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सरकार अब अपनी नजर ग्रामीण बैंकों पर बनाए हुए है। आपको बता दें कि देश में अभी 43 ग्रामीण बैंक है, जिनकी संख्या घट कर 28 हो सकती है। सरकार इन बैंकों का मर्जर करने का प्लान कर रही है। इस से लागत कम होगी साथ ही कैपिटल बेस भी बढ़ेगा। इसके लिए सरकार ने डाक्यूमेंट्स भी तैयार कर लिए हैं। ग्रामीण बैंक छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और कारोबारियों को क्रेडिट देते हैं जिनकी कैपिटल और टेक्नोलॉजी तक पहुंच नहीं होती है।
31 मार्च, 2024 तक, इन बैंकों के पास सामूहिक रूप से ₹6.6 लाख करोड़ की जमा राशि थी, जिसमें ₹4.7 लाख करोड़ की अग्रिम राशि थी। एक बैंकिंग अधिकारी के अनुसार मर्जर के बाद, प्रत्येक राज्य में केवल एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) संचालित होगा। वित्त मंत्रालय ने इस मामले से संबंधित ईमेल का जवाब नहीं दिया है। वर्तमान में, सरकारी स्वामित्व वाले बैंक अभी भी भारत में बैंकिंग क्षेत्र के आधे से अधिक हिस्से पर संपत्ति के मामले में हावी हैं। सरकार ने बैंकों के कामकाज में सुधार करने और कैपिटल के लिए सरकार पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए उन्हें कंसोलिडेट करने की कोशिश की है।
कितनी घट चुकी है संख्या
आपको जानकारी के लिए बता दें कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार की 50 फीसदी, स्पॉन्सर या शेड्यूल्ड बैंकों की 35 फीसदी और राज्य सरकार की 15 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार ने 2004-05 में बैंकों को कंसोलिडेट करने का प्रोसेस शुरू किया था। 2020-21 तक ये संख्या 196 से घटाकर 43 हो गई थी। इसके अलावा इस प्रस्ताव में महाराष्ट्र में दो रीजनल बैंकों का मर्जर किए जाने का भी प्लान है। साथ ही आंध्र प्रदेश में भी चार बैंकों को मिलाने की बात कही गई है।
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