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'मेरे इनबॉक्स में मौत की धमकियां...', भारतीय-अमेरिकी CEO ने बताया, जानें मामला

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Indian American CEO Daksh Gupta: एक एआई स्टार्टअप के भारतीय-अमेरिकी सीईओ ने बताया है कि उनके इनबॉक्स में मौत की धमकियां मिली है। ग्रेप्टाइल के सह-संस्थापक और सीईओ दक्ष गुप्ता ने यह जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी है। एक्स पर हाल ही में एक पोस्ट में गुप्ता ने ग्रेप्टाइल के व्यस्त वर्क शेड्यूल के बारे में विस्तार से बताया था और स्वीकार किया था कि कर्मचारियों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है और तनाव का सामना करना पड़ता है। उनकी पोस्ट पर जल्द ही ऑनलाइन आलोचनाओं की झड़ी लग गई। अपने ओरिजनल पोस्ट में गुप्ता ने अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए कहा, ''हाल ही में, मैंने उम्मीदवारों को पहले इंटरव्यू में ही बताना शुरू कर दिया कि ग्रेप्टाइल में काम और जीवन के बीच कोई संतुलन नहीं है। आम तौर पर कार्यदिवस सुबह 9 बजे शुरू होता है और अक्सर रात 11 बजे समाप्त होता है और हम शनिवार को काम करते हैं, कभी-कभी रविवार को भी। मैं इस बात पर जोर देता हूं कि माहौल बहुत तनावपूर्ण है और खराब काम बर्दाश्त नहीं किया जाता है।'' दक्ष गुप्ता ने क्यों की ऐसी पोस्ट?दक्ष गुप्ता ने लिखा, ''पहले तो मुझे ऐसा करना गलत लगा, लेकिन अब मुझे यकीन हो गया है कि पारदर्शिता अच्छी है और मैं चाहता हूं कि लोग इसे शुरू से ही जानें, बजाय इसके कि उन्हें पहले दिन ही पता चले। मुझे उत्सुकता है कि क्या अन्य लोग भी ऐसा करते हैं और क्या इसमें कोई स्पष्ट गड़बड़ी है जो मैं नहीं देख पा रहा हूं।''गुप्ता की यह पोस्ट वायरल हो गई और इस पर कई तीखी प्रतिक्रियाएं आईं, जिनके जवाब में उन्होंने एक फॉलो-अप पोस्ट की। उन्होंने लिखा, ''अब जब यह रेडिट के फ्रंट पेज पर है और मेरे इनबॉक्स में 20 फीसद मौत की धमकियां और 80 फीसद जॉब के आवेदन हैं, तो यहां फॉलो-अप है।'' भारतीय-अमेरिकी सीईओ ने जताया खेददक्ष गुप्ता लिखा, ''उन सभी लोगों को बताना चाहूंगा जो अपनी सॉफ्टवेयर जॉब में बहुत ज्यादा काम करते हैं और कम पैसे पाते हैं, खास तौर पर अमेरिका के बाहर, मैं आपके लिए दुखी हूं और मुझे खेद है कि इस बात ने आपको चोट पहुंचाई है। यहां काम करने वाले लोगों के पास इससे पहले 6-फिगर 20 घंटे/सप्ताह की नौकरी थी, और वे कभी भी वापस उसी पर जा सकते हैं।'' उन्होंने लिखा, ''यह मानना मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो ऐसा चाहते हैं, जो कम संख्या में हैं। उन्हें पहचानने के लिए पारदर्शिता मौजूद है।'' कई यूजर्स ने की दक्ष गुप्ता के नजरिये की आलोचनाकई एक्स यूजर्स ने गुप्ता के नजरिये की आलोचना करने में देर नहीं लगाई। एक यूजर ने उनकी बात पर सवाल उठाते हुए पूछा, "पारदर्शिता बहुत अच्छी है, लेकिन आपको क्या लगता है कि प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए वीकेंड की छुट्टी देने के बजाय यह आपकी कंपनी को सफल बनाएगा?" अन्य लोगों ने उन पर निजी लाभ के लिए कर्मचारियों का शोषण करने का आरोप लगाया। एक यूजर ने तंज मारते हुए लिखा, "यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि आप कॉलेज से बाहर आने वाले कर्मचारियों का पहले ही शोषण कर रहे हैं।" 'जैसे-जैसे हम परिपक्व होते जाएंगे...'दक्ष गुप्ता ने अपनी फॉलो-अप पोस्ट में आगे लिखा, ''काम करने का यह तरीका हमेशा के लिए नहीं होना चाहिए क्योंकि यह टिकाऊ नहीं है। यह स्टार्टअप का पहला या दूसरा साल होता है जो पलायन की रफ्तार तक पहुंचने जैसा होता है। जैसा कि लोगों ने कमेंट में कहा, जैसे-जैसे हम परिपक्व होते जाएंगे, हम ज्यादा अनुभवी और बड़े लोगों को काम पर रखेंगे, जिनके पास परिवार हैं और जो सप्ताह में 100 घंटे काम नहीं कर सकते और स्वाभाविक रूप से हम किसी भी अच्छे संगठन की तरह खुद को ढाल लेंगे।'' उन्होंने लिखा, ''इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कोई आदेश दे रहा हूं। ऐसे प्रतिभाशाली लोग हैं जो प्रतिभाशाली लोगों से भरी सफल कंपनियां चलाते हैं जो खुद पर इतना दबाव नहीं डालते। कई अन्य लोगों ने जिस तरह से शुरुआत की है, उसी तरह से हमने भी शुरुआत की है।'' उन्होंने लिखा, ''इस पोस्ट से बहुत सारी इंडियन हेट आ रही है, इसलिए मैं स्पष्ट करना चाहता हूं मैं ऐसा इसलिए नहीं हूं क्योंकि मैं भारतीय हूं, बल्कि इसलिए हूं क्योंकि मैं सैन फ्रांसिस्कन हूं।''
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