नालंदा: बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले जेडीयू पूरे राज्य में कार्यकर्ता समागम करेगी। पार्टी कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए यह अभियान शुरू होगा। मुजफ्फरपुर से 27 सितंबर को इसकी शुरुआत होगी। अगले चार महीनों तक सभी जिलों में यह कार्यक्रम चलेगा। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा इस अभियान की कमान संभालेंगे। नीतीश कुमार के आदेश पर समागम अभियानमुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। उनके निर्देश पर यह कार्यक्रम हो रहा है। बिहार के सभी 38 जिलों में कार्यकर्ता समागम होगा। इसकी शुरुआत मुजफ्फरपुर से होगी। 20 जनवरी 2025 को नालंदा में इसका समापन होगा। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा सभी जिलों के कार्यकर्ता समागम में मुख्य अतिथि होंगे। मुजफ्फरपुर से शुरू होगा समागममनीष वर्मा 27 सितंबर को मुजफ्फरपुर पहुंच रहे हैं। यहां एलएस कॉलेज के ऑडिटोरियम में कार्यक्रम होगा। इसमें पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर के कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल होंगे। इसके बाद मनीष वर्मा सभी विधानसभा क्षेत्रों के पदाधिकारियों से अलग-अलग मुलाकात करेंगे। वे दो दिन मुजफ्फरपुर में ही रहेंगे। समागम में पार्टी कार्यककर्ता दे सकेंगे सुझावपार्टी कार्यकर्ता और आम लोग अपनी बात मनीष वर्मा को बता पाएंगे। वे अपनी शिकायत और सुझाव भी दे सकेंगे। ये शिकायतें और सुझाव पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंचेंगे। 29 सितंबर को मनीष वर्मा मुजफ्फरपुर से सीवान जाएंगे। वहां दो दिनों तक कार्यक्रम चलेगा। इस अभियान को मनीष वर्मा को आगे बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है। मनीष वर्मा को नेता बनाने के लिए लॉन्चिंग पैड तैयारनीतीश कुमार के इस फैसले पर राजनीति के जानकारों का कहना है कि जेडीयू का समागम अभियान एक लॉन्चिंग पैड है। यह केवल मनीष वर्मा से राज्य भर के पार्टी कार्यकर्ताओं से परिचय करवाना है। इसके जरिए मनीष वर्मा की पार्टी के अंदर स्वीकार्यता बढ़ेगी और उन्हें पार्टी संगठन की कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपने में मददगार साबित होगी। यहां बता दें कि मनीष वर्मा IAS की नौकरी से वीआरएस लेकर जेडीयू में आए हैं। वह नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से आते हैं। साथ ही वह नीतीश कुमार की तरह कुर्मी जाति से हैं। इससे पहले नीतीश कुमार पूर्व आईएएस आरसीपी सिंह की भी पॉलिटिकल लॉन्चिंग करवा चुके हैं। आरसीपी सिंह जेडीयू के अध्यक्ष तक बने। हालांकि कई राजनीतिक फैसलों की वजह से उन्हें पार्टी से हटा दिया गया। उसके बाद वह बीजेपी में गए, जहां वह साइडलाइन कर दिए गए हैं।
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