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Income Tax Act Update: वित्त मंत्री कर रहे हैं डायरेक्ट टैक्स कोड को सरल बनाने के लिए बदलाव

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आयकर का नाम सुनते ही छूट, कटौती, और इसकी जटिल शब्दावली से आम व्यक्ति परेशान हो जाता है। लोगों की इन समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार आयकर अधिनियम 1961 में संशोधन की तैयारी कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम लोगों के लिए डायरेक्ट टैक्स कोड को आसान भाषा में लाने का निर्देश दिया है ताकि सरल कानूनों और एकरूप कर दरों से कानूनी विवादों में कमी आए। 2009 से इसके बारे में चर्चा हो रही है, और उम्मीद है कि 2025 के बजट के समय यह लागू किया जाएगा। यहां कुछ मुख्य बदलाव दिए गए हैं:

  • करदाता वर्गीकरण सरल किया जाएगा: करदाताओं की पहचान केवल निवासी और अनिवासी के रूप में की जाएगी, जिससे ROR (रिहायशी), RNOR (रिहायशी लेकिन आमतौर पर नहीं) और NR (अनिवासी) जैसी श्रेणियां समाप्त हो जाएंगी।

  • वर्ष संबंधी भ्रम समाप्त: आकलन वर्ष और पूर्व वर्ष जैसे शब्दों को हटा दिया गया है। रिटर्न फाइलिंग के लिए केवल "वित्तीय वर्ष" शब्द का ही प्रयोग किया जाएगा।

  • पूंजीगत लाभ को नियमित आय माना जाएगा: पूंजीगत लाभ को नियमित आय के रूप में कर के दायरे में लाया जाएगा। वित्तीय परिसंपत्तियों पर अल्पकालिक लाभ पर 20% और दीर्घकालिक लाभ पर 12.5% कर लगेगा।

  • सैलरी आय का नाम बदलकर रोजगार आय किया गया: "सैलरी आय" को अब "रोजगार आय" कहा जाएगा और अन्य स्रोतों से आय का नाम "अन्य स्रोतों से आय" रहेगा।

  • आयकर फाइलिंग में अधिक सहायक होंगे लोग: सीए के अलावा, अब सीएस और सीएमए को भी टैक्स ऑडिट करने की अनुमति दी जा सकती है, जिससे टैक्स ऑडिट का दायरा बढ़ जाएगा।

  • कंपनियों के लिए समान कर दर: घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियों पर समान कर दर लागू होगी, जिससे अनुपालन आसान होगा और विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

  • सभी प्रकार की आय पर टीडीएस और टीसीएस: नई कर प्रणाली में, लगभग सभी प्रकार की आय पर स्रोत पर कर कटौती (TDS) और स्रोत पर कर संग्रह (TCS) लागू होगा। कई भुगतानों पर टीडीएस दर 5% से घटाकर 2% की जा रही है, जबकि ई-कॉमर्स के लिए टीडीएस दर 1% से 0.1% की जा रही है।

  • अधिकांश कटौतियों और छूटों को समाप्त किया जाएगा: कर रिटर्न दाखिल करना आसान हो जाएगा। नए वेतन कर व्यवस्था में कर्मचारियों के लिए मानक कटौती 50% बढ़ाकर ₹75,000 कर दी गई है।

  • डायरेक्ट टैक्स कोड-2025 के लक्ष्य

    • कर नियमों को सरल बनाना ताकि वे आसानी से समझ में आ सकें
    • करदाता संख्या को बढ़ाकर 1% से 7.5% करना
    • लोगों के लिए कर अनुपालन को आसान बनाना
    • स्पष्ट कर कानूनों के माध्यम से कानूनी विवादों को कम करना
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