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पहाड़ी दिवस के उपलक्ष्य में कवि गोष्ठी का आयोजन

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मंडी, 7 नवंबर . भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा पहाड़ी दिवस के उपलक्ष्य पर पहाड़ी बोली को प्रोत्साहन व पचार-प्रसार के लिए कवि सम्मेलन का आयोजन करवाया गया. संस्कृति सदन कांगणीधार में आयोजित इस कवि सम्मेलन में 28 कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया. इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पी.सी. कौंडल द्वारा की गई. इस अवसर पर जिला भर से आए कवियों ने पहाड़ी व हिंदी में सुनाई कविताओं के माध्यम से सामाजिक सरोकारों और मुद्दों को लेकर अपना-अपना नजरिया पेश किया. वहीं पर नशे के बढ़ते मकडज़ाल में युवा वर्ग को लेकर चिंता जताई.

मंडयाली लोकगायिका ,संस्कृतिकर्मी एवं कवयित्री रूपेश्वरी शर्मा ने -मुकी गया सब कुछ -कविता में 12 महीनें के सभी त्यौंहारों का वर्णन करके सबको भाव विभोर कर दिया. वहीं पर वरिष्ठ साहित्यकार मुरारी शर्मा मंडयाली कविता चंदरे माहणूं सांही मंदड़े बाल नी बोल मितरा, तान्हेयां टोकेया के ता गल नी बणनीं, ते आपणे दिला री घंडी खोल मितरा. इसके अलावा मशहूर कवि अवतार सिंह पाश की हिंदी कविता सुनों का मंडयाली अनुवाद सुणा -आसारे चूल्हे रा संगीत सुणा, आसा दर्दमंदा री पीड़ होर येसा के लिपटी री चीख सुणा पेश की. वहीं पर राजेंद्र सिंह ठाकुर ने पुरानी दिवाली नई दिवाली शीर्षक मंडयाली कविता सुनाकर सबका मनोरंजन किया. इधर, लतेश शर्मा ने प्राण प्रतिष्ठा शीर्षक कविता का पाठ किया. जिसमें भगवान श्रीराम की मूर्ति प्रतिष्ठा का सुंदर चित्रण किया गया. वहीं पर पूर्णेश गौतम ने लकमूंडी, सुरेंद्र मिश्रा ने बढ़ती मंहगाई व जनसंख्या की चिन्ता व्यक्त की.

पारूल अरोड़ा ने चिट्टा नामक कविता पढक़र आज के युग में बढ़ते नशे पर चिन्ता व्यक्त की. सीता राम वर्मा ने धुआं , बबीता चौहान ने अम्मा शीर्षक कविता का पाठ किया जिसमें मां का अपने बच्चों के प्रति प्रेम व त्याग बलिदान का सुंदर संदेश दिया. उतम चंद शर्मा ने चिटट नामक कविता पढक़र सबको सचेत व सावधान रहने की सलाह दी. भीम सिंह परदेसी ने पच्याणके बोल मंडयाली कविता पढ़ी. विनोद गुलेरिया ने कहा- याद तिना जो बार-बार कर दे प्रेम कविता सुनाई. जबकि विद्या शर्मा ने कहा- बड़े याद आवें स्यों ध्याड़े, हरिप्रिया -बरके कविता द्वारा जीवन का सार बताया. भारत शर्मा नेभी नशा शीर्षक से कविता सुनाकर युवा पीढी को नशे से दूर रहने का संदेश दिया. कृष्ण चंद महादेवियाने हाखी बिच सुफने और कृष्णा ठाकुर ने मां की याद में सुंदर गीत गाकर सभी की आंखे नम कर दी.

अर्पणा धीमान ने कहा -सीफरा ने सीफर मलाई ने हसल नी बढ़णी. जीतेश शर्मा ने घराट कविता के माध्यम से जीवन का रहस्य व्यक्त किया. इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में हीरा सिंह कौशल, उमेश, जगदीश कपूर, किरण गुलेरिया, आर.के गुप्ता, जितेंद्र शर्मा, भूपेंद्र सिंह, इत्यादि ने अपनी मंडयाली कविता का पाठ किया. अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.पी.सी. कौंडल ने कहा कि साहित्य,संगीत, कला के बिना व्यक्ति बिना पूंछ के पशु की तरह है. उन्होंने अपनी कविता -यो सूरज चांद सितारे भगवाने किधि जो बनाई रे, जीने रा मकसद नामक कविता सुनाकर मनुष्य जन्म के कर्तव्यों से रूबरू करवाया. इस अवसर पर कथा लेखिका अर्पणा धीमान के कहानी संग्रह नियती का जंगल का विमोचन किया गया.

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/ मुरारी शर्मा

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