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आर्मी ने किया रूसी टैंक टी-90 का ओवरहॉल, लगातार बढ़ रही है सेना की आर्मर्ड कैपेबिलिटी

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नई दिल्ली : इंडियन आर्मी ने भारत में ही रूसी टैंक टी-90 का ओवरहॉल किया। यह आर्मी की बढ़ती आर्मर्ड कैपेबिलिटी (बख्तरबंद क्षमता) को दिखाता है। किसीभी टैंक को ओवरहॉल करना एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें टैंक के सभी पार्ट्स को खोलाजाता है, पार्ट्स को बदलने की जरूरत है तो उन्हें बदला जाता है। इस तरह बेस ओवरहॉलके बाद टैंक फिर से नई लाइफ पाता है और यह नए जैसा हो जाता है। T-90 भीष्म टैंक का सफल ओवरहॉलT-90 भीष्म टैंक का सफल ओवरहॉल आर्मी की कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंडमैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) ने दिल्ली कैंटोनमेंट स्थित 505 आर्मी बेस वर्कशॉप में किया। आर्मी चीफजनरल उपेंद्र द्विवेदी टी-90 टैंक की रोलआउट सेरेमनी में शामिल हुए। भारत ने टी-90टैंक रूस से लिए थे और 2003 से ही यह आर्मी का मेन बेटल टैंक है। ईस्टर्न लद्दाखमें एलएसी पर जब चीन के साथ तनाव शुरू हुआ और चीनी सैनिक जब पैंगोग लेक के उत्तरीकिनारे में फिंगर एरिया में काफी आगे आ गए थे तब भारतीय सेना ने दक्षिणी किनारे कीऊंची चोटियों पर कब्जा किया और यहां टी-90 टैंक भी पहुंचा दिए थे। जिसके बाद चीन बातचीत की टेबल पर नरम पड़ा। क्या होती है ओवरहॉल प्रक्रिया?ओवरहॉल प्रक्रिया में टैंक के सारे नट-बोल्ट खोलकर इसे फिर से बनायाजाता है। 200 से अधिक असेंबली और सब-असेंबली को सटीक मशीनिंग और रीसेटिंग तकनीकोंका उपयोग करके इसे खोला जाता है और फिर से बनाया जाता है। 505 आर्मीबेस वर्कशॉप (EME) के तकनीशियनों ने, ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEM) से ली गई कस्टमाइज्ड मशीनों और टेस्ट बेंच काउपयोग करते हुए टी-90 टैंक की ओवरहॉलिंग की। T-90 टैंक का सफलओवरहॉल इसलिए अहम है क्योंकि लगातार देश में ही रक्षा उपकरणों के स्पेयर्स पार्ट्सबनाने से लेकर मेंटेनेस की दिशा में काम हो रहा है। ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी के जरिए लिए थे टैंकजब भारत ने रूस से टी-90 टैंक लिए थे तो ये ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी के जरिए लिए थे। रूसी टेक्निशियनों ने ओवरहॉल की फैसिलिटी डिवेलप करने में मदद भी की।अब तक टी-90 टैंक अपने लाइफ पीरियड में ही था और अब तक ओवरहॉल का वक्त हुआ नहींथा। पहली बार टी-90 टैंक को ओवरहॉल किया गया और इस तरह टैंक फिर से नया जैसा होगया। आर्मी की बेस वर्कशॉप में टी-90 टैंक को ओवरहॉल करने से पहले इस बेस वर्कशॉपमें टेस्ट ओवरहॉल किया गया था। 8 टैंक के टेस्ट ओवरहॉल किए गए और यह प्रक्रियाकरीब 2 साल से चल रही थी। आर्मी के पास टी-90 टैंक करीब 39 यूनिटअब टी-90 टैंक का सफल ओवरहॉल कर बेस वर्कशॉप ने अपनीकैपिसिटी भी दिखाई है। आर्मी के पास अभी टी-90 टैंक की करीब 39 यूनिट हैं। हर यूनिट में करीब45 टैंक होते हैं। इस तरह सेना के पास 1700 से ज्यादा टी-90 टैंक हैं। इसके अलावासेना के पास टी-72 टैंक हैं, ये भी रूस से लिए गए थे। भारतीय सेना के टी-72टैंक को रिप्लेस करने के लिए फ्यूचर रेडी कॉम्बेट वीइकल (FRCV) परकाम हो रहा है। स्वदेशी इंडस्ट्री इसके डिवेलपमेंट पर काम कर रही है। करीब चार सालमें स्वदेशी फ्यूचर रेडी कॉम्बेट वीइकल डिवेलप हो जाएंगे। तब तक टी-72टैंक को रिटायर करने का टाइम भी आ जाएगा।
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