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पानी में गोते मारकर करती है शिकार, झरने को भी देती है चीर... आखिर कैसे नदी में उड़ती है ये चिड़िया?

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नई दिल्ली: डिप्पर... वो पक्षी, जिसे पानी के अंदर उड़ने वाली चिड़िया कहा जाता है। एक ऐसा पक्षी है, जिसकी ज्यादातर जिंदगी पानी के आस-पास ही गुजरती है। पानी में रहने वाले कीट और छोटी मछलियां खाकर अपना पेट भरती है। इसके पानी में तैरने और गोता लगाने की कला देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे। देखकर ऐसा लगेगा कि जैसे ये छोटी सी चिड़िया पानी के नीचे उड़ रही है। केवल नॉर्थ अमेरिका में मिलने वाली ये चिड़िया, जिसका नाम डिप्पर एक्वाटिक सोनबर्ड है, अपने घोंसले भी पानी के झरने के पीछे बनाती है।डिप्पर दूसरे पक्षियों से पूरी तरह अलग है और ठंडे पानी में रहने वाली अकेली चिड़िया है। हालांकि, बाकी पक्षियों की तरह ये भी सुबह-सुबह शिकार करना शुरू कर देती है। अपना और अपने भूखे चूजों का पेट भरने के लिए डिप्पर गहरे पानी में गोता लगाती है और अंदर से छोटी मछलियों, कीटों को पकड़कर बाहर निकल आती है। खास तरह के इनके पंख जलरोधक होते हैं और पानी में नहीं भीगते।डिप्पर के घने पंख और नथुने के फ्लैप उन्हें ठंडे पानी में गोता लगाने और तैरने में मदद करते हैं। ये बत्तख की तरह तैर भी सकते हैं और उनके पंख बत्तख जैसे ही होते हैं। लेकिन, इनकी प्यारी आवाज बिल्कुल एक गीतकार पक्षी की तरह होती है। वेबसाइट 'ऑडबोन' के मुताबिक, इन पक्षियों में चूजों का पेट भरने की जिम्मेदारी माता और पिता दोनों पर होती है। एक दिन में 200 फेरेचूजों का पेट भरने के लिए ये चिड़िया दिनभर में लगभग 200 फेरे लगाती है। भोजन तलाशने के लिए भी इन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनके जीवन के लिए इन्हें पानी के पास रहना जरूरी है। यही वजह है कि ये अपने घोंसले पानी के किनारे पत्थरों, चट्टानों, पुलों और झरनों के पीछे बनाती है। मादा डिप्पर घोंसले के लिए जगह चुनती है, जबकि नर घोंसले का निर्माण करते हैं। साफ और तेज बहता पानी ही जीवनइनके बच्चे 16 दिन बाद दौड़ने लगते हैं और पानी में गोता लगाने लायक भी हो जाते हैं। सर्दियों के मौसम के दौरान ये पक्षी निचली ऊंचाई पर इकट्ठा होते हैं और प्रजनन के लिए यहीं पर रुकते हैं। इसके बाद बसंत के मौसम में अपना आवास तलाशने के लिए ऊपर की ओर चले जाते हैं। हालांकि, मौसम चाहे जो भी हो, डिप्पर को साफ और तेज बहते पानी की जरूरत होती है। जलरोधक कैसे बन जाते हैं इनके पंखडिप्पर की पूंछ में प्रीन ग्रंथि होती है, जिससे एक तरह का तेल निकलता है और यही तेल इसके पंखों को जलरोधक बनाए रखने में मदद करता है। यह ग्रंथि ज्यादातर पक्षियों में पाई जाती है, लेकिन यह पानी में रहने वाली प्रजातियों में ज्यादा अच्छी तरह से विकसित होती है। ग्रे कैटबर्ड की तरह दिखने वाले डिप्पर के पैर मोटे और लंबे होते हैं। इनका जीवन साफ पानी पर टिका है और अक्सर जल प्रदूषण या बांध बनने की वजह से इनके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जाता है।
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