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जानिए भारत की उन इमारतों के बारे में, जिन्हें कर दिया गया था ध्वस्त, तीन तो हैं नई दिल्ली और नोएडा से

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वर्तमान में जब भी कोई चीज हमारे सामने नहीं होती है, तो वो यादों में तब्दील हो जाती है। आज हम भारत की कुछ ऐसी इमारतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी भारत का इतिहास दर्शाया करती थी, लेकिन ये सभी इमारतें ध्वस्त यानी डिमोलिश (Demolish) हो गई है। बता दें, भारत ये सभी इमारतें बढ़ती आबादी और शहरीकरण की मांग, सुरक्षित न होने के कारण, प्राकृतिक आपदा, हमलों के कारण ध्वस्त हो गई थी।

अब इन इमारतों के जगह, इन इमारतों ने ली है, तो कुछ जगहें खंडहर बन चुकी है। आइए जानते हैं डिमोलिश होने वाली भारत की इन इमारतों का निर्माण किन- किन शहरों में हुआ था। (All Representaive pic-wikimedia commons)
हॉल ऑफ नेशंस - प्रगति मैदान, नई दिल्ली image

हॉल ऑफ नेशंस ( ट्विन टावर Hall of Nations) एक एग्जीबिशन हॉल था। जिसका निर्माण साल 1972 में नई दिल्ली में प्रगति मैदान में किया गया था। यहां पर दुनिया की पहला और सबसे बड़ा स्पेस फ्रेम स्ट्रक्चर बनाया गया था। इस इमारत का निर्माण भारतीय स्वतंत्रता के 25 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए किया गया था और उस दौरान यहां ट्रेड फेयर एग्जीबिशन हुआ करते थे। बता दें, सुरक्षा के पैमाने को देखते हुए साल 24 अप्रैल, 2017 में इसे ध्वस्त कर दिया गया।


ट्विन टावर, नोएडा image

नोएडा के सेक्टर-93 ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी में टि्वन टावर को साल 2022 में ध्वस्त कर दिया गया था। ट्विन टावर ढहाए जाने में 3700 किलो विस्फोटक लगाया गया था। विस्फोटक लगाने के लिए 9 हजार 800 से ज्यादा छेद दोनों टावर में किए गए थे। बता दें, इस इमारत का निर्माण भ्रष्टाचार की बुनियाद पर हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जांच में पाया था कि सुपरटेक ने इन टावरों को बनाते समय निर्माण शर्तों का जमकर उल्लंघन किया था। इस ट्विन टावर का निर्माण साल 2009 में शुरू हुआ था। इस दोनों टावर में कुल 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे,लेकिन कुछ खरीदारों ने यह आरोप लगाया कि बिल्डिंग के प्लान में बदलाव किया गया है और हमारे साथ धोखा हुआ है।


नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री, नई दिल्ली image

नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री नई दिल्ली में स्थित एक बेहद ही खूबसूरत म्यूजियम हुआ करता था। जिसका निर्माण साल 1972 में किया गया था और फिर इसे साल 1978 में खोला गया था। बता दें, ये म्यूजियम मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट्स ऑफ इंडिया के तहत कार्य करता था।

यह इमारत दिल्ली के तानसेन मार्ग पर बाराखंबा रोड पर स्थित थी। हर दिन इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं, लेकिन साल 2016 में भीषण आग के कारण इस इमारत को ध्वस्त कर दिया था। जिसके बाद अब सिर्फ यादें बची हैं।


मद्रास सेंट्रल जेल, चेन्नई image

मद्रास सेंट्रल जेल भारत की सबसे पुरानी जेलों में से एक थी, जिसे 1837 में ब्रिटिश राज के दौरान बनाया गया था। इसे 1855 तक मद्रास पेनिटेंटरी (Madras Penitentiary) कहा जाता था, जब इसका नाम बदलकर सेंट्रल जेल कर दिया गया। इसे मूल रूप से अंडमान और निकोबार आइलैंड में बनी सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) में 'सजाए काला पानी' की सजा काटने वाले दोषियों को रखने के लिए बनाया गया था। लेकिन साल 2006 में इमारत को चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड को सौंप दिया गया और नए निर्माण के लिए इसे ध्वस्त कर दिया गया।


लाल महल, पुणे image

लाल महल भारत के लिए एक ऐतिहासिक प्रतीक था, जो महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है। इसकी जड़ें साल 1630 में शिवाजी महाराज के समय से चली आ रही हैं। तब इसमें शिवाजी का परिवार रहता था। मिट्टी और पत्थरों से बने इस खूबसूरत और आलीशान महल में विभिन्न शाही समारोह होते थे, लेकिन 17वीं सदी के दौरान मुगल हमलों ने इस महल को नष्ट कर दिया था। जिसे बाद इसका पुनर्निर्माण दूसरे तरीके से किया, लेकिन अब वो इतिहास में पन्नों में दर्ज हो गया है, जिसमें कभी शिवाजी महाराज अपने परिवार के साथ रहा करते थे।

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