बीते 7 नवंबर को गांवबुढ़ा (पिता) और परी (माता) गैंडों की जोड़ी ने इस बच्चे को जन्म दिया। अब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस प्यारे से बच्चे का नाम रखने के लिए लोगों से सुझाव मांगे हैं। चिड़ियाघर के अधिकारियों ने बताया कि गैंडे के इस बच्चे के नाम का फैसला लॉटरी से होगा।नन्हे गैंडे के लिए ऑनलाइन तरीके से कई नाम सुझाए जा रहे हैं। इनमें दिवंगत बिजनेसमेन रतन टाटा के नाम पर 'रतन', 'दुर्गा', 'प्रचंड', 'प्रिया', 'बेला', 'गोल्डी' और 'आर-जू' जैसे सुंदर नाम शामिल हैं। वहीं, एक नाम मजाकिया अंदाज में 'निबोनुवा' भी भेजा गया है। असमिया भाषा में 'निबोनुवा' का मतलब बेरोजगार होता है।गांवबुढ़ा (अर्थात 'गांव का मुखिया') और परी के बच्चे का जन्म गुवाहाटी चिड़ियाघर के संरक्षण और प्रजनन के प्रयासों में एक बड़ी उपलब्धि है। यह चिड़ियाघर के प्रजनन केंद्र में पैदा होने वाला तीसरा गैंडा है। बहुत धीमी चाल से चलने वाले नर गैंडे गांवबुढ़ा को 2017 में काजीरंगा नेशनल पार्क के वन्यजीव पुनर्वास और संरक्षण केंद्र से बचाकर गुवाहाटी लाया गया था। गैंडों के प्रजनन में क्या क्या चुनौतियांचिड़ियाघर के अधिकारी इस नए मेहमान से बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि गैंडों के प्रजनन में कई चुनौतियां होती हैं। इनमें सबसे बड़ी है एक ही समय पर 'प्रजनन योग्य' जोड़ों का मिलना। डीएफओ अश्विनी कुमार ने बताया कि गैंडे के जन्म की योजना बनाने से पहले माता-पिता के खून के संबंधों की जांच करनी होती है क्योंकि परिवारों के भीतर संबंध बनना संभव नहीं है। लंबे समय तक नहीं रखते जोड़े को एक साथइसके साथ ही प्रजनन करने वाले गैंडे एक ही समय पर संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं हो सकते। उन्हें लंबे समय तक साथ रखना भी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे झगड़े का खतरा बढ़ जाता है, जो जानलेवा हो सकता है। प्रजनन करने वाले जोड़ों को प्राकृतिक वातावरण, पानी के कुंड, घास के मैदान, जड़ी-बूटियां, झाड़ियां और कृत्रिम फव्वारे भी उपलब्ध कराए जाते हैं। 2002 में परी और 2013 में सनातन का जन्मइस जोड़े को चिड़ियाघर आने वाले दर्शकों से भी दूर रखा जाता है। इन सभी कारणों से चिड़ियाघर में इस गैंडे के जन्म में देरी हुई है। चिड़ियाघर के प्रजनन केंद्र में सबसे पहले 2002 में परी और उसके बाद 2013 में सनातन का जन्म हुआ था। चिड़ियाघर के अधिकारियों को उम्मीद है कि इस नए जन्म से लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए संरक्षण की कोशिशों को बढ़ावा मिलेगा।
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