महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने बृहस्पतिवार को कहा कि 20 नवंबर को होने वाला राज्य विधानसभा चुनाव ‘अजब’ है और 23 नवंबर को परिणाम घोषित होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि कौन गुट किसका समर्थन कर रहा है। यहां पत्रकारों के एक समूह से बातचीत में फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना, अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और भाजपा के गठबंधन ‘महायुति’ को कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (एसपी) पर बढ़त हासिल है।
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'महायुति के भीतर भी आंतरिक विरोधाभास'
फडणवीस ने कहा कि ये चुनाव अजीब हैं। हमें नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि कौन किसके साथ है। महायुति के भीतर भी आंतरिक विरोधाभास है।
उन्होंने दावा किया कि एमवीए को भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी का नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ विपक्षी महाविकास आघाडी (एमवीए) के चुनाव प्रचार अभियान के जवाब में गढ़ा गया है।
भाजपा में भी हो रहे विरोध पर क्या बोले फडणवीस
भाजपा नेता ने दावा किया कि उनके सहयोगियों अशोक चव्हाण और पंकजा मुंडे के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री अजित पवार इसके ‘मूल’ अर्थ को समझने में विफल रहे। फडणवीस ने कहा कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ कांग्रेस नीत महाविकास आघाडी के विभाजनकारी चुनाव प्रचार अभियान के जवाब में गढ़ा गया नारा है, इस नारे का मूल संदेश यह है कि ‘‘सभी को एक साथ रहना होगा।’’ फडणवीस ने कहा- ‘‘इस नारे का मतलब यह नहीं है कि हम मुस्लिमों के खिलाफ हैं। हमने यह नहीं कहा कि लाडकी बहिन योजना का लाभ मुस्लिम महिलाओं को नहीं दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया, ‘‘ ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ भी कांग्रेस और एमवीए की तुष्टिकरण (राजनीति) का जवाब है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ‘वोट जिहाद’ का प्रयोग किया और मस्जिदों में पोस्टर लगाए गए, जिसमें लोगों से एक विशेष पार्टी को वोट देने का आग्रह किया गया। यह किस तरह की धर्मनिरपेक्षता है।’’
सीएम पद पर क्या बोले
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के अगले मुख्यमंत्री के चयन के लिए कोई निर्धारित फॉर्मूला नहीं है और विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘(मुख्यमंत्री पद पर) फैसला तीनों दलों के नेताओं द्वारा किया जाएगा। एकनाथ शिंदे और अजित पवार अपनी-अपनी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और भाजपा संसदीय बोर्ड पार्टी अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए अधिकृत करता है। इसलिए, तीनों पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष फैसला करेंगे।’’
भाषा की रिपोर्ट
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