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Bihar Politics: आरसीपी की 'आसा' देगी नीतीश कुमार को निराशा, पार्टी पदाधिकारियों के ऐलान में दिखा सियासी समीकरण

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पटना: नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे पूर्व जेडीयू नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह ने अपनी नई पार्टी के विस्तार को लेकर एक्शन लेना शुरू कर दिया है। 'आसा' यानी 'आप सबकी आवाज' नाम से पार्टी तो बनाई है। अब पार्टी के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी भी सौंप रहे हैं। इसी क्रम में आरसीपी सिंह ने 'आसा' के उपाध्यक्ष सह मुख्य प्रवक्ता के रूप में लेफ्टिनेंट कर्नल कुमार सनातन उर्फ पंचम श्रीवास्तव को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। आरसीपी सिंह ने उन्हें पार्टी का मुख्य प्रवक्ता बनाया है। इसके अलावा प्रीतम सिंह को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। एनडीए को नुकसान आरसीपी सिंह की पार्टी बनाने के बाद से चर्चा है कि वे सबसे ज्यादा एनडीए को नुकसान पहुंचाएंगे। इतना ही नहीं आरसीपी सिंह पहले भी ऐलान कर चुके हैं कि जेडीयू के सैकड़ों कार्यकर्ता उनकी पार्टी में आने को आतुर हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं की सलाह पर ही पार्टी का गठन किया है। पार्टी पदाधिकारियों का ऐलान करते हुए आरसीपी सिंह ने जितेन्द्र प्रसाद को महाराष्ट्र का, मुकेश कुमार को राजस्थान का और शिशिर कुमार साह को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। उन्होंने पार्टी के उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और महासचिव की भी घोषणा की है। पार्टी पदाधिकारी का ऐलानराजनीतिक जानकार मानते हैं कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में यदि आरसीपी सिंह थोड़े बहुत सीटों पर भी अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं, तो सबसे ज्यादा नुकसान जेडीयू को पहुंचाएंगे। नीतीश कुमार के लिए तनाव का कारण बनेंगे। आरसीपी सिंह कुर्मी जाति से आते हैं। जेडीयू के आधार वोट कुर्मी जाति और कुशवाहा से ही बनते हैं। अगर आरसीपी सिंह कुर्मी वोट और कुशवाहा में सेंधमारी करने में सफल हो जाते हैं। वो दर्जन भर सीट पर भी यदि अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं, तो ये एनडीए के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। आरसीपी सिंह की पार्टी ;आसा'जानकार ये भी मानते हैं कि आरसीपी सिंह पूर्व में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे हैं। उनकी रणनीति से लेकर नीतीश कुमार की प्लानिंग को वो समझते हैं। इसलिए वो ज्यादा हानिकारक साबित हो सकते हैं। सियासी रूप से आरसीपी सिंह के खाते में कोई बड़ी उपलब्धि दर्ज नहीं है लेकिन उनके समर्थकों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है। बिहार में कुर्मी जाति की आबादी 2.87 फीसदी हैं। नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह एक ही जिले से आते हैं। इस जिले में दोनों की पकड़ मानी जाती है। आरसीपी सिंह ने हाल के दिनों में कुर्मी बहुल इलाकों में अपनी पैठ को मजबूत किया है। आरसीपी सिंह का प्लान2025 के विधानसभा चुनाव की प्लानिंग आरसीपी सिंह ने बहुत पहले ही कर ली है। सूत्र बताते हैं कि आरसीपी सिंह ने बहुत ही प्लानिंग के साथ पार्टी का गठन किया है। उनका लक्ष्य है, ज्यादा से ज्यादा जेडीयू को झटका देना और जेडीयू कार्यकर्ताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कराना। आरसीपी सिंह के वोट काटने का सीधा मतलब होगा, नीतीश कुमार का कमजोर होना। वहीं दूसरी ओर नीतीश के कमजोर होने से एनडीए भी पूरी तरह कमजोर होगा। इस बीच सबसे ज्यादा फायदा लालू यादव की पार्टी आरजेडी को होगा। ये भी संभावना जताई जा रही है कि आरसीपी सिंह लालू यादव से हाथ मिला सकते हैं। आरसीपी सिंह को जानिए आरसीपी सिंह यूपी कैडर के पूर्व में आईएएस अधिकारी रहे हैं। 06 जुलाई, 1958 को नालंदा में जन्मे आरसीपी सिंह नौकरशाह रहे हैं। उनकी दो बेटियों में से एक लिपि सिंह आईपीएस अधिकारी हैं। दूसरी बेटी वकील है। आरसीपी सिंह सबसे पहले केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव बने थे। उसके बाद जब वाजपेयी सरकार में नीतीश कुमार रेल मंत्री बने, तो उन्होंने आरसीपी सिंह को विशेष सचिव बनाया। 2005 के नवंबर में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, तो आरसीपी सिंह को प्रमुख सचिव बनाया। उसके बाद 2010 में आरसीपी सिंह ने वीआरएस लिया। जेडीयू ने उन्हें 2010 में राज्यसभा भेज दिया। कौन हैं आरसीपी सिंह नीतीश कुमार ने एक बार फिर 2016 में आरसीपी सिंह पर विश्वास जताया। उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजा। दिसंबर, 2020 में आरसीपी सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। उसके बाद 2021 में नीतीश कुमार के इनकार करने के बाद भी आरसीपी सिंह केंद्र में इस्पात मंत्री बन गए। उसके बाद नीतीश कुमार से उनकी दूरी बढ़ने लगी। इस बीच ललन सिंह दोबारा नीतीश कुमार के करीब आने लगे। अंततः 2022 में जेडीयू ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया। उसके बाद आरसीपी सिंह बीजेपी में शामिल हुए। 2024 में नीतीश के बिहार में साथ आने के बाद एनडीए ने उनसे किनारा कर लिया।
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