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Budh Pradosh Vrat Katha: शाम में इस मुहूर्त में पढ़ें बुध प्रदोष व्रत कथा, हर कष्ट से मिल जाएगी मुक्ति

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Budh Pradosh Vrat Katha, Pradosh Kaal Time Today: वार के अनुसार हर प्रदोष व्रत का फल अलग-अलग प्राप्त होता है। आज बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत है। कहते हैं जो व्यक्ति भी सच्चे से ये व्रत रखता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन शिव शंकर जी की अराधना धूप, बेल पत्र आदि से करनी चाहिए। चलिए आपको बताते हैं आज प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। साथ ही आप जानेंगे बुध प्रदोष व्रत की कथा।

Pradosh Vrat Puja Time Today (प्रदोष काल पूजा टाइम)
प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 13 नवंबर की शाम 5 बजकर 11 मिनट से शाम 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में प्रदोष व्रत की पूजा करना और कथा पढ़ना बेहद शुभ होता है।

बुध प्रदोष व्रत कथा (Budh Pradosh Vrat Katha)
एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। लेकिन विवाह के 2 दिनों बाद ही उसकी पत्नी मायके चली गई थी। कुछ दिन बीत जाने के बाद वो पुरुष अपनी पत्नी को लेने उसके घर गया। जिस दिन वो अपनी पत्नी को मायके से ससुराल ले जाना चाह रहा था उस दिन बुधवार था। लड़के के ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी और वो अपनी पत्नी के साथ बैल गाड़ी में चल पड़ा। विवश होकर सास ससुर को भी भारी मन से अपनी बेटी और दामाद की विदाई करनी पड़ेगी।


जब दोनों नगर के बाहर पहुंचे तो पत्नी को प्यास लगी। पुरुष लोटा लेकर पानी लेने के लिए चल पड़ा। उसकी पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद जब पुरुष पानी लेकर वापस आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और इतना ही नहीं उसके लोटे से पानी भी पी रही है। ये देखकर उसको क्रोध आ गया। वह जब अपनी पत्नी के निकट पहुंचा तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उसकी पत्नी जिस आदमी से बात कर रही थी वो दिखने में बिल्कुल उसी की तरह था। पत्नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष आपस में झगड़ने लगे। धीरे धीरे वहां भीड़ एकत्रित हो गई और राज्य के सिपाही भी आ गए। हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्चर्य में पड़ गए।

तब सिपाहियों ने स्त्री से पूछा- उसका पति कौन है? वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। तब उस पुरुष ने शंकर भगवान से प्रार्थना की- हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैं जबरदस्ती अपनी पत्नी को बुधवार के दिन विदा करा लाया। मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा। जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष चला गया। इसके बाद पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखने लगे।
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