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सीतामढ़ी: 42 लाख की आबादी पर मात्र 34 डॉक्टर, ऐसे में कैसे होगा मरीजों का इलाज

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सीतामढ़ी: बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के बड़े-बड़े दावे करती है। आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये तक खर्च होते हैं, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और है। किसी अस्पताल में डॉक्टर नहीं है, तो कहीं जांच के बेसिक इंतजाम तक नहीं हैं। दवाओं का भी आभाव बना रहता है। सीतामढ़ी में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल यह है कि जिले की आबादी करीब 42 लाख है और यहां के सदर यानी जिला अस्पताल के कई विशेषज्ञ डॉक्टर का पद खाली हैं। ऐसे में आमजन को यहां किस हद तक चिकित्सा सुविधा मिलती होगी, सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। इन विशेषज्ञ चिकित्सक का पद खाली बताया गया है कि स्कीन, न्यूरो सर्जन, फिजिशियन, रेडियोलॉजिस्ट, कान और गला के चिकित्सक नहीं है। वहीं, हड्डी, आंख और सर्जन के साथ ही अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी है। खास बात यह कि सभी पद कोई महीनों से नहीं, बल्कि वर्षों से खाली हैं। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन की ओर से विभाग को बार बार लिखा जाता है, लेकिन सरकार डॉक्टरों को बहाल करने के बजाए हाथ पर हाथ रख बैठी हुई है। 70 के बजाए मात्र 30 डॉक्टर बताया गया है कि सदर अस्पताल में करीब 70 डॉक्टर की जरूरत है, जबकि वर्तमान महज 30 चिकित्सक हैं। वही स्वास्थ्य कर्मी महज 50 प्रतिशत हैं। यानी अन्य पद खाली है। सदर अस्पताल परिसर में मातृ-शिशु अस्पताल/मॉडल अस्पताल बन चुके हैं। दोनों का उद्घाटन भी हो चुका है, पर अब भी यहां से इमरजेंसी, वार्ड स्नेक वाइट, दमफुलिया, हेड इंज्यूरी दुर्घटना के मरीज और टूटे हड्डी के मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद एसकेएमसीएच/पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है, जिसमें से अधिकांश को शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। सड़क दुर्घटना के अधिकांश मरीज रेफर इमरजेंसी वार्ड से मिली जानकारी के अनुसार, जुलाई 24 में सदर अस्पताल में 2125 मरीज इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया, जिसमें से 689, अगस्त 24 में 2129 में से 636, सितंबर में 2095 में से 588 मरीज और अक्टूबर में अभी तक 150 से अधिक मरीज को रेफर किया गया है, जिसमें स्नेक वाइट, हेड इंज्यूरी, सड़क दुर्घटना, स्कीन डिजीज, जहर या नशाखोरी मरीजों को भी हायर सेंटर में रेफर कर दिया गया है। विशेषज्ञ डॉक्टर के नहीं रहने से परेशानी कुछ दिन पहले राजीव कुमार और संजय कुमार को सड़क दुर्घटना में प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया। स्नेक वाइट में इलाजरत चंदेश्वर मुखिया को भी एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर रेफर कर दिया गया है। इमरजेंसी वार्ड के कर्मी ने बताया कि सड़क दुर्घटना में हेड इंजुरी और हड्डी टूटे अधिकांश मरीज को रेफर कर दिया जाता है। बताया कि इमरजेंसी वार्ड में विषेशज्ञ डॉक्टर की ड्यूटी नहीं रहती है। विशेषज्ञ डॉक्टर की संख्या कम है। सड़क दुर्घटना या गोली लगने से घायल मरीज किसी भी समय इमरजेंसी वार्ड में आते हैं, तो विशेषज्ञ डॉक्टर के अभाव में रेफर कर दिया जाता है। क्या कहती हैं अस्पताल की उपाधीक्षकसदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ सुधा झा ने बताया कि उपलब्ध सुविधाओं, चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी के सहयोग से जिले भर से आने वाले मरीजों को सही इलाज करने की कोशिश की जाती है। विशेषज्ञ चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी की कमी है। खाली पदों को भरने का प्रयास किया जा रहा है।
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