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भारत से खराब नहीं होंगे संबंध... चीन यात्रा पर प्रचंड ने घेरा तो नेपाली पीएम ने दी सफाई, जानें क्या बोले ड्रैगन समर्थक ओली

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काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पद संभालने के बाद अपनी पहली यात्रा पर चीन जाने वाले हैं। इसे लेकर केपी शर्मा ओली ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि हाल में होने वाली चीन की यात्रा भारत से संबंधों को खराब नहीं करेगी। गुरुवार को काठमांडू के कांतिपुर कॉन्क्लेव के समापन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह भारत की जगह पहले चीन जा रहे हैं इसका मतलब यह नहीं कि संबंधों को नुकसान होगा। दिसंबर के पहले सप्ताह में ओली चीन की यात्रा पर जाएंगे। इस यात्रा को लेकर पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने आरोप लगाया कि सरकार विदेश नीति में संतुलन बनाने में नाकाम रही है।ओली ने कहा, 'हम एक संप्रभु राष्ट्र हैं और हमने कभी नहीं कहा कि हम भारत का दौरा नहीं करेंगे।' उन्होंने आगे कहा, 'हम वहां जाना चुनते हैं जो सुविधाजनक हो।' परंपरागत रूप से नेपाली प्रधानमंत्रियों ने पद संभालन के बाद सबसे पहली यात्रा भारत में की है। हालांकि कई हफ्तों तर भारत से उन्हें निमंत्रण नहीं मिला। इसके बाद नेपाली पीएम संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में हिस्सा लेने के लिए न्यूयॉर्क गए, जहां उन्होंने पीएम मोदी, चीनी विदेश मंत्री वांग यी समेत कई अन्य नेताओं से मुलाकात की। भारत से हमारे संबंध गहरेओली ने कहा, 'मैं संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका में गया था, क्योंकि यूएन का मुख्यालय अमेरिका में है, जहां मैंने कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं पहले अमेरिका जाना चाहता था। हम दो बड़े पड़ोसियों से घिरे हैं। हमें उनके साथ अच्छे संबंध बनाए रखने होंगे।' उन्होंने कहा, 'और मेरी चीन यात्रा से भारत के साथ हमारे संबंधों को कोई नुकसान नहीं होगा। भारत के साथ हमारे संबंध गहरे, ऐतिहासिक, संस्कृति और परंपरा पर आधारित हैं। यह आज के आधुनिक समय से पहले के हैं। हम संप्रभु राष्ट्र हैं और अपनी सुविधा के मुताबिक विदेश यात्रा करते हैं।' संविधान नष्ट नहीं होने देंगेबातचीत के दौरान ओली ने देश की अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय राजनीति, संविधान संशोधन के मुद्दे, संघीय और प्रांतीय सरकारों के बीच संबंध और पूर्व डिप्टी पीएम रबी लामिछाने की गिरफ्तारी सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह किसी भी तरह की खुली चुनौती के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक व्यवस्था के भविष्य पर बातचीत का स्वागत करते हैं, लेकिन संविधान नष्ट नहीं होने देंगे।
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