प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि चार साल पहले हुए शांति सम्मेलन के बाद बोडोलैंड में तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आज पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस भी मना रहा है। आज ही सुबह मैं बिहार के जमुई में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल हुआ। बोडो महोत्सव का हिस्सा बनकर मुझे काफी खुशी हो रही है। हमारी सरकार बोडो समुदाय के लिए प्रगति और उनकी समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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प्रधानमंत्री ने कहा, "50 साल का रक्तपात, 50 साल तक हिंसा, युवाओं की तीन-चार पीढ़ी इस हिंसा में खप गई। कितने दशकों बाद बोडो आज फेस्टिवल मना रहा है। साल 2020 में बोडो शांति समझौते के बाद मुझे कोकराझार आने का अवसर मिला था। वहां आपने मुझे जो अपनापन और स्नेह दिया, ऐसा लग रहा था कि आप मुझे अपनों में से ही एक मानते हैं। वह पल मुझे हमेशा याद रहेगा। पिछले चार साल में बोडोलैंड का विकास बहुत महत्वपूर्ण रहा है। बोडो लोगों के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव तैयार हो चुकी है। शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद बोडोलैंड में विकास की लहर देखी गई है। शांति समझौते के सकारात्मक परिणामों को देखकर मैं बहुत संतुष्ट महसूस कर रहा हूं।"
'शांति समझौतों के लिए नए रास्ते खुले'
उन्होंने कहा कि बोडो शांति समझौते से कई और शांति समझौतों के लिए नए रास्ते खुले हैं। यदि यह "कागजों पर ही रहता तो दूसरों को मुझ पर भरोसा नहीं होता। हालांकि आपने समझौते को अपने जीवन में आत्मसात किया"। उन्होंने कहा कि जिस विश्वास के साथ वह बोडो लोगों के पास गए थे उन्होंने उस विश्वास का मान रखा। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह बोडो लोगों की आशा-आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखेंगे। उन्होंने कहा, "आप लोगों ने मुझे जीत लिया है। इसलिए मैं हमेशा-हमेशा आपका हूं, आपके लिए हूं और आपके कारण हूं।"
'1,500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज'
पीएम मोदी ने कहा कि बोडोलैंड के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया है। असम सरकार ने भी विशेष विकास पैकेज दिया है। बोडोलैंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए 700 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं। शांति समझौते के कारण अकेले असम में 10,000 से अधिक युवाओं ने हथियार और हिंसा छोड़ दी और वे मुख्यधारा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा, "किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि कार्बी आंगलोंग शांति समझौता, ब्रू-रियांग समझौता और एनएलएफटी त्रिपुरा समझौता हकीकत बन जाएगा। यह आपकी वजह से संभव हो पाया है। मुझे खुशी है कि कुछ साल पहले जो युवा बंदूक थामे हुए थे, अब वे खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। कोकराझार में डूरंड कप के दो एडिशन होना और बांग्लादेश, नेपाल एवं भूटान की टीमों का आना अपने-आप में ऐतिहासिक है।"
'पूरे पूर्वोत्तर को भारत की अष्टलक्ष्मी मानते हैं'
उन्होंने कहा कि वह असम सहित पूरे पूर्वोत्तर को भारत की अष्टलक्ष्मी मानते हैं। अब विकास का सूरज पूर्वी भारत से उगेगा, जो विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा देगा। इसलिए सरकार पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों के सीमा विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोज रही है।
IANS की रिपोर्ट
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