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MP में PM मोदी की श्री अन्न मिलेट्स योजना पर ग्रहण, हाथियों की मौत से किसानों को नुकसान, कोदो खरीदने वाला कोई नहीं

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उमरिया: बांधवगढ़ में जंगली हाथियों की मौत ने अब किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है। किसान अपनी फसल को लेकर चिंतित हैं और बाजार के व्यापारियों की चौखट खटखटा रहे हैं। हाथियों की मौत का कारण जैसे ही फंगस लगी कोदों खाना बताया गया और यह रिपोर्ट वायरल हुई तो किसानों की फसल बाजार में बिकना बन्द हो गई। अगर कहीं ले भी रहे हैं तो वह औने-पौने दाम में बिक रही है।एक तरफ किसानों की फसल नहीं बिक रही और वहां वन विभाग कोदों की फसल को जलाने की बात कर रहा है। ऐसे में डर के मारे बेबस किसान कोदों की फसल कटाने में जुटा है। मगर, वह बिकेगी कहां, यह किसी को पता नहीं है। इसके कारण किसान भारी भरकम कोदों की फसल रखे हुए हैं और सरकार से कह रहे हैं कि हमारी फसल तो बिकवाओ। जंगली हाथियों की मौत की खबर से असरकिसानों का कहना है कि जंगली हाथियों की मौत के बाद अब हमारी कोदों की फसल कोई नहीं ले रहा है। पीएम की महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल श्री अन्न मिलेट्स में कोदों की फसल को भी शामिल किया गया था लेकिन आज की स्थिति यह है कि कोदों की फसल बाजार में भी नहीं बिक रही है। किसानों के पास हजारों क्विंटल कोदों की फसल रखी है, जिसे खरीदा ही नहीं जा रहा है। कहीं बिक भी रहा है तो माटी के मोल बिक रहा है। ऐसे में किसान बेहद चिंतित हैं और सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठा है कि कब सरकार हमारी फसल को खरीदेगी। किसानों ने सुनाई व्यथाग्राम देवगंवा निवासी किसान इंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि मेरा 20 क्विंटल कोदो हो गया है। इसको कोई लेने वाला नहीं है। कहते हैं कि बांधवगढ़ के सलखनिया में कोदो खाने से हाथियों की मौत हो गई है, इसके कारण कोई भी लेने वाला नहीं है। सरकार बोलती है कि मोटे अनाज की खेती करो तो हम लोग खेती कर रहे हैं। पिछले साल कम खेती किए थे लेकिन इस साल ज्यादा खेती किए हैं। हमारे पास 20 क्विंटल कोदो हो गया है। इस साल कोई लेने वाला ही नहीं है। दूसरे किसान के भी यही हालवहीं ग्राम देवगंवा के दूसरे किसान राकेश सिंह का कहना है कि मेरे यहां तो पिछले साल कोदो कम बोया गया था लेकिन इस वर्ष काफी मात्रा में हुई है। कहते हैं कि सलखनिया में हाथी मर गए हैं तो हमको उससे क्या लेना देना। पिछले वर्ष तो कोदो 50 रुपये किलो बिका था, इस वर्ष 18 - 19 रुपए किलो खरीद रहे हैं। हमारे यहां तो हजारों क्विंटल कोदो की खेती है, किसान तो ऐसे ही मर गए। हम लोग कहां जाएं।
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