नई दिल्ली: कोचिंग सेंटर वालों ने भी हमें फांसने का क्या-क्या जुगाड़ नहीं कर रखा है। झूठ पर झूठ, फरेब पर फरेब, वो भी विशालकाय बैनरों पर विज्ञापन देकर। अब केंद्र सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी कर चेतावनी दी है कि अगर छात्रों एवं अभिभावकों से फरेब किया गया तो कोचिंग सेंटरों ही नहीं, उनका प्रचार करने वालों को भी भुगतना होगा। लेकिन क्या सच में कोचिंग सेंटरों के फर्जीवाड़े पर गंभीर कार्रवाई हो सकेगी? क्या कोचिंग सेंटर सच में सुधर जाएंगे? क्या सच में विज्ञापन करने वाली शख्सियतों को जवाबदेह बनाया जा सकेगा? भ्रामक विज्ञापनों से लुभाते हैं कोचिंग सेंटर्सदरअसल, केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार ने इसे उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में पेश किया है। सरकार कहती है कि 'कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश, 2024' का उद्देश्य छात्रों और जनता को भ्रामक मार्केटिंग स्ट्रैटिजीज से बचाना है जो कोचिंग केंद्र आमतौर पर अपनाते हैं। सरकार ने बनाई थी समितिइन दिशानिर्देशों के निर्माण के लिए एक समिति का गठन किया गया था जिसकी अध्यक्षता सीसीपीए के तत्कालीन मुख्य आयुक्त ने की थी। इसमें केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, शिक्षा मंत्रालय, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (विशेष आमंत्रित के रूप में), राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) दिल्ली, कानूनी फर्म और उद्योग के हितधारक शामिल थे। समिति की राय थी कि सीसीपीए को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने चाहिए। 16 फरवरी, 2024 को आम लोगों की राय के लिए मसौदा दिशानिर्देश (ड्राफ्ट गाइडलाइंस) जारी किए गए थे। 28 विभिन्न हितधारकों ने अपनी राय दी, जिनमें शिक्षा मंत्रालय, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), एलन करियर इंस्टिट्यूट प्राइवेट लिमिटेड, इंडिया एडटेक कंसोर्शियम और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) आदि शामिल थे। कोचिंग और कोचिंग सेंटर की परिभाषा तयदिशानिर्देशों में 'कोचिंग' और 'कोचिंग सेंटर' की परिभाषा तय कर दी गई है। 'कोचिंग' में शैक्षणिक सहायता, शिक्षा प्रदान करना, मार्गदर्शन, निर्देश, अध्ययन कार्यक्रम या शिक्षण या इसी तरह की प्रकृति की कोई अन्य गतिविधि शामिल है, लेकिन इसमें परामर्श, खेल, नृत्य, रंगमंच और अन्य रचनात्मक गतिविधियां शामिल नहीं हैं। 'कोचिंग सेंटर' वो है जिसमें कम से कम 50 छात्र हों। यूं फर्जीवाड़ा करते हैं कोचिंग सेंटर्सइन दिशानिर्देशों को झूठे या भ्रामक दावों, बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई सफलता दरों और मनमाने कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर तैयार किया गया है जो कोचिंग संस्थान अक्सर छात्रों पर थोपते हैं। ये गाइडलाइंस कोचिंग सेंटरों पर ही नहीं, बल्कि विज्ञापनों के माध्यम से उनकी सेवाओं का प्रचार करने वाले समर्थकों या जानी-मानी हस्तियों पर भी लागू होंगे। प्रचार करने वालों को यह गारंटी देनी होगी कि वो जिन दावों का समर्थन करते हैं वे सटीक और सही हैं। ताजा दिशानिर्देश की प्रमुख बातें विज्ञापनों का नियमन: दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से कोचिंग संस्थानों को पाठ्यक्रम, अवधि, फैकल्टीज की योग्यता, फीस, फीस रिटर्न की नीतियों, सफलता की दरों, सफलता की कहानियों, एग्जाम रैंकिंग, नौकरी को लेकर वादों, इच्छित संस्थानों में प्रवेश दिलाने के