बिज़नेस न्यूज़ डेस्क - खेती से आमदनी बढ़ाने के लिए किसान अब परंपरागत खेती से इतर बागवानी फसलों पर ध्यान दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सिद्धनगर जिले के जोगिया ब्लॉक के किसान गंगाराम ने पपीते की खेती शुरू की। उनका प्रयोग सफल रहा और अब वे रोजाना 7 से 8 हजार रुपये का पपीता बेच रहे हैं।
बाढ़ प्रभावित खेत में शुरू की पपीते की खेती
आपको बता दें कि जोगिया ब्लॉक क्षेत्र के ज्यादातर गांव बाढ़ प्रभावित हैं। इस ब्लॉक क्षेत्र का करीब एक तिहाई हिस्सा राप्ती और बूढ़ी राप्ती के दोआब में है। ऐसे में किसान परंपरागत सब्जी की खेती छोड़कर किस्मत पर निर्भर हो जाते हैं। ऐसे में महुआ गांव निवासी गंगाराम ने पपीते की खेती शुरू की।
1200 पपीते के पौधे लगाए
ऊंचाई पर स्थित दो बीघा खेत में कुल 30 हजार रुपये की लागत से 1200 पपीते के पौधे लगाए। अब इसमें फल लगने लगे हैं और रोजाना एक से डेढ़ क्विंटल पपीता निकल रहा है। इस गांव में अब स्थानीय बाजार और थोक व्यापारी आने लगे हैं।
पुणे से मंगाए पौधे
रोजाना 7 से 8 हजार रुपए की बिक्री हो रही है। आर्थिक समृद्धि देखकर गांव के पांच और किसानों ने पपीते की खेती शुरू कर दी है। यह पौधे महाराष्ट्र के पुणे से मंगाए गए थे। एक पौधे की कुल लागत 25 रुपए आई।
अब तक 2 लाख रुपए की कमाई
6 महीने बाद फल आने लगे। एक पेड़ पर करीब 80 से 100 फल लगते हैं। रोजाना एक से दो क्विंटल पपीता निकल रहा है। गंगा राम अब तक करीब 2 लाख रुपए का पपीता बेच चुके हैं। अब इसे बेचने के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ रहा है। व्यापारी खेत पर पहुंचकर खरीदारी कर रहे हैं। परिवार के सभी सदस्य खेती में मदद कर रहे हैं। गंगा राम अब इस खेती को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। काम बढ़ने पर वह गांव के लोगों को रोजगार भी देंगे।
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