Iran Attacks on Israel: जब 27 सितंबर को इजराइल ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को मार गिराया तो ईरान ने इतना जरूर कहा कि वो इसका बदला जरूर लेगा, लेकिन उसने जल्दबादी में कोई प्रतिक्रिया नही दी। क्योंकि इससे पहले जब ईरान की राजधानी तेहरान में घुसकर इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हमास के बड़े नेता हानिया को मौत के घाट उतार दिया था तो ईरान ने उस समय इस घटना का बदला लेने की कमस खाई थी। जिसके बाद अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपने पोत से लेकर अपने आधुनिक मिसाइस सिस्टम को तैनात कर दिया था जिसके कारण एक बार फिर ईरान बैकफुट पर आ गया। लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ कि ईरान पूरी ताकत के साथ इजराइल पर टूट पड़ा है।
बता दें ईरान ने 1 अक्टूबर की रात सैकड़ों मिसाइलों से इजराइल पर हमला बोल दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि ऐसा कर के ईरान ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत का बदला लिया है। तस्वीरों से पता चलता है कि ईरान ने मोसाद मुख्यालय और कई एयरबेस को निशाना बनाया है। ईरान के कमांडर इन चीफ सलामी का कहना है कि ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर की रात 200 मिसाइलें दागी। हालांकि इजराइल का दावा है कि इनमें से ज्यादातर मिसाइलों को इजराइल के डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया है।
सेंट्रल इजराइल पर किए गए बड़े पैमाने पर हमले
इजराइल डिफेंस फोर्सेज के प्रवक्ता ने ईरान के हमले की जानकारी देते हुए कहा कि ईरान ने इजराइल के क्षेत्र में काफी बड़ी संख्या में मिसाइले दागी। उन्होंने कहा कि ये हमला सीधे ईरान की ओर से किया गया है। कुछ हमले सेंट्रल इजराइल में तो कुछ हमले दक्षिण इजराइल में किए गए है। हम हमले के जवाब जरूर देंगे। इजराइल सरकार के आदेश के अनुसार हम हमलों का जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने नागरिकों के बचाव के लिए वो सब करेंगे जो जरूरी होगा। वहीं इस बीच जानकारों का मानना है कि ईरान ने इजराइल पर हमला कर के इजराइल को उकसाने का काम किया है। ईरान जानता है कि इजराइल इस हमले का बदला जरूर लेगा। लेकिन फिर भी ईरान ने ये हमला किया। आखिर इसके पीछे क्या वजह है?
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जानकारी के मुताबिक इसके पीछे की मुख्य वजब रूस और राष्ट्रपति पुतिन है। जानकारी के अनुसार, पुतिन ने ईरान के मुख्य नेताओं से मिलने के लिए अपना एक खास दूत ईरान भेजा था। जिसके अगले ही दिन ईरान ने इजराइल पर हमला कर के ये संकेत दे दिया था कि ईरान पर रूस का हाथ है। रूस के आधिकारिक बयान के अनुसार ये मीटिंग दोनों देशों के बीच व्यापार और आपसी साझेदारी को बढ़ाने के लिए की गई थी। लेकिन जानकारों का मानना है कि रूस के प्रधानमंत्री पुतिन का आदेश लेकर ईरान गए थे। इसलिए माना जा रहा है कि ईरान के इजराइल पर हमले के पीछे रूस का बैकअप ईरान को मिल रहा है। वहीं जानकारों का मानना है कि रूस इस जंग में ईरान का साथ इसलिए दे रहा है क्योंकि रूस और ईरान के बीच अच्छे संबंध है। वहीं इसकी दूसरी वजह ये है कि अमेरिका इजराइल के साथ है इसलिए रूस ईरान का साथ दे रहा है। बता दें, रूस-यूक्रेन लड़ाई में जहां अमेरिका यूक्रेन का साथ दे रहा है तो वही इस लड़ाई में अगर रूस की सबसे ज्यादा मदद किसी देश ने कि है तो वो ईरान है। रूस ईरान में बनी मिसाइलों का प्रयोग कर के यूक्रेन पर महला कर रहा है।