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Pakistan: पाकिस्तान में संविधान संशोधन विधेयक को लेकर गठबंधन सरकार की चुनौती, समर्थन की कमी से संसद में पेश नहीं हुआ बिल

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नई दिल्ली। पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने सोमवार को एक बार फिर से विवादास्पद संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पेश करने का प्रयास टाल दिया। यह फैसला स्पष्ट रूप से विधेयक पारित कराने के लिए आवश्यक संख्या बल की कमी के कारण लिया गया। संशोधन विधेयक के प्रावधान अभी भी स्पष्ट नहीं हैं, क्योंकि सरकार ने इसे मीडिया के साथ साझा नहीं किया है और न ही सार्वजनिक रूप से इस पर कोई चर्चा की है। हालांकि, जो रिपोर्ट्स सामने आई हैं, उनके अनुसार सरकार न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल निश्चित करने की योजना बना रही है।

विधेयक को जल्द संसद में पेश करने की योजना

सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सीनेटर इरफान सिद्दीकी ने मीडिया को जानकारी दी कि संशोधन विधेयक सोमवार को संसद में पेश नहीं किया जाएगा। उन्होंने जियो न्यूज से बातचीत में बताया कि सोमवार को दोनों सदनों का सत्र स्थगित रहेगा और अगली बार तब बुलाया जाएगा जब सरकार सभी पहलुओं से पूरी तरह तैयार होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या इसमें महीनों की देरी हो सकती है, सिद्दीकी ने कहा कि विधेयक एक या दो सप्ताह के भीतर संसद में पेश किए जाने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा, “हमारी इच्छा थी कि यह विधेयक दो दिनों के भीतर पारित हो जाए।”

गठबंधन के भीतर समर्थन की कमी बनी समस्या

संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को नेशनल असेंबली में 224 और सीनेट में 64 वोटों की आवश्यकता है। नेशनल असेंबली में गठबंधन का संख्याबल 213 और सीनेट में 52 है, जबकि नेशनल असेंबली के आठ और सीनेट के पांच सदस्यों के साथ जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान का समर्थन महत्वपूर्ण हो गया है। फजलुर रहमान का समर्थन पाने में विफल रहने के कारण सरकार को विधेयक पेश करने का कदम टालने पर मजबूर होना पड़ा।

संशोधन विधेयक पर बना रहस्य

संविधान संशोधन से संबंधित विस्तृत जानकारी अभी सामने नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस विधेयक के माध्यम से न्यायपालिका में बड़े बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है। इनमें न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के कार्यकाल को निश्चित करना प्रमुख मुद्दे हो सकते हैं।

 

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