कुल मिलाकर स्विट्जरलैंड की तटस्थता की नीति और युद्ध से बचने की नीति ने इसे एक शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।
स्विट्जरलैंड संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों में सक्रिय रूप से शामिल है, लेकिन उसने अभी तक किसी भी सैन्य गठबंधन में भाग नहीं लिया है। हालाँकि यह 2002 में संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन गया, लेकिन इसने अपने सैनिकों को शांति अभियानों में केवल सीमित भूमिका दी है। इससे पता चलता है कि स्विट्ज़रलैंड न केवल अपनी तटस्थता की नीति का पालन करता है, बल्कि इसे अपने राष्ट्रीय मूल्यों का हिस्सा मानता है
स्विट्जरलैंड के पास बहुत मजबूत और आधुनिक सैन्य बल है, जो विशेष रूप से आंतरिक सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा के लिए सुसज्जित है। स्विस सेना का प्रशिक्षण बहुत सख्त है, लेकिन इसका उपयोग केवल देश की रक्षा और आपदाओं से निपटने के लिए किया जाता है। सरकार की प्राथमिकता सैन्य बलों को सीधे युद्ध में शामिल करने के बजाय शांति और कूटनीति के माध्यम से मुद्दों को हल करना है।
स्विट्जरलैंड की तटस्थता (स्थायी तटस्थता) का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। 1815 में वियना कांग्रेस के बाद प्रमुख यूरोपीय देशों ने इसे एक तटस्थ राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। इसका मतलब यह था कि स्विट्जरलैंड किसी भी सैन्य संघर्ष में शामिल नहीं होगा और उसने शांति बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने का वादा किया। इसी नीति के कारण प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध जैसे बड़े संघर्षों के दौरान भी स्विट्ज़रलैंड ने अपनी सीमाएँ बंद रखीं और इन युद्धों से दूर रहा।
दुनिया के इतिहास में कई देश अपने वीर सैनिकों के बलिदान के लिए जाने जाते हैं। हर देश के सैन्य बल किसी न किसी युद्ध में शहीद हुए हैं। लेकिन स्विट्ज़रलैंड एक ऐसा देश है जिसने युद्ध में कभी अपना कोई सैनिक नहीं खोया। यह असाधारण लग सकता है, लेकिन इसके पीछे स्विट्जरलैंड की अनूठी सैन्य और विदेश नीति है, जो बाकी दुनिया से अलग और खास है।
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