Top News
Next Story
NewsPoint

वंचित बच्चों के कल्याण के लिए क्या कदम उठाए- हाईकोर्ट

Send Push

जयपुर, 1 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, केन्द्रीय बाल विकास कल्याण मंत्रालय और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि बच्चों को सभी प्रकार के दुव्र्यवहार से बचाने व सडक़ किनारे रहने वाले बच्चों को आश्रय गृह, शिक्षा एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए। इसके अलावा वहीं बच्चों के अधिकारों व संरक्षण के लिए बनाए कानून व नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए क्या पहल की है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य के सीएस, प्रमुख बाल अधिकारिता सचिव, राजस्थान बाल संरक्षण आयोग के चेयरमैन, केन्द्र सरकार व रालसा के सदस्य सचिव से भी जवाब देने के लिए कहा है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश फुटपाथ पर अपनी बेटियों के साथ रहने वाली विधवा महिला के मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए दिया। इसके अलावा अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तंबू में रहने वाले बच्चों व महिला की देखभाल व सुरक्षा पर भी ध्यान दे।

अदालत ने कहा कि किसी भी बच्चे को भारत के संविधान के अनुसार दिए गए उनके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। कोई भी बच्चा दुर्व्यवहार का शिकार नहीं हो, चाहे वह शारीरिक हो या भावात्मक तौर रूप से हो। अदालत ने सीनियर एडवोकेट वीरेंद्र लोढ़ा, एडवोकेट सुनील समदरिया व सोनल सिंह, एएजी मनोज शर्मा, एएसजी आरडी रस्तोगी को मामले में सहयोग करने के लिए कहा है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के अनुसार, राजस्थान पहला राज्य है जिसके पास बाल अधिकार के मुद्दों के लिए अलग और स्वतंत्र विभाग है, लेकिन कई बाल कानून और नीतियां होने के बावजूद यह कल्याणकारी राज्य, कानून की भावना के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहा है। गौरतलब है कि अदालत के सामने आया था कि एक विधवा महिला ने अपनी दो बेटियों सहित चार बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए जिला बाल कल्याण समिति से गुहार लगाई थी। महिला ने कहा था कि वह बच्चों सहित सडक पर तंबू में रहते हैं, लेकिन उसे बेटियों के साथ अनहोनी की चिंता सताती है, इसलिए चारों बच्चों को सरकार किसी गृह में रखवा दिया जाए।

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now