Top News
Next Story
NewsPoint

नेपाली पीएम ओली के चीन भ्रमण से पहले विदेश मंत्री का बीजिंग जाना तय

Send Push

– प्रधानमंत्री ओली 2 दिसंबर से चीन के चार दिनों के भ्रमण पर जाएंगे

– विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा का 30 नवंबर को चीन यात्रा पर जाना तय

काठमांडू, 13 नवंबर . नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के चीन भ्रमण से पहले विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा बीजिंग जाएंगी. उनका यह दौरा प्रधानमंत्री ओली की यात्रा का एजेंडा तय करने के लिए होगा. प्रधानमंत्री ओली के 2 दिसंबर से चीन के चार दिनों के भ्रमण पर जाएंगे, जबकि विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा का 30 नवंबर को तीन दिनों की यात्रा पर चीन जाना तय हो गया है.

नेपाल में चीन के राजदूत छन सोंग ने सोमवार को प्रधानमंत्री के चीन भ्रमण का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, जिसके बाद विदेश मंत्री की बीजिंग यात्रा तय हुई है. विदेश सचिव सेवा लम्साल ने बताया कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी के निमंत्रण पर डॉ. आरजू राणा बीजिंग जा रही हैं. लम्साल के मुताबिक 30 नवंबर को बीजिंग पहुंचने वाली विदेश मंत्री 2 दिसंबर से प्रधानमंत्री ओली के प्रतिनिधिमंडल में वहीं से शामिल हो जाएंगी. विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा अपने बीजिंग भ्रमण के दौरान चीन के विदेश मंत्री के अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अन्य अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगी. इनमें सीपीसी के विदेश विभाग प्रमुख और चीनी संसद के अंतराष्ट्रीय समिति के प्रमुख से मुलाकात प्रमुख है. इसके अलावा डॉ. राणा की मुलाकात चीन के एक्जिम बैंक के प्रमुख और चाइना एड के प्रमुख से भी होने की संभावना है.

विदेश मंत्री का यह बीजिंग यात्रा नेपाल में बीआरआई परियोजना के कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर की पूर्व तैयारी को लेकर भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. चीन की तरफ से नेपाल पर बीआरआई के कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है. नेपाल ने अपनी तरफ से कुछ शर्तें रखी हैं. अगर चीन ऋण के रूप में नेपाल को आर्थिक अनुदान देता है तो ही बीआरआई को स्वीकार करने की बात नेपाल सरकार की तरफ से कही जा रही है.

विदेश मंत्री के चीन भ्रमण का एक और प्रमुख एजेंडा पोखरा में चीन के एक्जिम बैंक के करीब 2600 करोड़ रुपये के ऋण को अनुदान में बदलने का भी है. नेपाल सरकार की तरफ से इसके लिए चीन से औपचारिक रूप से आग्रह भी किया गया है. इस समय चीन इन ऋण पर पांच प्रतिशत का ब्याज भी ले रहा है और इस ऋण को सिर्फ 15 साल में ही वापस करने का समझौता है. नेपाल चाहता है कि यदि चीन इस ऋण को अनुदान में नहीं बदलता है तो कम से कम इसके ब्याज को पांच प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दे.

—————

/ पंकज दास

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now