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फूलपुर उपचुनाव: ओबीसी वोटर तय करेंगे किसके सिर सजेगा ताज, सपा या भाजपा... किसकी स्थिति है मजबूत?

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संजय पांडेय, प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट पर चुनावी रंग पूरी तरह से चढ़ चुका है। फूलपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। जहां सीएम योगी जनसभा कर वोटरों को साधने का प्रयास कर हैं, वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी यहां से युवाओं को साधने की पुरजोर कोशिश की है। इस सीट पर 20 नवंबर को मतदान है। NDA केंद्र और प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही है तो वहीं विपक्षी I.N.D.I.A. केंद्र और प्रदेश सरकार की विफलताओं के साथ ही PDA को बड़ा मुद्दा मान रही है।इस सीट पर I.N.D.I.A. की ओर से सपा ने मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाया है। सपा प्रत्याशी इसलिए भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं क्योंकि 2022 के विस चुनाव में उन्हें महज 2,723 वोटों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी प्रवीण पटेल ने हराया था। लेकिन इसके 2 साल बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में फूलपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अमरनाथ मौर्या को लगभग 18 हजार वोटों की लीड मिली थी।लोकसभा चुनाव की लीड को लेकर समाजवादी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। फूलपुर में कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। इसमें से 5 निर्दलीय हैं। 12 प्रत्याशियों में 2 महिला प्रत्याशी भी हैं, वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। क्या है सीट का जातीय समीकरण?फूलपुर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 70 हजार यादव मतदाता हैं। इसके बाद करीब 65 हजार दलित, 45 हजार मुस्लिम, 35 हजार कुर्मी, 35 हजार ब्राह्मण, 20 हजार ठाकुर के साथ ही 35 हजार बिंद, कुशवाहा, मौर्य और 40 हजार अन्य मतदाता हैं। ओबीसी वोटर ही इस सीट पर जीत-हार का गणित तय करते हैं। फूलपुर विधानसभा सीट एक नजर में:
  • कुल वोटर : 4,07,366
  • महिला : 1,83,748
  • पुरुष : 2,23,560
  • थर्ड जेंडर : 58
हारे हुए प्रत्याशी पर सपा ने लगाया दांवसपा प्रत्याशी मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी प्रवीण पटेल को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि, उन्हें महज 2,723 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। एक बार फिर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन पर दांव लगाया है।इस सीट पर चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने भी मुस्लिम प्रत्याशी शाहिद अख्तर खान को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस के बागी सुरेश चंद्र यादव भी मैदान में हैं। कांग्रेस ने बागी सुरेश चंद्र को पार्टी से छह साल के लिए सस्पेंड भी कर दिया है। बसपा पर भारी दलित वर्ग की नाराजगीबीजेपी ने फूलपुर की पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे पूर्व विधायक दीपक पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। दीपक पटेल 2012 में करछना विधानसभा सीट से बसपा के विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि भी उनके पक्ष में माहौल बना रही है। वहीं, बसपा से जितेंद्र कुमार सिंह मैदान में हैं। हालांकि, बसपा की ओर से पूर्व में घोषित शिव बरन पासी का टिकट काटकर जितेंद्र कुमार सिंह को दिए जाने से दलित वर्ग की नाराजगी का भी खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ सकता है। सबसे अधिक सपा के पाले में गई है सीटफूलपुर विधानसभा सीट के इतिहास की अगर बात करें तो परिसीमन से पहले यह विधानसभा सीट झूंसी के नाम से जानी जाती थी। 1974 से 2022 तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल के प्रत्याशी दो-दो बार चुनाव जीत चुके हैं जबकि जनता पार्टी, जनता पार्टी सेकुलर और बसपा को एक-एक बार और समाजवादी पार्टी को चार बार सीट पर जीत मिली है। बीजेपी के लिए वोट मांग रहीं सपा विधायकसपा से बगावत करने वाली पूजा पाल कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से विधायक हैं। पूजा पाल अब खुलकर बीजेपी के समर्थन में आ गई हैं। वह फूलपुर से बीजेपी प्रत्याशी दीपक पटेल के समर्थन में जनसंपर्क कर वोट मांग रही हैं। इससे पहले उन्होंने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी को समर्थन दिया था। आसान नहीं किसी के लिए राहफूलपुर के चुनावी दंगल में बीजेपी प्रत्याशी दीपक पटेल की प्रतिष्ठा दांव पर है। उनकी मां केसरी देवी पटेल इसी इलाके से सांसद रह चुकी हैं। जबकि सपा ने मुजतबा सिद्दीकी के रूप में एक अनुभवी सियासी पहलवान को उनके सामने उतारा है, जो पूर्व में तीन बार विधायक रह चुके हैं।हालांकि, इस पूरी विधानसभा में जातियों के गणित में समीकरण उलझा नजर आ रहा है। इस वजह से वोटर यह मानकर कर चल रहे हैं कि उपचुनाव में बीजेपी, सपा या बसपा किसी के लिए भी राह उतनी आसान नहीं है। धुव्रीकरण पर टिकी बीजेपी की आसफूलपुर विधानसभा के रण में प्रत्याशियों के सामने चुनौतियां ही चुनौतियां हैं। बदले माहौल में बीजेपी प्रत्याशी दीपक पटेल के सामने जीत हासिल करने की चुनौती है। बीजेपी की उम्मीदें ध्रुवीकरण पर टिकी हुई हैं। 2017 एवं 2022 में बीजेपी यह सीट जीत चुकी है। इस बार पार्टी की निगाह हैट्रिक पर है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में सपा ने यहां बड़ी लीड हासिल कर हर किसी को चौंका दिया था। जिसे लेकर उपचुनाव में सपा नेता एवं कार्यकर्ता खासे उत्साहित हैं। बीजेपी का पूरा फोकस सर्वण, कुर्मी, मौर्य, दलित, कुशवाहा आदि बिरादरी के वोटरों पर है।
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