श्रीराम के अश्व घोड़े को पकड़ लेने के बाद शुरू हुआ युद्ध
माता सीता को वन में भेजने के बाद श्रीराम ने अश्व यज्ञ किया था। इस अश्व यज्ञ में राम जी ने एक अश्व छोड़ा था, जो उनकी विजय का प्रतीक था। इस अश्व को कोई रोक न सका और यह आधी दुनिया पार कर गया। लेकिन, भगवान राम और माता सीता के पुत्रों लव और कुश ने इस अश्व को रोका और बंदी बना लिया। जब रामजी को इस बात की सूचना मिली कि उनके घोड़े को दो बालकों ने बंधक बनाकर रखा है, तो उन्होंने घोड़े को छुड़ाने के लिए कई योद्धाओं को वन में भेजा।
लव-कुश की वीरता के सामने नहीं टिक पाया कोई योद्धा
भगवान राम के भेजे हुए सभी योद्धाओं को लव और कुश ने परास्त कर दिया। अंत में जब सभी योद्धा परास्त हो गए, तो श्रीराम जी ने अपने परम मित्र और सेवक हनुमान जी को बालकों के पास भेजा। हनुमान जी ने लव-कुश की वीरता देखी, तो वे मन ही मन मुस्कुराने लगे। हनुमान जी यह समझ चुके थे कि वे कोई साधारण बालक नहीं हैं। हनुमान जी को यह भी समझ आ गया था कि नियति का उद्देश कुछ और है इसलिए हनुमान जी ने अपनी पूर्ण शक्ति का प्रदर्शन नहीं किया।
हनुमान जी को लव-कुश ने बनाया बंदी
हनुमान जी को लव-कुश ने निडर होकर युद्ध के लिए भी ललकारा लेकिन हनुमान जी अपनी शक्तियों का पूर्ण प्रदर्शन न करते हुए हार मान ली और तब लव-कुश ने हनुमान जी को भी बंदी बना लिया। हनुमान जी को बंदी बनाए जाने की बात जब श्रीराम तक पहुंची, तो श्रीराम इन वीर बालकों को देखने के लिए वन में पहुंचे। लव-कुश ने श्रीराम को भी युद्ध के लिए ललकारा।
लव-कुश का पराक्रम देखकर श्रीराम भी रह गए हैरान
श्रीराम और लव-कुश का युद्ध शुरू हुआ। लव-कुश की वीरता और पराक्रम देखकर श्रीराम भी हैरान थे। श्रीराम और उनके पुत्रों के बीच भीषण युद्ध की आशंका से सभी देवतागण भी चिंतित हो उठे। तब हनुमान जी ने माता सीता के पास जाकर उनसे विनती करके युद्ध रोकने की प्रार्थना की। तब सीता जी ने एक दिव्य बाण चलाया। इस बाण को देखकर राम जी ने देखा, तो उन्हें स्मरण हुआ कि इस बाण को उन्होंने सीता जी को दिया था। इस तरह से एक भीषण युद्ध टल गया।
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