बेंगलुरु। संसद की जेपीसी वक्फ संशोधन बिल पर विचार-विमर्श कर रही है। माना जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार वक्फ संशोधन बिल को पास कराने की तैयारी कर रही है। वहीं, वक्फ संशोधन बिल पर मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल विरोध जता रहे हैं। मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि वक्फ संशोधन बिल के जरिए बीजेपी की सरकार मुस्लिमों की जमीन कब्जे में लेना चाहती है। वहीं, बीजेपी का कहना है कि वक्फ कानून में तमाम खामियां हैं और इसमें मुस्लिमों और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व भी नहीं मिला हुआ है। इन सबके बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी ने वक्फ संसोधन बिल पर विरोध जताया है।
एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलुर्रहीम मुजद्दीदी ने बेंगलुरु में शनिवार को कहा कि मुस्लिम वक्फ कानून में संशोधन नहीं चाहते और सरकार को इसे पास कराने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। एआईएमपीएलबी महासचिव ने दावा किया कि 13 दिन में ही 3.66 करोड़ से ज्यादा मुस्लिमों ने जेपीसी को ई-मेल भेजकर वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया है। मौलाना मोहम्मद फजलुर्रहीम मुजद्दीदी ने कहा कि इससे पहले जब भी वक्फ संशोधन बिल लाए गए, तो उनका मकसद बोर्ड को मजबूत करना था। एआईएमपीएलबी महासचिव ने कहा कि अब जो बिल लाया जाने वाला है, वो वक्फ बोर्ड को कमजोर करने वाला है। इस कारण मुस्लिमों का सबसे अहम संगठन इसके विरोध में है। मौलाना मुजद्दीदी ने आग्रह के अंदाज में कहा कि इस मसले पर ध्यान दिया जाए और देखा जाए कि मुस्लिम क्या चाहते हैं। उन्होंने ये संकेत भी दिए कि वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ कानूनी कदम भी उठा सकते हैं।
मोदी सरकार ने संसद के पिछले सत्र में वक्फ संशोधन बिल पेश किया था। जहां से इसे जेपीसी में भेजा गया। वक्फ एक्ट काफी पुराना है और यूपीए सरकार के दौर में वक्फ बोर्डों को मजबूत किया गया था। पिछले काफी समय से वक्फ बोर्डों की तरफ से जमीनों पर कब्जे किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। तमिलनाडु के एक गांव पर वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया। जबकि, वहां हजारों साल पुराना मंदिर भी है। इसके अलावा कर्नाटक में वक्फ बोर्ड ने एक गांव की 1500 एकड़ जमीन पर कब्जे का दावा किया। हो-हल्ला मचने के बाद इस पर सरकार ने कदम वापस खींचते हुए सरकारी दस्तावेजों से वक्फ बोर्ड का नाम बाहर किया। बिहार के एक गांव को भी वक्फ के कब्जे में लेने का मामला बीते दिनों हुआ।
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