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भारत को सैन्य प्रौद्योगिकी और उत्पादन दर में चीन की बराबरी करने की जरूरत- वायुसेना प्रमुख

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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वायुसेना का लक्ष्य स्वदेशीकरण कार्यक्रम के तहत 2047 तक अपनी सभी आवश्यकताओं से जुड़े उत्पादन भारत में करना है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को आपूर्ति में देरी को पाटने के अपने वादे के अनुसार सालाना 24 तेजस हल्के लड़ाकू विमानों का उत्पादन करना चाहिए।
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'चीन के बराबर पहुंचने की जरूरत'
भारतीय वायुसेना दिवस आठ अक्टूबर से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल ने कहा कि भारत को प्रौद्योगिकी और सैन्य उपकरणों के उत्पादन की गति के मामले में चीन के बराबर पहुंचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम अपने पड़ोसी से ‘बहुत पीछे हैं’।
वायुसेना प्रमुख सिंह ने साथ ही कहा कि भारतीय सेना विभिन्न आयुध प्रणालियों और रक्षा मशीनों को संचालित करने वाले कर्मियों सहित कार्मिकों के मामले में बहुत आगे है।
चीन से तुलना पर क्या बोले वायुसेना प्रमुख

उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि जहां तक जवानों का सवाल है, जहां तक मशीन के पीछे काम करने वाले लोगों का सवाल है, तो हम उनसे बहुत आगे हैं। एयर चीफ मार्शल ने कहा, ‘‘जहां तक प्रौद्योगिकी का सवाल है, हमारी स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। हम पिछड़ गए हैं। कुछ समय पहले हम प्रौद्योगिकी में उनसे बेहतर थे; लेकिन अब हम उसमें पिछड़ गए हैं और हमें उनसे आगे निकलने की जरूरत है। जहां तक उत्पादन दर का सवाल है, हम काफी पीछे हैं। हमें उस स्तर तक पहुंचने की जरूरत है जो समय के साथ होगा। यह रातोरात नहीं हो सकता।’’
लद्दाख इलाके में तेजी से विकास

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध में जारी गतिरोध पर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि स्थिति वैसी ही है जैसी पिछले एक साल से थी, लेकिन इस दौरान बुनियादी ढांचे का विकास बहुत तेजी से हुआ है। वायुसेना प्रमुख ने हथियारों और अन्य प्रणालियों में भारत के आत्मनिर्भर बनने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि भविष्य की रक्षा चुनौतियों का सामना करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा- ‘‘कुल मिलाकर भारतीय वायुसेना के पास एक दृष्टिकोण है। 2047 तक हमारे सभी उत्पाद या तो भारत में उत्पादित होंगे या फिर भारत में ही विकसित और उत्पादित होंगे। संघर्ष की स्थिति में जब एक दिन में 200 से 300 मिसाइलें दागी जाती हैं, तो आपको उनका निर्माण भारत में ही करना होगा। आप उन्हें बाहर से खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते।’’
भाषा की रिपोर्ट
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