उज्जैन, 15 नवंबर . कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार की शाम गोधूलि बेला में मोक्षदायिनी शिप्रा में दीपदान हुआ. दीपों के आलोक से मां शिप्रा का आंचल आकाशगंगा की तरह दमक उठा. ग्राम नारायणा स्थित स्वर्णगिरी पर्वत भी दीपों से दमक उठा. आसपास के आठ गांव के भक्तों ने दीपदान किया. प्रत्येक घर से 11 दीप प्रज्वलित किए गए. इस्कॉन मंदिर, रामघाट स्थित श्री गणपतेश्वर महादेव मंदिर, चित्रगुप्त घाट पर भगवान चित्रगुप्त सहित विभिन्न स्थानों पर धार्मिक आयोजन हुए.
कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर प्रदेश की नदियों, सरोवरों और तीर्थ क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. नर्मदापुरम में नर्मदा और तवा नदी के संगम पर बांद्राभान में शुक्रवार करीब तीन लाख लोगों ने पुण्य स्नान किया. बांद्राभान में शुक्रवार से शुरू हुए चार दिवसीय मेले में शामिल होने के लिए गुरुवार रात तक 50 हजार लोग आ गए थे, जिन्होंने सूरज निकलते ही घाट पर ही पूजा-पाठ की और दाल-बाटी, चूरमा बनाकर मां नर्मदा को भोग लगाया. आदिवासी समाज के सदस्य भी बड़ा देव की आराधना करने यहां पहुंचे और मोरपंख से विशेष अनुष्ठान किया.
कार्ति पूर्णिमा पर उज्जैन में शिप्रा तट पर भी करीब एक लाख लोग स्नान करने पहुंचे. दिनभर स्नान और पूजा-पाठ का दौर चलता रहा. वहीं, शाम को शिप्रा नदी के रामघाट पर अद्भुत नजारा देखने को मिला. यहां पर बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने दीप दान कर जगमग दीपों को शिप्रा नदी में प्रवाहित किया. इस दौरान रामघाट का नजारा बेहद खूबसूरत दिखा. पंडित आनंदशंकर व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा का महत्व अधिक होता है. पूर्णिमा तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पवित्र तीर्थ नदियों में स्नान व दान करने का बड़ा महत्व है. देव उठनी ग्यारस से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक देव दिवाली मानाने की परम्परा है. पूर्णिमा को शाम को नदियों पर दीप दान किया जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा के मैत्री स्थल ग्राम नारायणा में स्थित स्वर्णगिरी पर्वत वृंदावन स्थित गिरिराज गोवर्धन की तरह ही पूजनीय है. देश-विदेश से हजारों भक्त एकादशी के दिन स्वर्णगिरी की परिक्रमा करने के लिए आते हैं. स्वर्णगिरी की परिक्रमा ग्राम चिरमिया स्थित स्वर्णगिरी पर्वत के मुखारविंद से शुरू होती है. भक्त यहां भगवान श्रीकृष्ण व सुदामाजी के चरण चिह्न का अभिषेक, पूजन कर दूध और जलेबी का भोग लगाते हैं. उसके बाद यात्रा प्रारंभ होती है. प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां देव दीपावली मनाई जाती है.
शाम को गोधूलि वेला में सैकड़ों भक्त ने दीपदान किया. दीपदान से शिप्रा का आंचल आकाशगंगा की तरह दमक उठा. दूरदराज से आए भक्तों ने कार्तिक मेले में झूले चकरी का आनंद भी लिया. परंपरा अनुसार कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुआ कार्तिक मेला एक माह लगेगा. पर्व स्नान के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालुओं का उज्जैन पहुंचने का सिलसिला शुरू से ही शुरू हो गया था. अलसुबह से शिप्रा के विभिन्न घाटों पर स्नान की शुरुआत हुई. देर शाम तक हजारों भक्तों ने मोक्षदायिनी में आस्था की डुबकी लगाई.
नर्मदा के घाटों पर उमड़े श्रद्धालुओं ने किया स्नान-ध्यान
अमरकंटक से लेकर मंडला, जबलपुर, ओंकारेश्वर और खंडवा तक नर्मदा के घाटों पर लाखों श्रद्धालु पहुंचे. पवित्र नदी में स्नान और पूजा पाठ की. जबलपुर में कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर गौरीघाट में करीब एक लाख भक्तों ने स्नान कर पूजा कर ली है. तिलवाराघाट और भेड़ाघाट पर भी बड़ी संख्या में लोगों ने पूजा-अर्चना के बाद दान किया. महेश्वर में नर्मदा तट पर स्नान-पूजन के साथ दीपदान किया जा रहा है. शाम को मां नर्मदा भक्त मंडल और मां रेवा आरती समिति के माध्यम से काकड़ा आरती की जाएगी. अहिल्या घाट पर निमाड़ उत्सव शुरू होगा, जो 3 दिन तक चलेगा.
कार्तिक पूर्णिमा पर ही खुलता है ग्वालियर का कार्तिकेय मंदिर
ग्वालियर में साल में सिर्फ एक बार खुलने वाले भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात 12 बजे खोले गए. मंदिर 400 साल पुराना है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन मात्र से सारी मन्नतें पूरी होती हैं. भक्त शुक्रवार सुबह 4 बजे से शनिवार रात 12 बजे तक दर्शन कर सकेंगे.
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तोमर
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