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इतने हिस्सों में भी मत बांटो कि बाद में याद आए हमारे हिस्से में कुछ नहीं बचा : उपराष्ट्रपति धनखड़

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जयपुर, 26 सितंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इतने हिस्सों में भी मत बांटो कि बाद में याद आए कि हमारे हिस्से में कुछ नहीं बचा है। हमारी संस्कृति में तुलसी को जल चढ़ाना, चींटी को आटा देना। पहले रोटी गाय और अंतिम रोटी कुत्ते को देने के साथ नाग पंचमी पर नाग की पूजा करना। नवरात्रि में बालिकाओं की पूजा करना हमारी संस्कृति में शामिल है। यह भारतीय संस्कृति के मूल मंत्र को समझता है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ गुरुवार को जयपुर के राजापार्क स्थित दशहरा मैदान में हिंदू आध्यात्मिक और सेवा मेले शुभारंभ कार्यक्रम में बोल रहे थे। मेला पांच दिन तक चलेगा। इस अवसर पर जगतगुरु निंबार्काचार्य श्याम शरण देवाचार्य, साध्वी ऋतंभरा, स्वामी चिदानंद सरस्वती और डॉक्टर चिन्मय पंड्या की मौजूद थे।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत को खंडित करने के लिए कुछ लोग ऐसे लगे हुए हैं। आप उसका अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। जब पड़ोस के देश में कुछ हुआ, तब देश का एक वकील देश में का डर पैदा करता है कि हमारे यहां भी ऐसा माहौल हो सकता है। कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ दर्दनाक घटना हुई। अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उसकी मौत हुई उसके साथ जघन्य अपराध हुआ। सनातन धर्म में नारी शक्ति को शक्ति केंद्र माना गया है। सनातन भूमि आज विश्व का केंद्र बनी हुई है। हमारे देश की आठ प्रतिशत एनुअल ग्रोथ हुई है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मत चूके चौहान, आप सक्षम है, अपनी शक्ति को पहचानिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुझे चिंता होती है, कुछ लोग ऐसा मुद्दा लेकर आते हैं कि वह विदेश में देश को तोड़ने वाले लोगों के साथ बैठ जाते हैं। सनातन के खिलाफ बात करते हैं। आजादी के बाद देश में काफी संकट आए थे। आपातकाल उसी संकट में से एक था। इंदिरा गांधी ने खुद की कुर्सी को बचाने के लिए आपातकाल लगाया था। तब कोई अधिकार हमारे पास नहीं रहे। आज मैं आपसे आह्वान करता हूं कि आप उस कालखंड को कभी मत भूलिएगा। यह ताकतें आज भी देश को टुकड़ों में बांटने के लिए सनातन को चुनौती देने के लिए जुटी हुई है। 25 जून संविधान हत्या दिवस है। जयपुर जानता है जिन-जिन लोगों को उस वक्त जेल में डाला वह प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति बने हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सामने कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जो चुनौती पूर्ण है। जिनका समाधान दुनिया को सिर्फ भारत दे सकता है। क्लाइमेट चेंज एक बड़ी चुनौती है। हमारे पास धरती के अलावा रहने के लिए दूसरा प्लेनेट नहीं है।आप सनातन की फिलॉसफी में जाएंगे। तो पता चलेगा कि हम तो कभी भी क्लाइमेट चेंज को आने ही नहीं देते। हम भारतीय है, राष्ट्रीय धर्म हमारा परम कर्तव्य है। निजी और राजनीतिक हित को राष्ट्रहित से ऊपर नहीं रख सकते है। हमारी हजारों साल की संस्कृति है। 2047 में भारत को विकसित राज्य बनाना है। यह सपना देश के प्रधानमंत्री ने देखा है। यह सपना उन्होंने 2014 में नहीं देखा था। क्योंकि तब सपने देखने का वक्त नहीं था। बल्कि, देश के हालात सुधारने का वक्त था। 2019 में जब देश के हालात सही हुए, तब उन्होंने यह सपना देखा। उन्होंने आज दुनिया के लोग भारत का अध्ययन करते हैं। वह कोशिश करते हैं कि हममें कुछ कमी निकाले। लेकिन भारत वह देश है, जहां 10 में से चार लोग कार्य में सम्मिलित रहते हैं। वह दूसरों की सेवा में जुटे रहते हैं। जब मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था। तब मैंने देखा था, भारत के लोग खुद संकट में होकर दूसरों को संकट से निकालने का काम कर रहे थे।

चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पूरे दुनिया में भारत को सांपों की पूजा करने वाला माना जाता था। तब हमने दुनिया में बताया था, सनातन और हिंदू धर्म क्या है। दुनिया एआई की चर्चा करती है हम दुनिया को आरआई यानी ऋषि इंटेलिजेंस देंगे। भारत एनआई इंटेलिजेंस भी देगा। नेचर इंटेलिजेंस भी देगा। आज पूरे विश्व में उस सनातन के लिए सम्मान है। लेकिन, भारत के कुछ लोग विदेश में जाकर सनातन पर सवाल उठाते हैं। जो पूरी तरह गलत है। सनातन तो सबको साथ लेकर चलता है। हमारे देश में कोरोना के वक्त सभी देशों फ्री वैक्सीन बाटी। आज अकेले चलने का समय नहीं है। आरएसएस इसी तर्ज पर काम कर रहा है।

वहीं साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि हमारी क्षत्रिय राजपूतानियां अगर जौहर कर सकती हैं तो हम कभी भी छोटे-मोटे लालच के लिए धर्म परिवर्तन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे सामने भी चुनौतियां हैं। हमने उन चुनौतियों को स्वीकार किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक मां भारती की सेवा में चढ़ गए है। बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म की की घटनाओं ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है। साध्वी ने कहा कि एक दो बेटियों की मां रात को चैन से नहीं सो पाती है। लेकिन मैं संन्यासी होने के बाद हजारों बेटियों की मां हूं। उन्हें पढ़ने से लेकर शादी तक करने की जिम्मेदारी मेरी है। आज चारों तरफ विपत्तियां हैं, इसलिए आप संगठित रहिए। जातियों से मोह छोड़कर हिंदू बने रहिए। मुझे चित्तौड़ की धरती को प्रणाम करना है। जहां की देवियों ने लाशों से दुष्कर्म करने वाले लोगों के सामने जहर खाकर नहीं अग्नि स्नान करके अपने प्राणों को त्यागने का फैसला किया। जब वह लोग अपने प्राण को त्याग सकते हैं। तो हम भय और लालच के लिए अपना धर्म क्यों त्यागे।

उन्होंने कहा कि अगर हमें ये बताना पड़ रहा है कि कूड़ा कूड़ेदान में डालो। अपने घर का कूड़ा उठा कर पड़ोसन के आगे नहीं डालना है। कचरा दिमाग में अगर हो तो वो भी अच्छा नहीं है। मुझे भारत को भारत बनाना है। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्याम चरण महाराज ने कहा कि हम हिंदू हैं। हमारी संस्कृति से अच्छी कोई और संस्कृति और धर्म नहीं है। सिर्फ सनातन ही ऐसा धर्म है, जो दुनिया को सही दिशा प्रदान करेगा।

मेले में 27 सितंबर को कन्या और सुहासिनी वंदन किया जाएगा। जिसमें 2100 कन्याओं का पूजन किया जाएगा। 28 सितंबर को शिक्षक वंदन होगा। जिसमें लगभग 2100 शिक्षक और गुरुओं का वंदन किया जाएगा। 29 सितंबर को मातृ-पितृ वंदन कार्यक्रम रहेगा। जिसमें सभी अपने माता-पिता का वंदन करेंगे। 30 सितंबर को परमवीर वंदन कार्यक्रम का आयोजित किया जाएगा, जिसमें परमवीर चक्र विजेताओं का वंदन किया जाएगा। एचएसएस प्रदेश सचिव सोमकांत शर्मा ने बताया कि अब 30 सितंबर तक मेले में हर दिन अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। एचएसएस फेयर का उद्देश्य आध्यात्मिक और सामाजिक संगठनों की ओर से समाज में किए जा रहे सेवा कार्यों को जन-जन पहुंचाकर आम जनता को इससे जोड़ना है। हिंदू सेवा मेले से जंगल, वन्य जीव संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा, परिवार, मानवीय मूल्य, नारी सम्मान और देशभक्ति भावना जगाने का कार्य किया जाता है। जयपुर में चौथी बार होने जा रहे इस मेले में हिन्दू समाज के मठ, मंदिरों और सामाजिक संस्थाओं की ओर से किए जा रहे सेवा कार्यों की जानकारी और उनसे जुड़ने का मौका दिया जाएगा।

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