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राष्ट्रीय पुस्तक मेले में अनिल कुमार श्रीवास्तव की कृति 'श्री 'हरिः पाद्य' का आयोजन

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लखनऊ: राष्ट्रीय पुस्तक मेले में श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव की कृति श्री हरिः पाद्य’ (सप्त सुन्दरकाण्ड) के लोकार्पण का आयोजन दिनांक 03 अक्टूबर, 2024 को सायं 5.00 बजे से 6.30 बजे तक बलरामपुर गार्डेन, अशोक मार्ग, लखनऊ में किया गया।

सम्माननीय अतिथि – पद्मश्री डॉ० विद्याबिन्दु सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार, डॉ० सुधाकर अदीब, पूर्व निदेशक, उoप्रo हिन्दी संस्थान, डॉ० अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उ०प्र० हिन्दी संस्थान, श्री पद्मकान्त शर्मा ‘प्रभात’, सम्पादक कलाकुंज भारती, डॉ० अनिल कुमार सिंह, आई.आर. एस. का स्वागत एवं अभिनन्दन श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव पूर्व आयकर अधिकारी / अधिवक्ता मा० उच्च न्यायालय, लखनऊ, (मूल निवासी ग्राम दिनकरपुर तहसील – मनकापुर जनपद-गोण्डा उ०प्र०) द्वारा किया गया।

श्री विनायक सिंह जी द्वारा श्रीरामचरितमानस से वाणी वंदना प्रस्तुत की गयी, यह वंदना उत्तरकाण्ड में भक्त शिरोमणि कागभुसुण्डी जी ने पक्षीराज श्री गरुड़ जी को सुनाया था ।

लेखक अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा- ‘श्री हरिः पाद्य’ पुस्तक में विविधता व शब्द विन्यासों पर चर्चा की गयी है। पाठकों को यह भी बताया कि इस पुस्तक लेखन की प्रेरणा मुझे बहुत पहले आभास हुई थीं, जब मैं सरकारी सेवा में था । उन्होंने बताया कि प्रभु श्रीराम के सम्बन्ध में रामचरितमानस से कतिपय उद्धरण लेकर लिख सका ये मेरा सौभाग्य है।

श्री अनिल कुमार सिंह ने कहा- राम भारत की आत्मा हैं। भारत व पूर्ण विश्व के श्रीराम हैं। राम और देश को अलग नहीं किया जा सकता है। तुलसीदास ने भगवान श्रीराम के चरित्र व रूप का मनमोहक वर्णन किया है। हमें रामचरित मानस में अवगाहन करने की आवश्यकता है। श्री हरिः पाद्य’ पुस्तक में लेखक केवल यही कहने का प्रयास करता है कि ‘हे प्रभु मैं केवल आपके चरणों का दास हूँ। यह पुस्तक राम के चरित्र को रेखांकित करती है ।

श्री पद्मकांत शर्मा ‘प्रभात’ ने कहा- राम तुम्हारा चरित्र ही काफी है। ‘श्री ‘हरिः पाद्य’ पुस्तक मानस की कुंजी की तरह है। यह पुस्तक रामचरितमानस के अन्वेषण के रूप में रची है। ‘श्री ‘हरिः पाद्य’ पुस्तक रामचरित मानस के गूढ़ तत्वों को समाहित किए हुए है। डॉ0 सुधाकर अदीब ने कहा- ‘श्री हरिः पाद्य पुस्तक में रामचरित मानस के गूढ़तत्वों का समावेश है। इस पुस्तक में सुन्दर काण्ड के सातों अध्यायों के मूलतत्वों को लिया गया है। लेखक ने रामचरित मानस के गहन अध्ययन के बाद इस पुस्तक की रचना की है।

अध्यात्मिक गुरु श्री महामंत्रदास ने कहा- तुलसीदास जी का रामचरित मानस एक सुलभ्य ग्रंथ है। रामचरित मानस ग्रंथ रस तत्व से अभिभूत है। श्री हरिः पाद्य’ पुस्तक में राम का चरित्र व छाया दिखाई पड़ती है। पद्मश्री डॉ0 विद्याविन्दु सिंह ने कहा- गोस्वामी तुलसीदास ने जो कहा पूरा विश्व आज सुन रहा है। श्रीराम सबका कष्ट हरते हैं। सीताराम सभी में समाएं हैं। संसारी व्यक्ति मोह से मुक्त नहीं हो पाता है। जहाँ सत्य है वहीं राम जी की उपस्थिति है।

डॉ० अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उ०प्र० हिन्दी संस्थान ने मंच पर उपस्थित विदृत्तजनों व मीडिया कर्मियों का अभार व्यक्त किया और श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव जी की पुस्तक- ‘श्री ‘हरिः पाद्य’ के लिए शुभकामनाएं दी।

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