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जानिए क्या है कार्सिनोमा और कितना खतरनाक है ये कैंसर, शरीर के इन अंगों को करता है सबसे ज्यादा प्रभावित

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आजकल कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है और यह हर किसी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे बढ़ती उम्र, लाइफस्टाइल, सिगरेट, शराब, तंबाकू आदि का सेवन। जब शरीर में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं तो कैंसर हो जाता है।यह बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। कार्सिनोमा भी कैंसर का एक सामान्य रूप है जो स्किन और हमारे इंटरनल ऑर्गन को कवर करने वाली कोशिकाओं में होता है। कार्सिनोमा ट्यूमर के रूप में स्किन, फेफड़ों, ब्रेस्ट प्रोस्टेट, किडनी, पेनक्रियाज आदि में बन सकता है। कार्सिनोमा अलग अलग प्रकार का होता है जैसे एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और बेसल सेल कार्सिनोमा। इनकी सभी की गंभीरता भी अलग होती है। इस आर्टिकल में हम कार्सिनोमा क्या है, कार्सिनोमा के प्रकार, लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से बताएंगे। कार्सिनोमा क्या है?कार्सिनोमा कैंसर का सबसे आम प्रकार है। दूसरे कैंसर की तुलना में कार्सिनोमा कैंसर के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। यह उन ऊतकों से शुरू होता है जिनसे हमारे शरीर के कई इंटरनल ऑर्गन और संरचनाओं के साथ स्किन भी बनती है। यह कैंसर फेफड़े, स्तन, प्रोस्टेट और कोलोन में सबसे ज्यादा होता है। कार्सिनोमा के प्रकारऐसे कई कैंसर हैं जिन्हें कार्सिनोमा के रूप में वर्गीकृत किया है लेकिन सबसे आम प्रकार के कार्सिनोमा में एडेनोकार्सिनोमा, बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू, इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा और रीनल सेल कार्सिनोमा शामिल है।एडेनोकार्सिनोमा: इस कैंसर की शुरुआत ग्लैंड्यूलर सेल्स में होती है जो बलगम जैसे तरल पदार्थ को बनाते हैं। ग्लैंड्यूलर सेल्स हमारे शरीर के सभी अंगों में पाए जाते हैं। एडेनोकार्सिनोमा के सामान्य रूपलंग कैंसर ब्रेस्ट कैंसर पैंक्रियाज कैंसर कोलन कैंसर image एडेनोकार्सिनोमा के लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करता है ब्रेस्ट कैंसर: ब्रेस्ट में गांठ होना और निप्पल से डिस्चार्ज होना। लंग कैंसर: खूनी बलगम के साथ खांसी, सीने में दर्द, और सांस लेने में तकलीफ।पेनक्रिएटिक कैंसर: पीलिया, यूरीन का रंग गाढ़ा होना, वेट लॉस, पीठ और पेट में दर्द।कोलन कैंसर: मल त्याग में परिवर्तन होना, मलाशय से ब्लीडिंग होना, पेट दर्द और अचानक वजन घटना। एडेनोकार्सिनोमा का उपचार एडेनोकार्सिनोमा इस बात पर निर्भर करता है कि यह कैंसर शरीर के किस हिस्से में है। सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी कैंसर के कुछ सामान्य इलाज हैं। एडेनोकार्सिनोमा के रिस्क फैक्टर्स ज्यादा शराब पीना अनहेल्दी डाइट धूम्रपान हार्मोन्स अनुवांशिक बेसल सेल कार्सिनोमाएनसीबीआई (Ref) के अनुसार बेसल सेल कार्सिनोमा स्किन कैंसर का ही एक प्रकार होता है। यह स्किन के उन हिस्सों पर होता है जो सूरज की रोशनी के संपर्क में ज्यादा आते हैं। भूरी और काली स्किन पर यह एक उभार की तरह दिख सकता है। आमतौर पर बेसिल सेल कार्सिनोमा फैलता नहीं है लेकिन इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। बेसल सेल कार्सिनोमा के लक्षण भूरा, काला या नीला घाव जो ठीक नहीं होता स्किन पर डार्क पैचेस चमकदार उभारें या गांठ गांठ में दर्द या खुजली गांठ में अल्सर भी बन सकता है बेसल सेल कार्सिनोमा का उपचार बेसल सेल कार्सिनोमा के सामान्य इलाज में सर्जरी, केमिकल पील, टारगेटेड थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, फोटोडायनेमिक थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल है। image बेसल सेल कार्सिनोमा के रिस्क फैक्टर्स गोरी त्वचा धूप में ज्यादा रहना परिवार में पहले भी कई लोगों को स्किन कैंसर होना उम्र कमजोर इम्यूनिटी स्क्वैमस कोशिकाएं स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC)स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा एक प्रकार का स्किन कैंसर है जो स्क्वैमस कोशिकाओं में विकसित होता है। अक्सर यह स्किन पर दिखाई देता है, लेकिन यह शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे सेल्स की लाइनिंग में भी पाया जा सकता है। बेसल सेल कार्सिनोमा की तरह यह भी स्किन के उन हिस्सों पर बढ़ने लगता है जो धूप के संपर्क में ज्यादा आती हैं। चूंकि यह इसकी शुरुआत स्किन पर होती है, ऐसे में व्यक्ति को इसके बारे में जल्दी पता लग जाता है। इससे इसका इलाज तुरंत शुरू हो सकता है। