कमल हासन (अंग्रेज़ी: Kamal Haasan, जन्म- 7 नवंबर 1954, तमिलनाडु) फ़िल्म दुनिया में अपनी अलग ही अदाकारी के लिए मशहूर, दक्षिण भारतीय फ़िल्मों के सबसे ज्यादा अनुभवी अभिनेता की उपाधि से सम्मानित हैं। कमल हासन को दिए गए सम्मानों की सूची बहुत लंबी है। इन्हें पाँच राष्ट्रीय पुरस्कार, 13 दक्षिण भारतीय फ़िल्मफेयर अवॉर्ड, 2 फ़िल्मफेयर अवॉर्ड, तीन नंदी अवॉर्ड, नौ तमिलनाडु स्टेट नेशनल अवॉर्ड आदि प्रदान किए गए हैं। इन सब के अलावा कमल हसन को भारतीय सरकार द्वारा पद्मश्री भी दिया गया है। बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाने के बाद अभिनेता कमल हसन हॉलीवुड में काम करने की तैयारी में हैं। कमल द्वारा निर्मित व निर्देशित फ़िल्म विश्वरूप के साउंड इफेक्ट्स ऐसे हैं जो विश्व में पहली बार इस्तेमाल किये गए हैं।[1]
पिछले चार दशक के लंबे सिने कैरियर में कमल हसन ने कई सुपरहिट फ़िल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। बहुमुखी प्रतिभा के धनी कमल हासन ने न केवल अभिनय की प्रतिभा से बल्कि गायकी निर्माण, निर्देशक, पटकथा, लेखक, गीतकार, नृत्य, निर्देशन, पटकथा और गीत लेखन तथा नृत्य निर्देशक से भी सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाया है। सुपर स्टार बनने तक के उनका सफ़र कभी आसन नहीं रहा। क्षेत्रीय फ़िल्मों के साथ ही हिंदी फ़िल्मों में भी अपने अनोखे विषय और प्रस्तुति ने उन्हें 'महानायक' बना दिया।
कमल हसन का जन्म 7 नवंबर, 1954 को तमिलनाडु के 'परमकुडी' में हुआ था। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी और जाने माने वकील थे। उनके पिता चाहते थे कि उनके तीन बच्चों में कम से कम एक बच्चा अभिनेता बने। अपनी इस चाहत को पूरा करने के लिए उन्होंने कमल हसन को अभिनेता बनाने का निश्चय किया। कमल हासन ने अपने सिने कैरियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार 1960 में प्रदर्शित फ़िल्म 'कलाधुर कमन्ना' से की। जाने माने निर्देशक ए.भीम सिंह के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में उन्होंने अपने दमदार अभिनय से न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता, बल्कि वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। फ़िल्म कलाधुर कमन्ना की सफलता के बाद कमल हसन को 'थयइल्ला पिल्लई' (1961), 'पारथल पसी थीरूम' (1962), 'पथा कन्नीकई' और 'वनामबडी' (1963), जैसी फ़िल्मों में बतौर बाल कलाकार अभिनय करने का मौका मिला।
इसके बाद उन्होंने लगभग नौ वर्षों तक फ़िल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया और अपना ध्यान पढाई की और लगाना शुरू कर दिया। सत्तर के दशक में अपने पिता के जोर देने पर उन्होंने अपनी पढाई छोड़ दी और अपना ध्यान फ़िल्म इंडस्ट्री की और लगा दिया। इस बीच, अपने पिता के कहने पर उन्होंने नृत्य की भी शिक्षा हासिल की और कुछ फ़िल्मों में सहायक नृत्य निर्देशक के रूप में भी काम किया।
वर्ष 1978 में कमल हासन ने 'वाणी गणपति' से विवाह कर लिया, किंतु दस साल बाद ही 1988 में इन दोनों का रिश्ता टूट गया। इस रिश्ते के टूटने की वजह थी कमल हासन का अभिनेत्री सारिका के साथ डेटिंग करना। इसके बाद से ही कमल हासन और सारिका एक साथ रहने लगे और पहला बच्चा होने के बाद शादी कर ली। सारिका से कमल हासन की दो बेटियां है श्रुति हासन और अक्षरा हासन। श्रुति हासन भी अभिनेत्री हैं साथ ही उन्हें गाने का भी शौक़ है। साल 2004 में कमल हासन और सारिका ने तलाक ले लिया। अब कमल हासन गौतमी तडीमल्ला के साथ रह रहे हैं। 80 और 90 के दशक में गौतमी भी एक अभिनेत्री थीं। कमल हासन जाति-पात में विश्वास नहीं रखते।
1972 में कमल हासन की मुलाकात दक्षिण भारत के जाने माने निर्माता-निर्देशक के. बालचंद्रन से हुई, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान कर अपनी फ़िल्म 'अरंगेतरम' में काम करने का अवसर दिया। 1973 में प्रदर्शित इस फ़िल्म में उन्होंने अभिनेत्री के भाई की भूमिका निभाई। अपनी छोटी सी भूमिका में भी उन्होंने अपने किरदार के साथ भरपूर न्याय किया और दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे। वर्ष 1973 में एक बार फिर कमल हासन को के.बालचंद्रन की फ़िल्म 'सोलाथान निनाईकरण' में काम करने का अवसर मिला।
