– कम उपजाऊ और परती जमीनों से किसानों को होगी लाखों की आयः शुक्ल
भोपाल, 10 नवंबर . उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने रविवार को रीवा के कमिश्नर कार्यालय में हुई बैठक में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट की समीक्षा की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रीवा, सतना और मऊगंज जिलों में बाणसागर बाध की नहरों से सिंचाई के बाद धान और गेंहू का विपुल उत्पादन हो रहा है. ग्रीन एनर्जी प्लांट स्थापित होने से किसानों की कम उपजाऊ और परती जमीनों से भी लाखों की आय होगी. ग्रीन एनर्जी प्लांट में नरवाई और धान के पैरे (पराली) से बिजली और जैविक खाद बनायी जाएगी.
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि रीवा जिले में तीन ग्रीन एनर्जी प्लांट लगाने के लिए पराली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. गुढ़ में प्रस्तावित ग्रीन एनर्जी प्लांट का कार्य तत्काल शुरू करें. इस प्लांट के लिए कच्चा माल पराली और कम उपजाऊ क्षेत्र में नेवियर घास उगाकर आसानी से उपलब्ध हो जायेगा. कंपनी सर्वे का कार्य शीघ्र पूरा करके वास्तविक निर्माण कार्य शुरू करायें. इस प्लांट की स्थापना से जिले में नरवाई जलाने और पराली के समस्या का भी समाधान होगा. किसान के लिए अब धान के साथ-साथ उसका पैरा भी आमदनी देगा. मऊगंज जिले में प्लांट के लिए एक हजार हेक्टेयर की जमीन उपलब्ध है. जमीन प्राप्त करने तथा प्लांट के लिए सात दिन में आवेदन करें. गुढ़ में दो और सिरमौर में एक प्लांट लगाने की कार्य योजना को मूर्त रूप दें.
बैठक में मऊगंज कलेक्टर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रीन एनर्जी प्लांट के लिए बदवार सीतापुर रोड में एक हजार हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है. इसमें से 95 प्रतिशत जमीन निजी भूमि है. किसान अच्छी आय प्राप्त होने पर सरलता से दे देगें. किसानों से अनुबंध के आधार पर जमीनें मिल जायेगी. रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि तीन प्लांट लगाने के लिए पर्याप्त पराली उपलब्ध है. गेंहू के फसल अवशेष तथा वनों से प्राप्त अनुपयोगी पौधों का भी ग्रीन एनर्जी प्लांट में उपयोग किया जा सकता है. गुढ़ प्लांट को सीधी जिले के धान उत्पादक चुरहट और रामपुर नैकिन क्षेत्र के रीवा से जुड़े हुए गांव से भी पराली मिल जायेगी. सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा ने बताया कि नगौद में ग्रीन एनर्जी प्लांट का कार्य जारी है.
बैठक में रिलायंस ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के प्रतिनिधि अशोक खरे तथा विजित झा ने बताया कि हमारी कंपनी रीवा और सतना जिले में दस ग्रीन एनर्जी प्लांट स्थापित करना चाहती है. इसके लिए सर्वे किया जा रहा है. प्लांट में कच्चे माल के रूप में गेंहू और धान के फसल अवशेष पराली का उपयोग किया जायेगा. एक प्लांट के लिए 22 हजार मैट्रिक टन पराली की आवश्यकता होगी. पराली के साथ परती तथा अनुपयोगी जमीन पर आसानी से उगने वाली नेपियर घास का भी कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जायेगा. ग्रीन एनर्जी प्लांट से कम्प्रेस, बायोगैस, हाइड्रोजन तथा मैथेलान का उत्पादन होगा. इससे जैविक खाद का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा. किसानों की पराली को कम्प्रेस करके कच्चा माल के रूप में बनाने के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता होगी. इससे रोजगार का भी सृजन होगा. किसानों की परती और कम उपजाऊ जमीन भी अच्छा लाभ देगी. किसानों से अनुबंध के आधार पर नेपियर घास की खेती करायी जायेगी. ग्रीन एनर्जी प्लांट ऊर्जा उत्पादन के साथ किसानों की तकदीर भी बदल देगा.
बैठक में कमिश्नर बीएस जामोद, डिप्टी कलेक्टर श्रेयस गोखले, उप संचालक पशुपालन डॉ. राजेश मिश्रा, क्षेत्रीय प्रबंधक औद्योगिक विकास निगम यूके तिवारी, परियोजना अधिकारी जिला पंचायत संजय सिंह और अधिकारी उपस्थित रहे.
तोमर
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