पटना/हाजीपुरः आपने एक फिल्म 'थ्री इडियट' तो जरूर देखी होगी। उस फिल्म में रैंचो के कारनामे से तो अवगत होंगे ही। फिल्म के मुख्य कलाकार आमिर खान वैक्यूम क्लीनर को सक्शन पाइप की तरह प्रयोग करते हैं और बच्चे की डिलीवरी कराते हैं। मगर बिहार में ऐसे कई रैंचो भरे पड़े हैं। अगर ये बात कही जाए यहां रैंचो ही बिहार को बचाए हैं। तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। खैर, रैंचो की कहानी तो फिल्म की थी। जहां बरसात की वजह रैंचो को किसी तरह डिलीवरी करानी पड़ी थी। मगर बिहार के अस्पतालों के हालत ऐसे हैं कि यहां बिना रैंचो के काम ही न हो। माफ कीजिए! ये हम रैंचो का जिक्र बार बार इसलिए नहीं कर रहे कि रैंचो की तारीफ कर रहे हैं। बल्कि हम बिहार के उन इडियट्स की कहानी बताने की कोशिश कर रहे हैं। जिन्होंने इस अस्पताल को बिना पानी और बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित किए ही मरीजों के लिए खोल दिया।राजधानी पटना से महज 30 -40 किलोमीटर दूर हाजीपुर के शादी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कई दिनों से अंधेरे में डूबा है। यहां लगातार कई दिनों से मोबाइल की लाइट में डिलीवरी कराई जा रही है। रात बिरात अस्पताल में आने वाले मरीज परेशान हैं। क्योंकि अस्पताल में लाइट नहीं हैं। मगर, हैरान और परेशान प्रसूता और उसका परिवार किसी रैंचो को खोज रहा था। रैंचो को इस लिए क्योंकि उसी ने फिल्म थ्री इडियट में बिना किसी संसाधन के जुगाड़ तकनीक से बच्चे की डिलीवरी करवाई थी। जी हां, ये बात चुटीली जरूर है। मगर शर्म तो किसी को आती नहीं! बिहार में रैंचो भरोसे अस्पताल खैर, किसी तरह हाजीपुर के इस अस्पताल में डिलीवरी कराने आए परिवार की रैंचो की तलाश पूरी हो गई। मोबाइल टॉर्च की रोशनी में स्वास्थ्य विभाग के कई रैंचो ने मिल कर प्रसूता की डिलीवरी कराई। अच्छी बता ये है कि प्रसूता स्वस्थ है। मगर बिहार में स्वास्थ्य सेवा की लापरवाही की तस्वीर जरूर उजारग हो गई। ये अलग बात है कि बिहार के नौकरशाही से लेकर किसी की आंख में शर्म नहीं है। इस तस्वीर को देख कर ये कहा जा सकता है कि बिहार राम अवतारी रैंचो के भरोसे ही चल रहा है। 20 दिन पहले नीतीश कुमार और जेपी नड्डा ने किया था उद्घाटन चौंकाने वाली बात तो अभी और है। 20 दिन पहले इस अस्पताल को नए भवन में शिफ्ट कर किया गया। बिहार के विश्वकर्मा, विकास पुरुष माननीय नीतीश कुमार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री महर्षि सुश्रत अवतारी जेपी नड्डा ने 6 सितंबर को 7 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत के इस अस्पताल को जनता को समर्पित किया था। इस अस्पताल को रिमोट कंट्रोल से जनता को समर्पित किया था। मगर, शायद बिहार के विश्वकर्मा और उनके इंजीनियर अस्पताल में बिजली और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराना भूल गए। अब ये शोध का विषय है कि आखिर इतना समझदार और ज्ञानी कौन है? जो अस्पताल में बिजली और पानी की मूलभूत सुविधा गैरजरूरी मान कर भी 2024 में अपने शरीर में प्राण लिए घूम रहा है? खैर, अब यहां हर रोज आने वाले जच्चा और बच्चा के प्राण संकट में हैं। आखिर इडियट्स कौन?प्रसव पीड़ा से कराहती महिला और बेखौफ भ्रष्टाचार में लिप्त प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के बावजजूद मोबाइल की लाइट में डिलीवरी कराते स्वास्थ्य कर्मी किसी 'इडियट्स' से कम नहीं! जो हाजीपुर शादी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अब भी लोगों की जान बचाने में डटे हुए हैं। बिहार से बाहर के लोग जिन्होंने सरकार का ऐसा घटिया प्रबंध तंत्र नहीं देखा होगा। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि वाकई इडियट कौन? इस भवन का निर्माण करने वाला! या बिना अस्पताल में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराए उद्घाटन की इजाजत देने वाला! खैर, उन इडियट्स पर सवाल कोई नहीं उठा सकता, जो सिर्फ रिमोट का बटन दबाने आए थे। कई दिनों से अस्पताल में हो रही मोबाइल लाइट में डिलीवरी खैर, किसी तरह स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में भी जच्चा और बच्चा के प्राण बचाने वाले किसी भगवान से कम नहीं। जो रैंचो के रूप में लोगों की जान बचा रहे हैं। आपको बता दें, इस अस्पताल में एक दिन पहले भी रात करीब 1.30 बजे दर्द से छटपटाती महिला पार्वती नाम की महिला बच्चे को जन्म देने अस्पताल पहुंची थी। जिनकी जान भी इन्ही भगवानों ने बिना बिजली, पानी और स्वाथ्य उपकरणों के डिलीवरी करा कर बचाई बचाई थी। देखने वाली बात ये होगी कि बिहार के ‘इडियट्स’ को शर्म आती है या नहीं?
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