Starlink vs Reliance: अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारत के दूरसंचार नियामक से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम अलॉट करने से पहले एलन मस्क के स्टारलिंक (Starlink) और अमेजन के कुइपर (Kuiper) के संभावित प्रभाव का बारीकी से आकलन करने का आग्रह किया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस ने चिंता जाहिर की है कि विदेशी कंपनियां स्थानीय यानी भारतीय टेलीकॉम ऑपरेटरों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
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एक लेटर ने अंबानी और मस्क के बीच चल रहे मुकाबले को उजागर किया है कि भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का अलॉटमेंट कैसे किया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस ऑक्शन को सपोर्ट करता है, जिसमें बड़ा निवेश शामिल है, लेकिन ग्लोबल ट्रेंड्स के बाद भारत का झुकाव एडमिनिस्ट्रेटिव एलोकेशन के लिए मस्क के पसंदीदा सिस्टम की ओर है।
किसकी क्या है योजना
रिलायंस ने अपने लेटर में उल्लेख किया है कि स्पेक्ट्रम नीलामी में 23 अरब डॉलर का निवेश करने के बाद वह हर महीने 15 बिलियन गीगाबाइट डेटा लेगा। इसके उलट स्टारलिंक की योजना सैटेलाइट के जरिए 18 बिलियन गीगाबाइट की संभावित क्षमता वाले समान ग्राहकों को काफी कम लागत पर टार्गेट करने की है।
रिलायंस ने की जांच की मांग
माना जा रहा है कि नीलामी शुरुआत में हाई निवेश के कारण विदेशी प्रतिस्पर्धियों को रोक सकती है, जिससे रिलायंस को बढ़त मिलेगी। रिलायंस ने 15 नवंबर को लिखे अपने पत्र में लिखा अथॉरिटी को स्टारलिंक और कुइपर जैसे इन मेगा कॉन्सटेलेशंस द्वारा बनाई गई कैपेबिलिटीज की गंभीरता से जांच करनी चाहिए।"
भारत का टेलीकॉम रेगुलेटर फीडबैक की समीक्षा कर रहा है और साल के अंत तक अंतिम सिफारिश करने की योजना बना रहा है। इस बीच, स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज शुरू करने के लिए सुरक्षा मंजूरी की मांग कर रहा है। अगर मंज़ूरी मिल जाती है, तो यह अंबानी की रिलायंस जियो के साथ सीधे मुकाबला करेगी।
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