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कच्छ के रणोत्सव में 28 फरवरी तक लाखों सैलानी उठाएंगे 'रण के रंगों' का लुत्फ

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भुज, 14 नवंबर . गुजरात के कच्छ को विश्वभर में नई पहचान दिलाने वाले रणोत्सव का आगाज हो चुका है. कच्छ जिले के धाेरडो में बनी टेंट सिटी पर्यटकों के लिए खुल गई हैं. कच्छ के सफेद रण की सुंदरता को दिखाने के लिए रण में हर साल टेंट सिटी का निर्माण किया जाता है. किसी समय जो रण एक बंजर जमीन के रूप में जाना जाता था, उस स्थान पर आज चार महीने तक चलने वाले रणोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस बार यह रणोत्सव 28 फरवरी तक चलेगा. इस वर्ष ‘रण के रंग’ नामक थीम पर रणोत्सव का आयोजन किया गया है.

गुजरात के पर्यटन विभाग के मुताबिक रणोत्सव का मुख्य आकर्षण यहां बसाई गई टेंट सिटी है. इस वर्ष सैलानियों के लिए सफेद रण में 3-स्टार होटल और रिसॉर्ट जैसी सुविधाओं से सुसज्जित 400 टेंट लगाए गए हैं. इस वर्ष 11 नवंबर से शुरू हुई टेंट सिटी 28 फरवरी तक चलेगी. टेंट सिटी में रहते हुए पर्यटक नमक के सफेद रेगिस्तान के लुभावने सौंदर्य, लोक संस्कृति और परंपरागत व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं. रणोत्सव के दौरान पर्यटकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा विभिन्न एडवेंचर स्पोर्ट्स एक्टिविटी का भी आयोजन किया जाता है. गुजरात का पर्यटन उद्योग पिछले 20 वर्षों में खूब फला-फूला है. भौगोलिक विविधता वाले गुजरात में ऐसे अनेक स्थल हैं, जो दुनिया भर के सैलानियों को आकर्षित करते हैं. विशेष रूप से क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से उबरने के बाद पटरी पर लौटे कच्छ जिले में स्थित दुनिया के एकमात्र सफेद रण (रेगिस्तान) को देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक उमड़ते हैं. कच्छ की कला, रंग-बिरंगी संस्कृति, आतिथ्य, परंपरा और संगीत के बेजोड़ संगम वाले कच्छ रणोत्सव को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है.

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वप्रथम 2005 में कच्छ रणोत्सव की शुरुआत की थी, जिससे गुजरात के पर्यटन उद्योग को तो गति मिली थी. नरेन्द्र मोदी ने विनाशक भूकंप के बाद कच्छ की तस्वीर को पूर्ण रूप से बदलने का दृढ़ संकल्प किया और इस भूमि को पुनर्जीवित करने के मिशन को साकार भी किया. इसमें कच्छ के सफेद रण में शुरू हुए रणोत्सव ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने चमचमाते सफेद रण के अंतहीन क्षितिज को देखने के बाद इस स्थान पर दुनिया का सबसे बड़ा और एकमात्र सफेद रण का उत्सव- कच्छ रणोत्सव आयोजित करने का फैसला किया. इस तरह, भुज से 80 किमी की दूरी पर स्थित धोरडो में तीन दिवसीय रणोत्सव की शुरुआत हुई, जो आज 4 महीने तक चलने वाला उत्सव बन चुका है. इस वर्ष रणोत्सव के आयोजन में टिकाऊ पर्यटन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है, जैसे कि-प्लास्टिक का न्यूनतम उपयोग, सफेद रण में जाने के लिए बाइसिकल राइड, टेंट सिटी में अपशिष्ट पृथक्करण और निपटान की व्यवस्था आदि.

दिसंबर, 2023 में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सफेद रण के वॉच टावर पर लाइट एंड साउंड शो का अनावरण किया था, जिससे यात्रियों के लिए एक नया आकर्षण जुड़ गया. इस वर्ष पर्यटन विभाग ने धोलावीरा में भी सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर 44 कमरों वाले रिसॉर्ट का निर्माण किया है, जहां पर्यटकों की भीड़ देखी जा रही है. रणोत्सव की शुरुआत के बाद साल दर साल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है. रणोत्सव में आने वाले लाखों पर्यटकों के कारण स्थानीय लोग, विशेषकर हस्तकला क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत विकसित हुआ है. रणोत्सव से रोगन कला, ओरीभरत, मीना काम, अजरख ब्लॉक प्रिंट, बांधनी, जरदोशी कला और काष्ठ कला आदि में पारंगत कारीगरों को रोजगार तो मिलता ही है, साथ ही कच्छी हस्तशिल्प के कलाकारों को अपनी कलाकृतियों की बिक्री के लिए एक वैश्विक बाजार भी उपलब्ध होता है.

स्थानीय कारीगरों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से टेंट सिटी में हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के लाइव डेमो के साथ दुकानों की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा, रणोत्सव में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है, जहां स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान किया जाएगा. वर्ष 2023-24 के रणोत्सव में लगभग 2 लाख लोग क्राफ्ट और फूड स्टॉल पहुंचे थे, जिससे क्राफ्ट स्टॉल धारकों को अनुमानित 6.65 करोड़ रुपये और फूड स्टॉल धारकों को अनुमानित 1.36 करोड़ रुपये की आय हुई थी. इस वर्ष क्राफ्ट और फूड स्टॉल की शुरुआत एक दिसंबर, 2024 से होगी. धोरडो टेंट सिटी में प्रतिवर्ष अलग-अलग थीम पर रणोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष ‘रण के रंग’ नामक थीम पर रणोत्सव का आयोजन किया गया है. क्या दिन और क्या रात, चमकते रण का अद्भुत नजारा देख पर्यटक अचरज में पड़ जाते हैं. धोरडो गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के पुरस्कार से नवाजा गया है.

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/ बिनोद पाण्डेय

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