शिमला, 15 नवंबर . भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा है कि सीपीएस मामले में हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले के बाद छह विधायकों को नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देना चाहिए. ये सीपीएस हिमाचल प्रदेश पर केवल आर्थिक बोझ थे. भाजपा एक स्वर में लगातार सभी छह सीपीएस की नियुक्तियों का विरोध कर रही थी और जो निर्णय उच्च न्यायालय द्वारा आया है वह ऐतिहासिक है.
सुरेश कश्यप ने शुक्रवार को कहा कि सभी सीपीएस असंवैधानिक माने जाते है, यह उच्च न्यायालय द्वारा जारी ऑर्डर में भी लिखा गया है. यह सभी नियुक्तियां ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के अंतर्गत आती है और जल्द ही सभी पूर्व सीपीएस, पूर्व विधायक बन कर रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि नैतिकता के आधार पर सभी पूर्व सीपीएस को अपना अपना पद छोड़ देना चाहिए.
कश्यप ने कहा कि सुना है कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य संसदीय सचिव की नियुक्तियों को रद करने के निर्णय को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है. वहीं, चौपाल से भाजपा विधायक बलवीर वर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस मसले में केविएट दायर की है कि इस पर निर्णय से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए. दोनों मामले अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लगेंगे. इसका सीधा मतलब है कि सरकार अपने गलत निर्णय को लगातार बचाने का प्रयास कर रही है, पर जिस प्रकार से उच्च न्यायालय का निर्णय आया है वह स्पष्ट और साफ है.
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के निर्णय के बाद वीरवार को मुख्य संसदीय सचिवों ने अपने कार्यालय खाली कर दिए हैं जबकि आवास खाली करने के लिए एक माह का समय दिया है. जो भी सरकारी पैसा इन विधायकों एवं पूर्व सीपीएस द्वारा सरकार का खर्चा गया है वह सरकारी खजाने वापिस आना चाहिए.
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/ उज्जवल शर्मा
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