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उदयपुर खौफ में, 17 साल बाद सीधे गोली मारने के आदेश, पढ़ें पैंथर के टेरर की सिलसिलेवार कहानी

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उदयपुर: राजस्थान के उदयपुर जिले के गोगुन्दा इलाके में पिछले 15 दिनों से एक आदमखोर तेंदुए ने दहशत मचा रखी है। यह तेंदुआ अब तक 6 लोगों की जान ले चुका है और लोगों में दहशत का माहौल है। वन विभाग की टीमें लगातार तेंदुए को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली है। 150 से ज्यादा लोग, जिनमे आर्मी के जवान, वन विभाग के कर्मचारी और पुलिसवाले शामिल हैं, इस तेंदुए को ढूंढ रहे हैं। ड्रोन और पिंजरों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है, लेकिन तेंदुआ अभी भी पकड़ से बाहर है। यहां देखें पैंथर के हमले की सिलसिलेवार घटनाएं 1- यह मामला उदयपुर के गोगुन्दा इलाके का है जहां पिछले एक महीने में एक के बाद एक 7 लोगों पर तेंदुए ने हमला कर उनकी जान ले ली। सबसे पहले 19 सितंबर को उंडीथल गांव में 16 साल की लड़की कमला गमेती पर हमला हुआ था। 2- इसके बाद 19 सितंबर के दिन ही भेवड़िया गांव में 45 साल के खुमाराम गमेती शिकार हो गए। 3- 20 सितंबर को उमरिया गांव में 50 साल की हमेरी बाई गमेती पर तेंदुए ने हमला किया। यह जगह पहले वाले हमलों से करीब 2 किलोमीटर दूर है। 4- 25 सितंबर को इसी इलाके के कुरडाऊ गांव में भी खेत के पास खड़े युवक सूरज को पैंथर ने निवाला बना दिया। जिसके बाद उसकी मौत हो गई। 5- 28 सितंबर को बगडूंदा ग्राम पंचायत के गुर्जरों का गुड़ा में 55 साल की गटू बाई गुर्जर को तेंदुए ने अपना निशाना बनाया। 6- 30 सितंबर को विजय बावड़ी पंचायत के राठौड़ों का गुड़ा में मंदिर के पुजारी 65 साल के विष्णु पुरी पर हमला हुआ। 7- 1 अक्टूबर को विजयबावड़ी ग्राम पंचायत के केलवों का खेड़ा में 50 साल की कमला कुंवर को तेंदुए ने मार डाला। वन विभाग ने माना तेंदुआ हुआ आदमखोरस्थानीय लोग बता रहे हैं कि तेंदुआ अकेले लोगों पर हमला कर रहा है और उनके शवों को भी क्षत-विक्षत कर रहा है। वन विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि यह तेंदुआ आदमखोर हो चुका है। उदयपुर के DFO अजय चितोड़ा ने बताया कि 'करीब 1 महीने पहले झाड़ोल में बच्चे सहित दो जान लेने के बाद किसी लेपर्ड का मूवमेंट नजर नहीं आ रहा। वहां बिछीवाड़ा के दोनों घटनास्थलों पर 3-3 पिंजरे और 6-6 कैमरे अब भी लगे हैं। बिछीवाड़ा से 10 किमी और कीरट से 40 किमी दूर गोगुंदा की छाली पंचायत के उंडीथल में 19 सितंबर को पहला हमला हुआ।' 17 साल बाद गोली मारने के आदेशराजस्थान में 17 साल बाद फिर से आदमखोर तेंदुए को गोली मारने के आदेश जारी हुए हैं। इससे पहले साल 2007-2008 में प्रतापगढ़ में आदमखोर तेंदुए के हमलों के बाद ऐसे आदेश जारी किए गए थे। उदयपुर जिले में यह पहला मामला है। वन विभाग के इस फैसले का वन्य जीव प्रेमियों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि SOP के मुताबिक गोली मारने से पहले तेंदुए की पहचान की जानी चाहिए। इसके लिए उसके पंजे, मल और बालों के नमूने लिए जाने चाहिए। शूट करने से पहले लेपर्ड की पहचान जरुरी- दुबेवाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि 'एसओपी के अनुसार शूट करने से पहले लेपर्ड की पहचान की जानी आवश्यक है। इसके लिए संबंधित जानवर का पंजा, मल और बाल आदि का सेम्पल लिया जाता है। किसी इंसान का मांस खाये जाने की पुष्टि होने के बाद ही उसे नरभक्षी माना जाता है और इस प्रोसेस मे कई दिन लगते है। ऐसे मे शूट आउट के आदेशों के बाद किसी भी लेपर्ड को गोली नहीं मार सकते, उससे पहले ये कंफर्म करना जरुरी है कि जिसे गोली मारी जा रही है, वही नरभक्षी है।' इसके बाद वन विभाग का कहना है कि वह सारी प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है। तेंदुए को पकड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन अगर वह लोगों के लिए खतरा बना रहता है तो उसे मारने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होगा।
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