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माता-पिता की न करें कभी अवहेलना, यही है असली शिक्षा : राज्यपाल

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कानपुर, 28 सितम्बर (हि.स.)। अथक परिश्रम से शिक्षा के जरिये जीवन को सफल बनाया जा सकता है, लेकिन असली शिक्षा आपके संस्कार होते हैं जो सदैव आपके व्यक्तित्व को उंचाइयों पर ले जाने को अग्रसर होते हैं। इसलिए माता-पिता की कभी अवहेलना न करें और यही असली शिक्षा है। यह बातें शनिवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कही।

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में शनिवार को 39वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का शुभारंभ मंत्रोच्चार के साथ हुआ। इस दौरान शोभायात्रा के साथ कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल, विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव, कार्य परिषद, अकादमिक परिषद के सदस्य गण, संकायाध्यक्ष, सभी विभागाध्यक्ष प्रेक्षागृह में पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत में नन्हे-मुन्ने बच्चों ने पर्यावरण वॉक कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

इस दौरान कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने समारोह की अध्यक्षता की जबकि एआईसीटीई के वाइस चेयरमैन डॉ. अभय जेरे मुख्य अतिथि के तौर पर वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय तथा उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डीजी कॉलेज की छात्रा रीतिका अवस्थी को कुलाधिपति मेडल समेत छह पदक मिले। इस दौरान उन्होंने अपनी सफलता के श्रेय माता पिता को देते हुए बताया कि वह भविष्य में प्रोफेसर बनना चाहती हैं। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई।

इस दौरान उन्होंने कहा हमें विश्वविद्यालय का छात्र होने पर गौरव होता है हर छात्र हमारा ब्रांड एंबेसडर है, हमें देश को कुछ देने की भावना को उद्देश्य बनाकर कार्य करना चाहिए। मैंने कभी कल्पना भी नहीं कि थी एक दिन विश्वविद्यालय से मुझे यह सम्मान मिलेगा। मैं इस सम्मान से अभिभूत हूं। दीक्षांत समारोह में कुल 105 मेडल वितरित किए गए। जिसमें एक चांसलर गोल्ड मेडल, दो सिल्वर मेडल, 33 ब्रॉन्ज मेडल, 12 वॉइस चांसलर गोल्ड मेडल के साथ प्रायोजित मेडल दिए गए। मेडल पाकर छात्र व छात्राओं में गजब का उत्साह देखने को मिला और हवा में उछलकर अपनी खुशियों का इजहार किये।

एक क्लिक पर डिजीलॉकर में अपलोड हुआ डेटा, विवि देश भर में नंबर वन

दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति ने एक क्लिक पर डिजीलॉकर में सभी छात्रों की डिग्री और मार्कशीट अपलोड कर दी। समारोह में 118737 छात्र-छात्राओं को डिग्री एवं 7 लाख 47 हजार 369 मार्कशीट डिजीलॉकर में अपलोड की गयी। डिजीलॉकर में डेटा अपलोड होते ही सीएसजेएमयू देश भर में नंबर वन पर आ गया।

इन्हें मिले पदक

डीजी कालेज की रितिका अवस्थी को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, सीएसजेएमयू की पूनम को कुलाधिपति कांस्य पदक, सीएसजेएमयू की सपना को कुलाधिपति कांस्य पदक, कारगिल शहीद महाविद्यालय के निखिल यादव को कुलाधिपति कांस्य पदक, आचार्य नरेंद्र देव नगर निगम महिला विद्यालय की नंदिनी गुप्ता को कुलाधिपति कांस्य पदक, सीएसजेएमयू की कामाख्या चतुर्वेदी को कुलाधिपति कांस्य पदक, सीएसजेएमयू की शालिनी उपाध्याय को कुलाधिपति कांस्य पदक और मनविंदर कौर भाटिया को कुलाधिपति कांस्य पदक प्रदान किये गये। दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति पदक (स्वर्ण, सिल्वर, ब्रांज सभी मिलाकर) 36 पदक तथा कुलपति स्वर्ण पदक 12 तथा 57 स्पान्सर्ड स्वर्ण पदक सहित कुल 105 पदक दिये गए। इस दौरान 57 छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति की ओर से पदक प्रदान किये गए, जिसमें 39 छात्राएं तथा 18 छात्रों को पदक दिये गए। समारोह में डीजी कॉलेज की संगीत पाठ्यक्रम की छात्रा रितिका अवस्थी को कुलाधिपति स्वर्ण पदक सहित कुल छह पदों से नवाजा गया।

