Top News
Next Story
NewsPoint

गोवंश को खिचड़ी खिलाकर मनाया गया गोवर्धन पूजन का पर्व

Send Push

धमतरी, 2 नवंबर . गोवर्धन पूजा का पर्व शहर-अंचल में उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया. इस अवसर पर घरों में गोवंश को खिचड़ी का भोग लगाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की गई.

गांव में गोवर्धन पूजन का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. हर साल की तरह इस साल भी धमतरी शहर के विभिन्न वार्डो सहित सभी गांव में गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया गया. घर के सदस्यों ने गोवंश की पूजा कर बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त किया. गोवंश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. घर के कोठा के दरवाजे के सामने प्रतीकात्मक रूप से गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण कर भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की गई. सेमरी, दूब, फूल को सजा कर गोवर्धन पर्वत का रूप दिया गया. विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर श्रीफल का प्रसाद बांटा गया. इसके बाद बच्चों ने आतिशबाजी भी की. इस खास दिन घर के गोवंश को चावल, दाल, खीर, पूरी, चीला, रोटी, बड़ा मिठाई सहित अन्य खाद्य सामग्रियों को तैयार कर गोवंश को खिलाया जाता है. खाट के ऊपर नया वस्त्र बिछाकर उस पर चावल, दाल, खीर, पूरी, चीला, रोटी, बड़ा, मिठाई को रखकर गोवंश को भोग लगाया जाता है. इसके बाद घर के सभी सदस्य गोवंश की पूजा करते हैं.

गोवंश के प्रति समर्पण का पर्व है गोवर्धन पूजा

ग्राम भटगांव के पंच रोशन साहू, मोहन साहू, हीरालाल साहू ने बताया कि गांव में गोवर्धन पूजन का पर्व पीढ़ी दर पीढ़ी मनाते आ रहे हैं. वास्तव में यह पर्व गोवंश के प्रति हमारी निष्ठा समर्पण और लगाव का प्रतीक है. कृषि आधारित ग्रामीण जीवन में गोवंश का अहम स्थान है. यह पर्व उनके योगदान के लिए ही समर्पित है.

क्यों मनाते हैं गोवर्धन पूजा

पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि गोवर्धन पूजा से संबंधित एक प्राचीन कथा प्रचलित है. एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से इंद्रदेव की पूजा करने के बजाय गोवर्धन की पूजा करने को कहा. इससे पहले गोकुल के लोग इंद्रदेव को अपना इष्ट मानकर उनकी पूजा करते थे. भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से कहा कि गोवर्धन पर्वत के कारण ही उनके जानवरों को खाने के लिए चारा मिलता है. गोर्वधन पर्वत के कारण ही गोकुल में वर्षा होती है. इसलिए इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए. जब इंद्रदेव को श्रीकृष्ण की इस बात के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत क्रोध आया और बृज में तेज मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी. तब श्रीकृष्ण भगवान ने बृज के लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर बृजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचा लिया, तब बृज के लोगों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया था. इससे खुश होकर श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों की हमेशा रक्षा करने का वचन दिया.

/ रोशन सिन्हा

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now