Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का शोर चरम पर है। राज्य में मतदान को कुछ दिन ही शेष बचे हैं। 20 नवंबर को यहां वोटिंग होगी, इससे पहले सभी पार्टियां अपने-अपने पक्ष में महौल बनाने में जुटी हुई हैं। इस बीच एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि क्या महायुति में सब ठीक है? दरअसल, महायुति में शामिल अजित पवार के नेतृत्व वाली शिवसेना चुनाव प्रचार में अलग-थलग दिख रही है। गुरूवार को अजित पवार गुट वाली एनसीपी ने मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भी हिस्सा नहीं लिया, जिससे यह सवाल और भी पुख्ता हो गया।
बड़ी बात यह है कि न तो अजित पवार इस रैली में शामिल हुए और न ही एनसीपी का कोई अन्य नेता मंच पर दिखाई दिया। हालांकि, इस रैली में शिंदे गुट की शिवसेना और अठावले की पार्टी के वरिष्ठ नेता जरूर दिखाई दिए। ऐसे में कई अजित पवार की गैरमौजूदगी के कई मायने तलाशे जा रहे हैं।
'बंटेंगे तो कटेंगे' का विरोध
इससे पहले अजित पवार ने सीएम योगी और भजापा के 'बटेंगे तो कटेंगे' जैसे नारे का खुलकर विरोध किया था। दरअसल, महाराष्ट्र में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की रैली से पहले भाजपा ने बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया। सीएम योगी ने भी मंच से इस नारे का ऐलान किया। इसके बाद अजित पवार ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, दूसरे राज्यों के नेता आकर महाराष्ट्र में इस तरह के बयान देते हैं, जबकि ये सब यहां नहीं चलता।
नवाब मलिक को टिकट
महायुति और अजित पवार के बीच मनमुटाव की पहली आहट तब सुनाई दी जब भारतीय जनता पार्टी और देवेंद्र फडणवीस के ऐतराज के बावजूद अजित पवार ने नवाब मलिक को टिकट दे दिया। इनता ही नहीं अजित पवार ने नवाब मलिक के लिए प्रचार भी किया। इसके अलावा उन्होंने बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी, सना मलिक जैसे कई मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने इस पर आपत्ति जताई थी। हालांकि, मुस्लिम वोटरों के खिसक जाने के डर से अजित पवार ने उनकी एक न सुनी।
फडणवीस ने स्वीकारी आंतरिक विरोध की बात
बता दें, महाराष्ट्र चुनाव से पहले मीडिया से बातचीत में देवेंद्र फडणवीस ने महायुति के अंदर आंतरिक विरोध की बात भी स्वीकार की है। उन्होंने कहा, ये चुनाव अजीब हैं। हमें नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि कौन किसके साथ है। महायुति के भीतर भी आंतरिक विरोधाभास है। फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी का नारा बंटेंगे तो कटेंगे विपक्षी महाविकास आघाडी (एमवीए) के चुनाव प्रचार अभियान के जवाब में गढ़ा गया है। भाजपा नेता ने दावा किया कि उनके सहयोगियों अशोक चव्हाण और पंकजा मुंडे के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री अजित पवार इसके मूल अर्थ को समझने में विफल रहे।
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