धमतरी, 8 नवंबर .मां अंगारमोती मंदिर परिसर में आठ नवंबर को आयोजित गंगरेल मड़ई में 52 गांवों के देवी-देवता व 45 गांवों के आंगा देवता शामिल हुए, जिसे देखने हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी. पूजा-अर्चना के बाद मड़ई शुरू हुई. वहीं संतान की कामना को लेकर मंदिर परिसर में 200 से अधिक महिलाएं जमीन पर लेट गई, जिनके उपर से बैगाओं का दल गुजरा. रात तक लोग मड़ई का लुत्फ उठाते रहे.
गंगरेल में परंपरा के अनुसार हर साल दिवाली त्योहार के बाद पड़ने वाले प्रथम शुक्रवार को मेला मडई का आयोजन होता है. मां अंगारमोती मंदिर के बैगा ईश्वर नेताम व सूदे सिंह ने बताया कि शुक्रवार को गंगरेल मड़ई में शामिल होने के लिए धमतरी, बालोद, कांकेर और कोंडागांव जिले के 52 गांवों के देवी-देवता व 45 गांवों के आंगा देव आठ नवंबर की दोपहर तक गंगरेल बांध किनारे मां अंगारदेवी मंदिर परिसर पहुंच गए. दोपहर को पूजा-अर्चना के साथ मड़ई का दौर शुरू हुआ. मंदिर परिसर में उपस्थित बैगाओं के दर्शन व स्वागत करने लोगों की रेलमपेल मची रही. सभी जगहों से पहुंचे बैगाओं की टोली मड़ई, ध्वज और डांग को लेकर चल रही थी और बीचोबीच मुख्य बैगाओं का दल था. बाजा के साथ मंदिर परिसर में बैगाओं व मड़ई लेकर चल रहे लोगों ने नाचते हुए और देवी आने पर झूमते हुए पूजा-अर्चना की. तत्पश्चात मड़ई का दौर शुरू हुआ. मंदिर परिसर व आसपास लगे मेला में लोग घूमे. झूला, होटल, दुकान समेत अन्य सामग्रियों की खरीद की. ध्वज और मड़ई लेकर जाते बैगाओं के सामने निस्संतान महिलाएं पेट के बल लेटकर संतान प्राप्ति के लिए कामना करती हैं. इन महिलाओं की संख्या 100 से अधिक थीं. मान्यता के अनुसार मड़ई, ध्वज और डांग लेकर चल रहे बैगाओं की टोली के सामने निस्संतान महिलाएं पेट के बल लेट गई. बैगाओं की टोली महिलाओं के ऊपर से गुजरी. मान्यता है कि इस तरह महिलाओं के लेटने और उनके ऊपर से बैगाओं के गुजरने से माता की कृपा मिलती है और निस्संतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है.
इन गांवों से पहुंचे देवी-देवता
गंगरेल मड़ई में धमतरी जिले के ग्राम खिड़कीटोला, स्टेशनपारा धमतरी, महात्मा गांधी वार्ड, गंगरेल, भटगांव, मुड़पार, शंकरदाह, बरारी, तुमराबहार, कसावाही, डुबान क्षेत्र के मालगांव, कोड़ेगांव, भिंड़ावर, कोकड़ी आदि गांवों से लोग देवी-देवता लेकर पहुंचे थे. वहीं बालोद जिले के ग्राम ओन्हाकोन्हा, मड़वापथरा, कांकेर जिले के चारामा, हल्बा, नरहरपुर और कोंडागांव जिले के केशकाल समेत आदि गांवों के देवी-देवती को लेका बैगा यहां शामिल हुए.
/ रोशन सिन्हा
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