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के लक्षण स्केली और डार्क स्किन पैचघाव जिनसे और घाव बढ़ते हैं उम्र के अनुसार बढ़ने वाले धब्बेपपड़ीदार और गहरे रंग के त्वचा पर धब्बे खुले घाव शरीर में मौजूद मास तेल या अन्य गाव में किसी भी तरह का बदलाव स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का इलाज स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के इलाज के लिए मोह्स सर्जरी, क्रायोसर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, क्यूरेटेज, इलेक्ट्रोडेसिकेशन और फोटोडायनेमिक थेरेपी की मदद ली जाती है। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के रिस्क फैक्टर्स गोरी स्किन अधिक धूप में रहना स्किन कैंसर का पारिवारिक इतिहास 50 साल से ज्यादा उम्र कमजोरी इम्यूनिटी ह्यूमनटाइमह्यूमन पेपिलोमा वायरस(HPV) image डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू(DCIS)डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू ब्रेस्ट कैंसर का पहला प्रकार है। इसके सेल्स शरीर के दूसरे हिस्सों में नहीं जाते हैं और इसकी शुरुआत ब्रेस्ट डक्ट्स की लाइनिंग से होती है। हालांकि यह नॉन इनवेसिव है लेकिन कुछ मामलों में यह इनवेसिव हो सकता है। डक्टल कार्सिनोमा के लक्षण इस कैंसर के कुछ खास लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू में मरीज को ब्रेस्ट में छोटी सी गांठ दिख सकती है या फिर निप्पल से डिस्चार्ज भी हो सकता है। ऐसा होने पर डॉक्टर मेमोग्राफी स्क्रीनिंग करके इसका पता लगाते हैं। डक्टल कार्सिनोमा के रिस्क फैक्टर्स मोटापा घने स्तन जेनेटिक्स पीरियड्स का जल्दी होना डक्टल कार्सिनोमा का इलाज इस कैंसर के इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं जैसे मास्टेक्टॉमी, लम्पेक्टॉमी, लम्पेक्टॉमी के साथ रेडिएशन थेरेपी और हार्मोनल थेरेपी के साथ सर्जरी। इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा(IDC)आईडीसी एक बहुत ही सामान्य प्रकार का इनवेसिव ब्रेस्ट कैंसर है। स्तन कैंसर के 80% मामले आईडीसी के हैं। डीसीआईएस की तरह यह ब्रेस्ट डक्ट की लाइनिंग से शुरू होता है। इसके बाद यह आसपास के ब्रेस्ट टिशू और लिम्फ नोड्स में फैल जाता है। इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा के लक्षण डीसीआईएस की तरह इसमें भी व्यक्ति में कुछ खास लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में डॉक्टर मेमोग्राफी स्क्रीनिंग के जरिए इस बीमारी का पता लगाते हैं। ब्रेस्ट में गांठ निप्पल के आसपास डिंपल पड़ना स्किन का काला होना सूजन निप्पल से डिस्चार्ज होना अंडरआर्म में गांठ का होना image इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा का इलाज मास्टेक्टॉमी, लम्पेक्टॉमी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी और बायोलॉजिकली टारगेटेड थेरेपी से इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा का इलाज किया जाता है। इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा के रिस्क फैक्टर्स मोटापा घने स्तन जेनेटिक्स पीरियड्स का जल्दी होना रीनल सेल कार्सिनोमा(RCC)यह बहुत ही आम प्रकार का किडनी कैंसर है जो किडनी के अंदर ट्यूमर के रूप में विकसित होता है। यह बहुत ही घातक कैंसर होता है जो शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। यह कैंसर सबसे पहले ट्यूब्यूल लाइनिंग में होता है। किडनी के अंदर ये ट्यूब ब्लड फिल्टर करने के अलावा मूत्र उत्पादन करने में मदद करते हैं। रीनल सेल कार्सिनोमा के लक्षण शुरुआती स्टेज में रीनल सेल कार्सिनोमा के ध्यान देने वाला कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है। हालांकि ट्यूमर बढ़ने के साथ ही इस बीमारी का पता चलता है। ऐसे में यदि व्यक्ति को नीचे दिए गए इन लक्षणों में से कुछ भी दिखता है तो फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। भूख कम लगना बिना किसी कारण वजन घटना शरीर के किनारे दर्द होना पेट में गांठ यूरीन में ब्लड आना एनीमिया रीनल सेल कार्सिनोमा का इलाज रेडिएशन थेरेपी कीमोथेरेपी सर्जरी इम्यूनोथेरेपी और टारगेट थेरेपी के जरिए आरसीसी का उपचार किया जा सकता है। रीनल सेल कार्सिनोमा के रिस्क फैक्टर्स मोटापास्मोकिंगहाइपरटेंशन ट्राइक्लोरोइथिलीन के संपर्क में आना पारिवारिक इतिहास डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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