वादों, परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक पाने या प्रमोशन पाने से संबंधित झूठे दावे करने से रोकते हैं। झूठे दावों पर रोक: सेवाओं की गुणवत्ता या मानक के बारे में भ्रामक दावों पर सख्ती रोक लगाई गई है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि कोचिंग संस्थानों को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर, संसाधनों और सुविधाओं को लेकर बिल्कुल सही-सही बात बतानी चाहिए। छात्रों की सफलता की कहानियां: दिशानिर्देश में साफ कहा गया है कि लिखित सहमति के बिना कोचिंग सेंटर किसी छात्र का नाम, फोटो या प्रशंसापत्र अपने विज्ञापनों में शामिल नहीं कर पाएगा। विशेष रूप से यह सहमति छात्र की सफलता के बाद ही प्राप्त की जानी चाहिए। पारदर्शिता और प्रकटीकरण: कोचिंग केंद्रों को विज्ञापनों में छात्र की तस्वीर के साथ नाम, रैंक और पाठ्यक्रम के विवरण का खुलासा करना होगा। किसी भी अस्वीकरण (डिसक्लेमर) को अन्य महत्वपूर्ण विवरणों के समान फॉन्ट साइज के साथ प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। वैसे होता यह है कि दावे तो बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे जाते हैं जबकि डिसक्लेमर बिल्कुल छोटे अक्षरों में कहीं कोने में छिपा होता है। जल्दबाजी करने के दबाव पर रोक: कोचिंग सेंटर सीमित सीटों या बहुत भीड़ होने का डर दिखाकर छात्रों पर जल्दी से जल्दी एडमिशन लेने का दबाव बनाते हैं। गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि इस तरह का डर दिखाकर छात्रों और अभिभावकों पर जल्दबाजी में फैसला लेने का दबाव नहीं बनाया जा सकता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन से साझेदारी: प्रत्येक कोचिंग सेंटर को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ साझेदारी करनी होगी। इससे छात्रों और अभिभावकों को कोचिंग सेंटर के खिलाफ शिकायत करने का आसान रास्ता उपलब्ध होगा। शिकायतों पर कार्रवाई और दंड: इन दिशानिर्देशों के किसी भी उल्लंघन को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के उल्लंघन के रूप में माना जाएगा। इसी कानून के तहत उल्लंघनकर्ता कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई की जाएगी। सरकार का दावा- होती रही है कार्रवाईदरअसल,सरकार का कहना है कि केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने पहले भी भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है, जिनमें 45 नोटिस जारी किए गए हैं और 18 कोचिंग संस्थानों पर 54.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) ने भी छात्रों की शिकायतों में हस्तक्षेप किया है और 1.15 करोड़ रुपये से ज्यादा फीस के पैसे वापस करवाए हैं। सरकार का दावा है कि दिशानिर्देश कोचिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं। पिक्चर अभी बाकी है...दरअसल, हम जुगाड़ के बड़े फैन हैं। हर जगह, हर चीज का जुगाड़ ढूंढकर इतना मदमस्त हो जाते हैं कि क्या कहने! लेकिन जब यही जुगाड़ू प्रवृत्ति हमें ही शिकार बना लेती है तो मायूस हो जाते हैं और कभी इसे तो कभी उसे कोसने लगते हैं। बात शासन-प्रशासन की हो तब तो हमारा शगल सामने आ जाता है। बैठ जाते हैं कोसने- व्यवस्था को। लेकिन अपनी बारी आते ही, फिर से जुगाड़, जुगाड़ और जुगाड़। इसलिए, कानून बनने से पहले उसकी काट खोज ली जाती है। देखना होगा कि कोचिंग सेंटर के लिए आए ताजा दिशानिर्देशों की भी काट खोज ली जाएगी या वाकई में पारदर्शिता का द्वार खुलेगा।
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