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बिल्ली रास्ता काट जाए तो क्या अपशकुन होता है? यहाँ जानिए जवाब

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वृंदावन के प्रेमानंद महाराज, जो अपने ज्ञान और उपदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं, के पास लोग अक्सर अपने प्रश्नों के उत्तर खोजने आते हैं। वे सरलता से जटिल प्रश्नों को समझाते हैं, जिससे लोग उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होते हैं। हाल ही में एक व्यक्ति ने महाराज से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा: “कई बार मुझे अंधविश्वासों से डर लगता है। मुझे डर है कि कहीं कोई अंक गलत न हो जाए या कोई बिल्ली रास्ता काट जाए, तो क्या अपशगुन हो जाएगा? ऐसे में हमें क्या करना चाहिए?”

प्रेमानंद महाराज ने इस प्रश्न का उत्तर बड़ी सूझ-बूझ से दिया। उन्होंने कहा, “कई लोग कहते हैं कि अगर कोई छींक दे, तो यह अपशगुन है। यदि कोई बिल्ली रास्ता काट जाए, तो यह भी अपशगुन माना जाता है। मैं कहता हूँ कि यदि इस संसार के जितने भी अपशकुन हैं, वे एक साथ आ जाएं, तो भी चिंता करने की कोई बात नहीं है। इस स्थिति में ‘राधा राधा राधा’ का जाप करो। अगर कोई बाधा आती है, तो हमें बताना।

“देखो, ये सब बातें, जैसे कि ग्रह-नक्षत्र, शुभ-अशुभ, और विभिन्न प्रकार के विघ्न, तब ही प्रभावी होते हैं जब आप प्रभु से विमुख होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर काली बिल्ली रास्ता काट गई, तो आपके हृदय की धड़कन तेज हो गई। लेकिन अगर आप उस काली बिल्ली को ‘श्यामा श्याम’ समझकर प्रणाम करके आगे बढ़ जाते हैं, तो फिर एक बिल्ली क्या, कितनी ही बिल्ली रास्ता काट जाएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।” प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा, “सबसे पहला विघ्न यही है कि जब आपका हृदय घबरा जाता है, तब यहीं से आपकी हार शुरू होती है। जब आपको लगे कि विघ्न हो गया है, तो तुरंत ‘जय-जय श्री राधे’ का उच्चारण करें। इससे न केवल आपका मन शांत होगा, बल्कि विघ्न भी आपके लिए मंगल का कारण बनेगा।

“याद रखें, जितने भी विघ्न हैं, वे सब प्रभु के सेवक हैं। कोई भी विघ्नविनायक ऐसा नहीं हो सकता है जो प्रभु के विमुख होकर आपकी हानि पहुंचा सके। इसलिए, आपकी मान्यता और विश्वास आपके अनुभव को आकार देते हैं। अगर आप शुभ की अपेक्षा करेंगे, तो शुभ आपके पास आएगा; यदि आप अशुभ के बारे में सोचते हैं, तो वह भी आपके जीवन में प्रकट होगा। इसलिए, हमें न शुभ देखना है, न अशुभ। हमारा ध्यान केवल प्रभु की भक्ति पर होना चाहिए। जब हम अपने मन को सकारात्मकता और श्रद्धा से भरते हैं, तो जीवन की कठिनाइयाँ अपने आप हल हो जाती हैं।”

इस प्रकार, प्रेमानंद महाराज ने अंधविश्वास और विघ्नों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास किया, यह बताते हुए कि सच्ची भक्ति और विश्वास ही असली शक्ति है।

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