बिज़नेस न्यूज़ डेस्क -3 अक्टूबर 2024 को जिस बात का डर दिख रहा था, वही शेयर बाजार में हो रहा है। वैश्विक और घरेलू ट्रिगर्स के बीच आज शेयर बाजार में बड़ी बिकवाली देखने को मिल रही है। बाजार तेजी से गिरे हैं। सेंसेक्स ने 1700 अंकों की गिरावट के साथ बड़ा गोता लगाया है। इंडेक्स 82,500 के स्तर पर पहुंच गया था। निफ्टी 500 अंकों के नुकसान के साथ 25,200 का स्तर दिखा रहा था। इंडिया VIX में 12 फीसदी की तेजी दर्ज की जा रही थी। आज की गिरावट में दोपहर 1.30 बजे तक निवेशकों के 10 लाख करोड़ से ज्यादा पैसे डूब चुके थे। निफ्टी पर मौजूद अन्य सभी इंडेक्स में 2 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल रही थी। एनएसई पर मौजूद सभी सेक्टोरल इंडेक्स में भी डेढ़ से ढाई फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल रही थी। रियल्टी सेक्टर में 4 फीसदी की गिरावट आई। इस गिरावट के पीछे कई बड़ी वजहें रहीं, आइए 4 पॉइंट्स में समझते हैं।
1. इजराइल-ईरान तनाव
पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष के बीच बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। हमास और लेबनान और अब ईरान के साथ हवाई हमलों को लेकर इजराइल की चिंता भी दुनिया भर के बाजारों को परेशान कर रही है। ईरान ने 1 अक्टूबर, 2024 को इजराइल पर कम से कम 180 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिससे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया। ईरान के हमले को इजराइल ने अपने 'आयरन डोम' मिसाइल डिफेंस सिस्टम और पास में तैनात अमेरिकी नौसैनिक विध्वंसक की मदद से काफी हद तक रोका। यह हमला तेहरान समर्थित लेबनानी चरमपंथी समूह हिजबुल्लाह के लंबे समय से नेता हसन नसरल्लाह की 27 सितंबर को इजराइली हमले में मौत के बाद हुआ है। पश्चिम एशिया में स्थिति एक साल पहले की तुलना में अधिक अस्थिर है। संघर्ष मुख्य रूप से इजराइल और हमास के बीच की लड़ाई से आगे बढ़ गया है। अब इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच पिछले एक साल से संघर्ष चल रहा है जो इजराइल-हमास संघर्ष से भी अधिक खतरनाक लगता है।
2. सेबी का एफएंडओ सर्कुलर
बाजार में मची अफरातफरी सेबी द्वारा एफएंडओ ट्रेडिंग पर लाए गए नए नियमों की वजह से भी है। सोमवार को जारी इन नियमों में कहा गया है कि अब हर एक्सचेंज पर एक हफ्ते में 1 वीकली एक्सपायरी होगी। वीकली एक्सपायरी घटाने का नियम 20 नवंबर से लागू होगा। ऑप्शन खरीदने वाले से 1 फरवरी से अपफ्रंट प्रीमियम लिया जाएगा। 1 फरवरी से कैलेंडर स्प्रेड बेनिफिट भी खत्म हो जाएगा। लॉन्च के समय मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज 15 लाख और फिर रिव्यू के समय कॉन्ट्रैक्ट साइज 15-20 लाख होगा। अभी मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज 5 लाख से 10 लाख रुपये तक है, जिसे आखिरी बार 2015 में तय किया गया था। कॉन्ट्रैक्ट साइज का नियम भी 20 नवंबर से लागू होगा। 1 अप्रैल से इंट्राडे पोजिशन लिमिट पर नजर रखी जाएगी। इससे ऐसा डर फैला कि रिटेल निवेशक बाजार से पैसा निकाल लेंगे। बिकवाली के पीछे यह भी एक वजह है।
3. कच्चे तेल की कीमतों को लेकर चिंता
कच्चे तेल की कीमत को लेकर भी बाजार में चिंता दिख रही है। ब्रेंट क्रूड 1.5 फीसदी की तेजी के साथ 74 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रहा है। ईरान तेल बाजार में एक प्रमुख कारोबारी है। अगर संघर्ष बढ़ता है तो तेल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा, खासकर उन पर जो तेल आयात पर निर्भर हैं। तेल की कीमतों में पहले ही चार डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके अलावा निर्यातकों का कहना है कि पश्चिम एशियाई क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से पहले से ही ऊंची लॉजिस्टिक्स लागत और बढ़ सकती है और साथ ही कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार को नुकसान हो सकता है।
4. एफआईआई की बिकवाली और चीन से तनाव बढ़ रहा है
इस हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से लगातार बिकवाली देखने को मिल रही है। पिछले कारोबारी सत्र में उन्होंने 8,282 करोड़ रुपये की जोरदार बिकवाली की थी। पिछले कई दिनों से बाजार में एफआईआई की ओर से बिकवाली देखने को मिल रही है। यह आशंका इसलिए भी गहरी है क्योंकि पिछले हफ़्ते चीन की सरकार ने आर्थिक सुधारों को लेकर कुछ घोषणाएं की हैं, जिससे वहां के बाज़ारों को बढ़ावा मिलेगा। सस्ते वैल्यूएशन वाले शेयरों से आकर्षित होकर एफआईआई भारत से पैसा निकालकर चीनी शेयरों में निवेश कर सकते हैं। इस वजह से भी बाज़ारों में गिरावट देखने को मिल रही है।
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