क्या बोले टॉपर्स

रितिका को बनना है प्रोफेसर, म्यूजिक से बनानी है पहचान

दीक्षांत समारोह में सर्वाधिक पदक हासिल करने वाले रितिका अवस्थी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया। रीतिका ने बताया कि भविष्य में उच्च शिक्षा के लिए यूजीसी नेट और पीएचडी के बाद अकादमिक में गायन में करियर बनाना है। म्यूजिक पंसदीदी विषय शुरु से ही रहा है इसलिए इससे ही अपनी पहचान बनानी है।

खट्टा मीठा रहा सफर पर मंजिल ने दी संतुष्टि

दीक्षांत समारोह में छह पदक हासिल करने वाली आकृति ने कहा कि यहां तक पहुंचाने की यात्रा काफी खट्टी मीठी सी सी थी, लेकिन मंजिल पर पहुंच कर जो संतुष्टि मिली वह अनोखी सी है। मैंने अपने पापा का सपना आज पूरा कर दिया। कानून की पढ़ाई करने वाली आकृति अपना भविष्य न्यायपालिका में तलाश रही हैं। वह आगे चलकर न्यायधीश बनना चाहती हैं। वह आगे चलकर एलएलएम की पढ़ाई के साथ-साथ पीसीएस जे की तैयारी भी करना चाहती है।

हिंदी में है रुचि

हिंदी विभाग के देवांश दीक्षित को कुलाधिपति स्वर्ण पद प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि मैं वीएसएसडी कॉलेज से हूं। देवांश ने बताया कि उन्हें अपने पापा का सपना पूरा किया है और बोले उनकी मां ने पढ़ने में सबसे ज्यादा उनकी मेहनत की। आगे चलकर हिंदी भाषा में ही स्वंय को स्थापित करना है।

काश बाबा को भी साथ ला पाया होता

दीक्षांत समारोह में कांस्य पदक हासिल करने वाले विक्रम बहादुर वर्मा ने कहा कि पहली बार है जीवन में जब कोई यह बात मुझसे पूछ रहा है बहुत ही अच्छा महसूस कर रहा हूं काश ! मैं बाबा को साथ ला पाया होता। मेरे टीचर्स ने मुझे मेरे करियर को तराशने में बड़ी भूमिका निभाई। मेरा मानना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।

यह मेडल भविष्य के लिए प्रेरित करेगा

बी.एड. की सपना ने कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि यह मेरे परिवार के लिए बहुत गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि मैं आगे भी ऐसे ही कड़ी मेहनत करती रहूंगी जिससे मैं अपने सारे सपने पूरे कर सकूं और परिवार का नाम रोशन कर पाउंगी।

माता-पिता को किया गौरवान्वित

मेडल प्राप्त करने वाली एमकॉम की भारती गुप्ता ने कहा कि बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं और उन्होंने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता पिता को दिया। भारती ने कहा कि मां-बाप ने शिक्षा के लिए बेहतर अवसर दिया और हर संभव प्रेरित किया इसलिए यह सफलता हासिल कर सकी हूं।

राज्यपाल से मिलकर सातवें आसमान पर हूं

बी.कॉम. विभाग की छात्रा अनुराधा शर्मा ने अपनी मां के प्रति बेहद आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि अपने जीवन में ऐसे क्षण की अनुभूति पहली बार हुई। कभी सोचा नहीं था कि राज्यपाल महोदया से मंच पर बुलाकर सम्मान मिलेगा। राज्यपाल महोदया से तीन मेडल पाकर खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही हूं।

संस्कृत पढ़ने के लिए किया प्रोत्साहित

संस्कृत विषय में पदक प्राप्त करने पर प्रज्ञा ने कहा की सभी को संस्कृत पढ़नी चाहिए, मेरा मानना है यह एक रुचिकर विषय है। संस्कृत में पढ़ने का वातावरण मेरे पिता राजदेव शर्मा से मिला। वह संस्कृत में व्याकरणाचार्य हैं, दर्शनाचार्य हैं, विद्वान है। अपनी संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।

जीवन के सफर में जुड़ा एक और अनुभव

कुलाधिपति कांस्य पदक प्राप्त करने वाली पूनम ने कहा कि कभी नहीं सोचा था कि यहां तक पहुंच कर अपने परिवार का नाम रोशन कर पाउंगी। आज इस मंच पर सम्मानित होकर जीवन के सफर में एक और खूबसूरत अनुभव जुड़ गया है।

शारीरिक शिक्षा में शुरू से ही थी रुचि

शारीरिक शिक्षा ने पदक प्राप्त करने वाले निखिल ने कहा कि राज्यपाल से मंच पर पदक प्राप्त करके बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं और कहा कि मेरे माता पिता के लिए गर्व का क्षण हैं।

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