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इंडिया-मिडिल ईस्ट कॉरिडोर IMEC से बदलेगी भारत की तस्वीर... ग्लोबल ट्रेड में हो जाएगा दिल्ली का दबदबा, समझें

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रियाद: भारत, अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ बीते साल, 2023 में भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) पर सहमत हुए थे। इन देशों ने वैश्विक व्यापार को बढ़ाने और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला करने के लिए आईएमईसी बनाने का फैसला किया है। आईएमईसी का लक्ष्य 47 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संयुक्त जीडीपी को बुनियादी ढांचे के नेटवर्क से जोड़ना और बेहतर अंतरराष्ट्रीय संचार नेटवर्क पर तैयार करना है। इसके सफल होने के लिए, इसमें शामिल देशों को भू-राजनीतिक चुनौतियों पर काबू पाते हुए रणनीति को मजबूत करना होगा। ये गलियारा सफल होता है तो भारत की सूरत बदलने वाला साबित हो सकता है।ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि साल 2023 के अंत में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) स्थापित करने का ऐलान किया गया। आईएमईसी चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के सामने एक रणनीतिक जवाब है। साथ ही इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक व्यापार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है। ये प्रोजेक्ट भारत के लिए भविष्य में काफी कारगर हो सकता है। आईएमईसी और भारत को लाभआईएमईसी चीन के बीआरआई का कोई सीधा विकल्प नहीं है लेकिन यह चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया का हिस्सा है। ऐसे में चीन के पड़ोसी देश भारत की भूमिका इसमें अहम हो जाती है। आईएमईसी में भारत की भागीदारी देश की बढ़ती कूटनीतिक शक्ति को भी दिखाती है। यह गलियारा भारत को पश्चिम एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के प्रमुख देशों के साथ अपने भू-राजनीतिक गठबंधनों को मजबूत करने का मौका देता है। ये गलियारा भारत को वैश्विक व्यापार में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने का एक शानदार मंच देता है। आईएमईसी के जरिए भारत वैश्विक व्यापार नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत कर सकता है। यह गलियारा भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा। इससे वित्तीय समावेशन और डिजिटल लेनदेन में आसानी होगी। इससे भारत डिजिटल व्यापार और संचार में नए मानक स्थापित कर सकता है। आईएमईसी भारत के लिए वैश्विक व्यापार नेटवर्क में अपनी स्थिति को मजबूत करने का भी अवसर है। व्यापार दक्षता, रीन्यूबल एनर्जी और डिजिटल कनेक्टिविटी के जरिए क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक लचीलापन बढ़ाने का काम करिया जा सकता है। प्रोजेक्ट के लेकर कई अहम सवाल भीआईएमईसी 47 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संयुक्त जीडीपी वाले देशों को जोड़ने वाला एक व्यापक बुनियादी ढांचा नेटवर्क बनाना है। इसमें शिपिंग लेन, रेलवे, अंडरसी केबल और सौर ग्रिड शामिल हैं। इस पहल में वैश्विक व्यापार दक्षता को बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की संभावनाएं हैं लेकिन इसकी सफलता पर अभी कई सवाल हैं। यह गलियारा पश्चिम एशिया से गुजरेगा, जहां संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता का जोखिम सकती है। इंटरमॉडल परिवहन यानी रेल, समुद्री और सड़क परिवहन को मिलाना भी तार्किक जटिलताएं पैदा करता है। आईएमईसी का लक्ष्य शिपिंग समय को 40 प्रतिशत तक कम करना है, इससे लागत कम होगी। इसमें ये भी दावा है कि आईएमईसी में शामिल इंटरमोडेलिटी अतिरिक्त हैंडलिंग, ट्रांसशिपमेंट और समन्वय आवश्यकताओं के चलते लागत बढ़ेगी, जो परियोजना की सफलता पर सवाल खड़े करती है। आईएमईसी को सफल बनाने के लिए इसमें शामिल भाग लेने वाले देशों को एक ऐसी कार्यान्वयन योजना पर काम करना चाहिए जो इन चुनौतियों का सीधा समाधान करें।
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