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केन्द्र और राज्य सरकार बताए कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए जा रहे

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जयपुर, 11 नवंबर . राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं और बिगडती स्वास्थ्य सेवाओं पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. इसके साथ ही अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव से 11 दिसंबर तक यह बताने को कहा है कि प्रदेश में वर्तमान स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं अदालत ने मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राज्य के मुख्य सचिव, एसीएस चिकित्सा और स्वास्थ्य निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके अलावा अदालत ने केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी आरडी रस्तोगी, सरकारी वकील अर्चित बोहरा और अधिवक्ता तनवीर अहमद को इस मामले में कोर्ट का सहयोग करने को कहा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश प्रकरण में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार मानव गरिमा का अभिन्न हिस्सा है और इसके संरक्षण की जिम्मेदारी राज्य की है. अदालत ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भले ही स्वास्थ्य के अधिकार को सीधे तौर पर मूल अधिकार के रूप में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन जीवन जीने के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्पताल में हर व्यक्ति को पर्याप्त और मानक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया हो. यह राज्य का कर्तव्य है कि वह जनता को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराए और ऐसी कोई लापरवाही नहीं हो, जिससे मानव जीवन खतरे में पडे. अदालत ने कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा के हालात बिगड रहे हैं और इसे सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.

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