लेकिन वर्ष 1975 में प्रदर्शित फ़िल्म 'अपूर्वा रंगनागल' में मुख्य अभिनेता के रूप में निभाए गए किरदार से उन्हें पहचान मिली। फ़िल्म में उन्होंने एक ऐसी बागी युवक की भूमिका निभाई जो अपने से एक अधिक उम्र की महिला से प्यार करने लगता है। 1977 में प्रदर्शित फ़िल्म '16 भयानिथानिले' की व्यावसायिक सफलता के बाद कमल हासन स्टार कलाकार बन गए। इस फ़िल्म में उन्होंने एक ऐसे ग्रामीण युवक की भूमिका निभाई जो गांव के एक दबंग आदमी के चुंगल से एक युवती को आजाद कराता है और उसे मारकर जेल चला जाता है। फ़िल्म में दबंग युवक की भूमिका अभिनेता रजनीकांत ने निभाई जबकि युवती की भूमिका अभिनेत्री श्रीदेवी ने निभाई थी।
1981 वह दौर था जब कमल हासन अपनी पहली हिंदी फ़िल्म से सुपर हिट हो गए। निर्माता एल.वी. प्रसाद की फ़िल्म 'एक दूजे के लिए' में अभिनय किया। फ़िल्म में उन्होंने एक ऐसे युवक की भूमिका निभाई जो दुसरे धर्म की लड़की से प्यार करने लगता है, जबकि दोनों के परिवार वाले इस रिश्ते के सख्त ख़िलाफ़ है। फ़िल्म में कमल हासन ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। 1982 कमल हसन की एक और सुपरहिट तमिल फ़िल्म 'मुंदरम पिरई' रिलीज़ हुई, जिसके लिए वह अपने सिने कैरियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए। 1983 में 'सदमा' शीर्षक से यह फ़िल्म हिंदी में रिलीज हुई जिसके कई दृश्य में कमल हासन ने एक ऐसे युवक कि भूमिका निभाई, जो एक युवती की याददाश्त खो जाने के बाद उसे सहारा देता है और बाद में उससे प्यार करने लगता है, लेकिन बाद में जब युवती कि याददाश्त लौट कर आ जाती है तो वह उसे भूल जाती है और इस सदमे को कमल हासन सहन नहीं कर पाते हैं और पागल हो जाते हैं। हालांकि फ़िल्म टिकट खिड़की पर असफल हुई, लेकिन सिने दर्शक आज भी ऐसा मानते हैं कि कमल हसन के सिने कैरियर कि यह सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है।
1985 में कमल हासन को रमेश सिप्पी के फ़िल्म 'सागर' में ऋषि कपूर और डिंपल कपाडिया के साथ नज़र आये। आर.डी.बर्मन के सुपरहिट संगीत और अच्छी स्टोरी के बावजूद फ़िल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई लेकिन कमल हासन के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। इस फ़िल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए कमल हासन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए भी नामांकित किया गया। यह फ़िल्म इंडस्ट्री में पहला मौका था जब किसी अभिनेता को एक ही फ़िल्म के लिए दो नामांकन मिले। 1985 में कमल हासन की एक और सुपरहिट फ़िल्म 'गिरफ़्तार' प्रदर्शित हुई, जिसमें उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला।
1987 कमल हासन के कैरियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उन्होंने एक मूक फ़िल्म 'पुष्पक' में सशक्त अभिनय से दर्शकों को अचंभित कर दिया, इसी वर्ष कमल हासन को मणिरत्नम की फ़िल्म 'नायकन' में भी काम करने का मौका मिला। फ़िल्म में वेलु नायकन के किरदार को कमल हसन ने जीवंत कर अपना नाम भारत के महानतम अभिनेताओं में शुमार करा दिया। कमल हसन नायकन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजे गए। बाद में इसी फ़िल्म में से प्रेरणा लेकर निर्माता-निर्देशक फिरोज खान ने फ़िल्म 'दयावान' का निर्माण किया. जिसमें कमल हासन के किरदार को अभिनेता विनोद खन्ना ने निभाया। 1990 में प्रदर्शित फ़िल्म 'अप्पू राजा' में कमल हासन ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस फ़िल्म में यूं तो उन्होंने तीन अलग- अलग भूमिकाएँ की, लेकिंन ऊँची कद काठी के रहते हुए भी उन्होंने जिस तरह तीन फुट के बौने के रूप में अपने आप को ढालकर दर्शकों को अचंभित कर दिया।
1996 में कमल हासन के सिने कैरियर की एक और महत्त्वपूर्ण फ़िल्म 'इंडियन' प्रदर्शित हुई। एस.शंकर के निर्देशक में बनी फ़िल्म में उन्होंने दोहरे किरदार को रुपहले पर्दे पर साकार किया। फ़िल्म की कहानी एक ऐसे वृद्ध व्यक्ति पर आधारित है जो देश में फ़ैल रही असामाजिक व्यवस्था को समाज से उखाड़ फेंकना चाहता है और इसके लिए अपने पुत्र को जान से मारने से भी नहीं हिचकता। फ़िल्म में दमदार अभिनय के लिए कमल हासन अपने कैरियर में तीसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
