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झांसी हादसे से क्या सबक लिया? आगरा में सिर्फ एक वार्ड के भरोसे है पूरे शहर के बच्चों की सेहत

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सुनील साकेत, आगराः 30 से 35 लाख की आबादी वाले आगरा शहर में सिर्फ एक मेडिकल कालेज है, जिसमें बाल रोग विभाग बना हुआ है। 100 बेड के बाल रोग विभाग में 24 एनआईसीयू, 20 आईसीयू और जनरल वार्ड बने हैं। समस्याओं से निपटने के लिए व्यस्थाएं तो पूरी हैं, लेकिन हैरत इस बात की है कि आगरावासियों की फर्टिलिटी अनुसार बेडों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है। एसएन मेडिकल कालेज में साल 1948 से बना बाल रोग विभाग अभी भी उन्हीं संसाधनों से काम कर रहा है। जो उनके पास पहले से मौजूद हैं।बड़ी आबादी वाले शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव नहीं हुए हैं। ओवरक्राउडेड होने पर चिकित्सक कैसे व्यवस्थाओं को संभालते हैं? इस पर बाल रोग विभाग के हेड डॉ. नीरज यादव कहते हैं कि उनके आगरा जैसे आबादी वाले शहर में एक मेडिकल कालेज नाकाफी है। उनके पास 100 बेड का अस्पताल है, जो ज्यादातर फुल रहता है। इसके अलावा जब मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तो उनके इलाज के लिए एक वे अतिरिक्त व्यवस्था स्वयं के इंतजामों से करते हैं। उन्हें स्टाफ नर्सिंग के साथ-साथ फैसिलिटी में विस्तार की दरकार है। इमरजेंसी में 10 वेंटिलेटरएसएन मेडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड में 10 वेंटीलेटर और 5 सीपैब है। जो कि 24 घंटे सक्रिय स्थिति में रहते हैं। इसके अलावा जितने भी मशीनरी पार्ट हैं वे जब तक खराब नहीं हो जाते हैं। उन्हें आराम नहीं दिया जाता है। हालात इतने असामान्य हैं कि फैसिलिटी बढ़ाने के लिए कई बार प्रस्ताव दिए जा चुके हैं। मगर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो सकी है। अपने नवजात नाती का इलाज करा रहे इस्माइल बताते हैं कि उनके बच्चे का एमआरआई होना है। जिसकी 14 नवंबर तारीख मिली थी। मगर मशीन खराब होने के कारण उनके बच्चे का एमआरआई नहीं हो सका है। 2022 में लगी थी एसएन में आगएसएन मेडिकल कालेज की सर्जरी बिल्ंिडग में आग लगी थी। बेसमेंट में आग लगने से डक्ट के माध्यम से धुआं 8 मंजिला तक पहुंच गया था। इस दौरान मरीजों और तीमारदारों में अफरा-तफरी मच गई थी। इससे पूर्व 2016 में दो बच्चों की मौत पर एसएन की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हुए थे। तब बिजली जाने पर बच्चों की मौत हो गई थी। क्या है फायर फाइटिंग के इंतजामएसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने दावा किया है कि मेडिकल कालेज की हर बिल्ंिडग में फायर सेफ्टी उपकरण लगे हैं। फायर फायटिंग के लिए 31 सदस्यीय टीम है। जिन्हें जिसे समय-समय पर फायर फाइटिंग से संबंधित प्रशिक्षिण दिया जाता है। इसके अलावा 9 लाख लीटर पानी की व्यवस्था है। फायर फाइटर्स की टीम है। जो कि मॉकड्रिल करती है।
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