नई दिल्ली: भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से आयोजित तीन दिवसीय शोधार्थी सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ मोहन भागवत पहुंचे। विजन फॉर विकसित भारत, अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मलेन का उद्घाटन एसजीटी यूनिवर्सिटी में हुआ। यहां डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि दृष्टि की समग्रता ही भारत की विशेषता है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब तकनीकी प्रगति के मापदंडों की बात आती है तो मात्र चार प्रतिशत आबादी को 80% संसाधन मिलते हैं। ऐसे विकास के लिए लोगों को पूरी मेहनत से काम करना पड़ता है।नतीजे न मिलने पर निराशा होती है और ऐसी स्थिति में कभी-कभी कठोर कदम उठाने पड़ते हैं और अपने लोगों पर डंडा चलाना पड़ता है, जो आज की स्थिति में साफतौर से देखा जा रहा है। मोहन भागवत ने समझाया विकास का मतलबउन्होंने कहा कि यह विवाद इस प्रश्न पर आधारित है कि क्या हम विकास की राह पर चलते हुए पर्यावरण को नजरअंदाज कर सकते हैं, या फिर हमें विकास को सीमित करके प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए। मानव जीवन की आवश्यकता है कि वह संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करे, लेकिन इस प्रक्रिया में यह जरूरी नहीं कि वह केवल अपने ही हितों के बारे में सोचे। विकास का मतलब सिर्फ आर्थिक और भौतिक संपन्नता नहीं होना चाहिए, जीवन की गुणवत्ता, सामाजिक कल्याण और स्थिरता को भी ध्यान में रखना चाहिए।इस मौके पर इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने का यही सही समय है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि लगभग दो लाख प्रतिभागियों में से चुने हुए 1200 शोधार्थी एक साथ एक छत के नीचे बैठे हैं।
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