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Dev Uthani Ekadashi Par Tulsi Puja Vidhi: देवउठनी एकादशी पर तुलसी जी की पूजा कैसे करें, यहां देखें सरल विधि

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Dev Uthani Ekadashi Par Tulsi Puja Kaise: वैसे तो पूरे कार्तिक महीने में तुलसी माता की पूजा की जाती है। लेकिन देवउठनी एकादशी के दिन तो जरूर ही तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस दिन तुलसी पूजा का सबसे ज्यादा महत्व होता है। कई लोग इस दिन तुलसी के पौधे का शालिग्राम भगवान से विवाह भी कराते हैं। चलिए आपको बताते हैं देवउठनी एकादशी पर आप तुलसी जी की पूजा कैसे कर सकते हैं।


देवउठनी एकादशी पर तुलसी पूजा की सरल विधि
-देवउठनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद जहां भी आपकी तुलसी जी हैं उस जगह को अच्छे से साफ कर लें।

-फिर एक लकड़ी का पट्टा लें। उसे गंगाजल से स्वच्छ कर लें।
-इसके बाद उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं या आप रंगोली भी बना सकते हैं। फिर इसके ऊपर घी का दीपक जला लेंगे।

-फिर संकल्प करेंगे। इस दौरान तुलसी माता से कहेंगे हे तुलसी माता में सच्चे मन से आपका पूजन कर रही हूं या कर रहा हूं। अगर पूजा में कोई कमी रहे तो उसके लिए मुझे क्षमा करें और मेरी मनोकामनाओं को पूर्ण करें।
-इसके बाद पूजा शुरू करेंगे। तुलसी विवाह के दिन शालिग्राम भगवान की भी पूजा होती है।
-अगर शालिग्राम भगवान आपके पास हैं तो उन्हें तुलसी के गमले में विराजमान कर लें और अगर नहीं हैं तो आप उनकी जगह पर लड्डू गोपाल या भगवान विष्णु की भी प्रतिमा ले सकते हैं।
-इसके बाद तुलसी पूजा शुरू करें। सबसे पहले तुलसी के पौधे पर हल्दी लगाएं और साथ में मेहंदी भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि जो भी पूजा सामग्री आप तुलसी माता का समर्पित कर रहे हैं उसे पहले शालिग्राम भगवान को जरूर चढ़ाएं।
-इसके बाद रोली से तिलक करेंगे।
-इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी पूजा या तो सुबह करनी है या फिर शाम में सूर्यास्त होने से पहले।
-इसके बाद तिल चढ़ाएंगे। फिर वस्त्रों के रूप में शालिग्राम भगवान को कलावा और जनेऊ समर्पित करेंगे। वहीं तुलसी जी को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएंगे। इसके बाद फूल चढ़ाएंगे।
-फिर भोग चढ़ाएंगे। जल समर्पित करेंगे।
-दक्षिणा चढ़ाएंगे। साथ ही तुलसी जी को श्रृंगार सामग्री अर्पित करेंगे।
-इस दिन तुलसी जी का आप अच्छे से श्रृंगार जरूर करें।
-इसके बाद हाथों में तिल लेकर देवउठनी एकादशी की कथा सुन लेंगे।
-कथा के बाद ये तिल तुलसी माता और शालिग्राम भगवान को समर्पित कर देंगे।
-फिर तुलसी जी की परिक्रमा करेंगे। आप अपनी श्रद्धा अनुसार 11 या 108 बार ये परिक्रमा कर सकते हैं।
-इसके बाद तुलसी जी की आरती करेंगे।
-आरती के बाद प्रसाद घर के सभी लोगों में बांट देंगे।
-तुलसी पूजा में आपने जो भी सामान चढ़ाया है चाहे साड़ी या बर्तन। उसे आप किसी जरूरतमंद कन्या को दान कर दें।
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