1998 में कमल हासन ने हिंदी फ़िल्मों में निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और 'चाची 420' में अभिनय के साथ निर्देशन भी किया। दर्शकों के लिए सदा कुछ नया और चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने वाले कमल हासन ने फ़िल्म में एक महिला का किरदार निभाकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
कमल हासन ने चार दशक लंबे सिने कैरियर में अब तक लगभग 200 फ़िल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखा चुके है। हिंदी फ़िल्मों के अलावा उन्होंने तमिल, तेलगू, मलयालम और कन्नड़ फ़िल्मों में भी कम किया। वर्ष 1981 में कमल हसन ने निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और 'राजा पारवई' का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने 'अपूर्व सहोदरगल', 'थेवर मगन', 'चाची 420', 'हे राम' और 'मुंबई एक्सप्रेस' का भी निर्माण किया। कमल हासन ने कई फ़िल्मों कि कहानी भी लिखी है। इनमें 'विरासत' और 'बीवी नंबर वन' प्रमुख हैं। वर्ष 2008 में कमल हासन की फ़िल्म 'दशावतारम' प्रदर्शित हुई जिसमें दर्शकों को उनके अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फ़िल्म में उन्होंने दस अलग-अलग भूमिकाएँ निभाकर एक बार फिर साबित कर दिया कि वह हमेशा कुछ नया करते हैं और इसमें वह अपनी पूरी मेहनत और प्रतिभा का उपयोग करते हैं। आज भी कमल हसन के चाहने वाले उनकी फ़िल्म का इंतज़ार करते हैं क्योंकि उन्हें पता हैं कि भारतीय फ़िल्मों का यह जादूगर हर बार कुछ नया काम कर जाता हैं जिससे इतिहास बनता है।[3]
विज्ञापनों से हमेशा दूरी बनाए रखने वाले तमिल सुपरस्टार कमल हसन अपने पांच दशक के फ़िल्मी करियर में पहली बार विज्ञापन में नजर आएंगे। इसके लिए उन्होंने हाल ही में आलियांस मीडिया एंड इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध किया है। कंपनी के प्रबंध निदेशक सुनील दोषी ने कहा कि हसन ने अपने समाज सेवा के काम को और आगे बढ़ाने के लिए इस विज्ञापन में काम करना मंजूर किया है। उन्होंने कहा कि हसन ने समाज सेवा को लेकर कुछ योजना बना रखी है लेकिन उसके लिए वह बाहर से मदद नहीं लेना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने ऐसी कंपनी का ब्रंाड एंबेसडर बनना मंजूर किया, जिसका समाज से जुड़ाव है। साथ ही इसके जरिए वह सामाजिक कार्यो के लिए धन जुटा सकेंगे। आलियांस प्राइवेट लिमिटेड से बच्चन परिवार, शाहरुख खान, सैफ अली खान, करीना कपूर, प्रियंका चोपड़ा, प्रिटी जिंटा, रानी मुखर्जी, गोविंदा और सोनाली बेंद्रे जैसे कलाकार भी जुड़े हुए हैं।[4]
पुरस्कारउन्हें सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म के लिए अकादमी पुरस्कार प्रतियोगिता में भारत द्वारा प्रस्तुत सर्वाधिक फ़िल्मों वाले अभिनेता होने का गौरव प्राप्त है।[5]कमल हासन को साल 1990 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री भी दिया जा चुका है। मलयालम में उनकी पहली फ़िल्म साल 1974 में 'कन्याकुमारी' के नाम से आई, लेकिन इसी साल आई तमिल फ़िल्म 'अपूर्वा रागांगल' के लिए उन्हें पहली बार 'साउथ फ़िल्मफेयर अवार्ड' से सम्मानित किया गया। इस फ़िल्म के लिए उन्हें साउथ का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया। अपूर्वा रागांगल साउथ की एक बेहतरीन क्लासिकल फ़िल्म मानी जाती है। इस फ़िल्म में उनके साथ साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत भी थे। कमल हासन को वर्ष 1982 में पहला राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 'मूनद्रम पिरई' फ़िल्म में भूमिका के लिए दिया गया था। [6] उनके नाम कुल 15 'साउथ फ़िल्मफेयर अवार्ड' हैं जो उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए मिले हैं जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है-
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